शशिकांत गुप्ते
15 अगस्त हमारा अपना और अपने देश का स्वतंत्रता दिवस है।हम आजाद देश के नागरिक है।
आज हम स्वतंत्रता के संदेशों का आपस में आदान प्रदान करेंगे।देशभक्ति के गीतों को गुनगुनाएँगे।लाउडस्पीकर से कर्कश आवाज में सुनेंगे।तिरंगा ध्वज फहराएंगे।*जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करों कुर्बानी।* इन पंक्तियों को गुनगुनाते हुए या सुनतें हुए कभी अंतर्मन से सादर शहीदों का स्मरण करेंगे?यदि सच में शहीदों का हम अंतर्मन से स्मरण करेंगे तो हम देश के बुनियादी स्वरूप अनेकता में एकता को बरकरार रखने में कृतसंकल्प रहेंगे।हम स्वतंत्रता के महत्व को समझेंगे तो, यह भी याद रखेंगे कि,अपना देश लोकतांत्रिक देश है।धर्मनिरपेक्ष देश है।हम स्वतंत्रता प्राप्ति के महत्व को समझेंगे तो हम देश के किसी भी नागरिक को मार मार के अधमरा कर भगवान का नाम लेने के लिए अधमरा नहीं करेंगे?
हमें यह भी में ज्ञात करना होगा कि, अपने ही देश में एक रत्नाकर नामक दस्यु का जब हृदय परिवर्तन हुआ तब, वह राम की जगह मरा, मरा का उच्चारण करते हुए राममय हो गया और महर्षि वाल्मीकि बन गया।संत कबीरसाहब के इस दोहे का स्मरण स्वाभाविक रूप से हो जाता है।*राम राम सब कोई कहे**ठग ठाकुर और चोर**जिस नाम से ध्रुव,प्रह्लाद मीरा तरे,**वह नाम कुछ और*इस दोहे के गूढ़ अर्थ को समझना बहुत जरूरी है।
स्वतंत्र देश में हम सभी भारतीय है का,नारा कब बुलंद करेंगे।क्या बार बार हम एक दूसरें को यह इंगित कराएंगे कि, *हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, हम सब है भाई भाई*हमें लोकतंत्र का ही उच्चरण करना चाहिए,प्रजातंत्र शब्द में प्रजा शब्द परतंत्र होने का बोध करवाता है।प्रजा मतलब सामंती राजा के गुलाम होने का बोध होता है।यह लेखक के निजी विचार हैं।हम स्वतंत्र है।भूदान के प्रणेता गांधीवादी,स्वतंत्रता सेनानी आचार्य विनोबा भावेजी ने कहा है। किसी व्यक्ति अपने माथे पर यह गुदवाने की आवश्यकता नहीं होती है, *मैं शरीफ हूँ* यह तो समाज ने उसे कहना चाहिए कि फलाँ व्यक्ति शरीफ है।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमें यह भी ज्ञात रखना चाहिए कि, हमारा अपना संविधान भी है।हमारी अपनी कानून व्यवस्था भी है।हमें देश के एक सच्चे और जागरूक नागरिक होने प्रमाण प्रस्तुत करते हुए कानून अपने हाथों में नहीं लेना चाहिए।क्या हमने कभी गम्भीरता से सोचा कि हमें विदेशों में ही जाकर अपनी पहचान सिर्फ भारतीय ही बताना पड़ती है?क्या हम विदेशों में ही भारतीय होंगे?स्वतंत्रता दिवस सिर्फ औपचारिक दिवस बनकर न रह जाए।
जैसे मदर,फादर,चिल्ड्रेन, और ना जाने कौन कौन से दिवस हम फैशनबल रूप से बनातें है।हमें गर्व है कि हम भारतीय है।हमें तिरंगे के तीनों रंगों का सम्मान करना चाहिए।पिचहत्तर वे स्वतंत्रता दिवस की अनेक शुभकामनाएं।
शशिकांत गुप्ते इंदौर