दुनिया में तानाशाही देशों को छोड़कर चाहे वो घोर पूंजीवादी या मिश्रित अर्थव्यवस्था वाला देश हो वो अपने देश की जनता की सामाजिक सुरक्षा का ख्याल तो पुरी तरह से रखता है लेकिन दुर्भाग्य से अपने देश में पिछले आर्थिक उदारवाद के मुखौटे में सरकारों ने जो नीतियां अख़्तियार की उसने दो तरफ से मेहनतकशों की सामाजिक सुरक्षा छीनने का काम किया। जहां एक ओर निजी क्षेत्र को बढ़ावा दे कर जिसने युवा वर्ग को नौकरियों में पैकेज व्यवस्था लागू कर सामाजिक सुरक्षा पैंशन/ग्रेच्युटी के रूप में सामाजिक सुरक्षा छीन ली। वैसे ही सरकारी और सार्वजनिक संस्थानों में पुरानी पेंशन स्कीम हटाकर एनपीएस लागू कर।
विजय दलाल
*************************
*जैसे किसान आंदोलन की मांगों के बारे में इस सरकार ने जो झांसा दिया था उसी के समान ओपीएस की मांग के लिए आंदोलनरत संगठनों को दिया जा रहा है।*
नई पेंशन स्कीम के घोर समर्थक डॉ० टी वी सोमनाथन जो खुद तो पुरानी पेंशन लेते हैं, लेकिन वे किसी भी सूरत में पुरानी पेंशन बहाल करने के खिलाफ हैं। डॉ टी वी सोमनाथन वर्तमान में भारत सरकार के वित्त सचिव और सेक्रेटरी ऑफ एक्सपेंडिचर हैं। राजस्थान, छत्तीसगढ़ द्वारा पुरानी पेंशन लागू किए जाने के बाद उन राज्यों के स्टेट कंट्रीब्यूशन वापस राज्यों को देने से रोकने में अहम भूमिका उन्हीं की मानी जाती है। वे किसी भी तरह राजस्थान, छत्तीसगढ़ समेत उन सभी 5 राज्यों जिन्होंने पुरानी पेंशन बहाल की है, उनके फैसले अर्थव्यवस्था के लिए गलत साबित हो जाए, इसके लिए तरह तरह से परेशान करने के लिए वे स्टेट फंड भी रोकने से बाज नहीं आते।
लेकिन दुर्भाग्य से भारत सरकार ने एनपीएस में सुधार के लिए जो कमेटी बनाया है, उसके अध्यक्ष डॉ० टी वी सोमनाथन को ही बनाया गया है। अब ऐसे कमेटी से कोई शिक्षक और कर्मचारी क्या उम्मीद करे?
अव्वल तो बात यह भी है कि बाकी जिन तीन लोगों को इस कमेटी का सदस्य बनाया गया है, उनमें से कोई भी सदस्य स्वयं एनपीएस के दायरे में नहीं आता। खुद तो पुरानी पेंशन लेते हैं, लेकिन शिक्षक और कर्मचारियों के लिए नई पेंशन का रिवीजन करना चाहते हैं।
इस समिति के तीन सदस्य होंगे–सुश्री एस राधा चौहान (सचिव, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय), श्रीमती एनी जी मैथ्यू (विशेष सचिव, कार्मिक, व्यय विभाग, वित्त मंत्रालय) और दीपक मोहंती (अध्यक्ष, पीएफआरडीए)। दीपक मोहंती खुद रिजर्व बैंक इंडिया के पूर्व कार्यकारी निदेशक के रूप में एक पुरानी पेंशन लेते हैं, और अब पेंशन के अतिरिक्त 4.5 लाख रुपए वेतन पीएफआरडीए अध्यक्ष के रूप में लेते हैं, ऐसे लोग एनपीएस के दायरे में आने वाले शिक्षक/कर्मचारियों का क्या भला करेंगे।
नहीं चाहिए एनपीएस में कोई भी रिवीजन
चाहिए सिर्फ और सिर्फ पुरानी पेंशन।
पुरानी पेंशन लागू करने से अर्थव्यवस्था खतरे में पड़ जाती है। जब कि लाख गरीबी और कमजोर अर्थव्यवस्था होने के बावजूद आजादी के 70 साल तक भारत में शिक्षक और कर्मचारियों के लिए लगातार पेंशन जारी थी और पेंशन देने के बावजूद अर्थव्यस्था ढहने के बजाय दिन प्रतिदिन मजबूत होती गई।
पुरानी पेंशन बहाल करो।
साथियो उठो, जागो,लड़ो, और संघर्ष तैयार हो जाओ, और पुरानी पेंशन हर हालत में प्राप्त करो। आने वाले समय में ओपीएस बना दो मुद्दा !!