• इंदौर।
पिछले दिनों एमपीआईडीसी ने इंदौर-पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर में आ रही 3200 एकड़ जमीनों के दावे- आपत्तियों की सुनवाई की प्रक्रियापूरी की।
859 आपत्तियों का निराकरण किया गया और उसके पश्चात 17 गांवों की इन जमीनों का खसरा प्लान भी जारी कर दिया है। मुआवजे के लिए फिलहाल तीन विकल्पों पर चर्चा की जा रही है, जिस पर अंतिम निर्णय शासन स्तर पर ही लिया जाएगा, क्योंकि अभी जिन दावे-आपत्तियों का निराकरण किया गया है उनके जमीन मालिक 15 दिन में शासन के समक्ष अपील कर सकेंगे, जिस पर 45 दिन में निर्णय लेना होगा और उसके बाद फिर ड्रॉफ्ट का प्रकाशन करने के बाद फिर से दावे-आपत्ति की प्रक्रिया पूरी करना होगी, जिसमें अभी 3 से 4 माह का समय लग जाएगा।
जमीन अधिग्रहण के खिलाफ एक तरफ किसानों का विरोध चल रहा है, दूसरी तरफ पीथमपुर सेक्टर-7 में स्मार्ट इंडस्ट्रीयल टाउनशिप भी एमपीआईडीसी ला रहा है, तो 20 किलोमीटर लम्बाई में बनने वाले इंदौर-
पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर का मेगा प्रोजेक्ट भी अमल में लाया जाना है। 75 मीटर चौड़ा यह कॉरिडोर रहेगा और इसी से जोड़ते हुए प्राधिकरण ने अहिल्या पथ का अपना प्रोजेक्ट तैयार किया है, ताकि आवागमन सुगम हो सके। इस कॉरिडोर का एक सिरा इंदौर के नैनोद से, तो दूसरा सिरा सोनवाय, टीही और धन्नड़ ड्रायपोर्ट से जुड़ेगा। कॉरिडोर के दोनों तरफ 300-300 मीटर में आने वाली जमीनें ली गई हैं। इस कॉरिडोर में 17 गांवों की जमीनें शामिल हैं और एमपीआईडीसी की कार्यकारी संचालक सपना अनुराग जैन का कहना है कि 859 दावे- आपत्तियों की सुनवाई करने के बाद खसरा प्लान जारी कर दिया है और 17 गांवों में किन-किन खसरों की जमीनें इस कॉरिडोर में आ रही है उनका नोटिफिकेशन भी हो गया है। अब जमीन मालिक शासन के समक्ष अपनी आपत्ति प्रस्तुत कर सकेंगे। श्रीमती जैन के मुताबिक इन 17 गांवों में कोर्डियाबर्डी, नैनोद, रिजलाय, बिसनावदा, नावदापंथ, श्रीराम तलावली, सिंदौड़ा, सिंदौड़ी, शिवखेड़ा, नरलाय, मोकलाय, डेहरी, सोनवाय, भैंसलाय, बागोदा, टीही और धन्नड़ इसमें शामिल हैं। जमीन मालिकों को मुआवजा किस फॉर्मूले से दिया जाएगा इसका अंतिम निर्णय तो शासन स्तर पर होगा मगर फिलहाल तीन विकल्पों पर चर्चा चल रही है और जमीन मालिकों के साथ सहमति भी एमपीआईडीसी के अधिकारियों द्वारा बनाई जा रही है। एक विकल्प तो 100 फीसदी नकद मुआवजे का भी रखा गया है। नए भूमि
अधिग्रहण कानून के मुताबिक दो गुना मुआवजा
दिया जा सकता है। ऐसे में अगर नकद मुआवजे के प्रावधान को लागू किया गया तो सोलिशियम ब्याज सहित दो गुनी गाइडलाइन के मुताबिक राशि दी जा सकती है। दूसरा विकल्प लैंड पुलिंग एक्ट के तहत रहेगा, जो 50-50 फीसदी का रहता है। यानी आधी जमीन 50 फीसदी मालिक को वापस लौटा दी जाती है। जिस तरह प्राधिकरण द्वारा अपनी टीपीएस योजनाओं में इसी फॉर्मूले के तहत काम किया जा रहा है। तीसरा विकल्प 90 और 10 प्रतिशत का है, जिसमें 10 फीसदी राशि तो नकद मुआवजे के रूप में और 90 फीसदी के बदले विकसित भूखंड दिए जाते हैं। पीथमपुर सेक्टर-7 में इसी फॉर्मूले के तहत कई जमीनों का अधिग्रहण किया भी गया है। कार्यकारी संचालक श्रीमती जैन के मुताबिक शासन स्तर पर तय होगा कि मुआवजे के लिए कौन-सा विकल्प तय किया जाए। फिलहाल तो 17 गांवों में शामिल जमीनों का खसरा प्लान नोटिफिकेशन के जरिए जारी कर दिया है और अब 15 दिन का समय जमीन मालिकों को शासन यानी बोर्ड के समक्ष दावे-आपत्तियों को प्रस्तुत करने का रहेगा, जिस पर 45 दिन में निराकरण करना है और उसके बाद फिर 180 दिन में ड्रॉफ्ट प्लान का प्रकाशन कर उस पर भी दावे-आपत्तियां आमंत्रित की जाएगी और चूंकि उसमें भी बोर्ड के समक्ष अपील का प्रावधान है, लिहाजा वह प्रक्रिया भी पूरी होगी। हमारा प्रयास रहेगा कि 3 से 4 महीने में इन सारी प्रक्रियाओं को पूर्ण कर लिया जाए, ताकि इंदौर-पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर जैसा महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट अमल में लाया जा सके। इसमें एयरो सिटी, होटल, आईटी, फिंटेक सिटी, डाटा सेंटर, फिल्म और मीडिया से जुड़ी गतिविधियों के साथ-साथ आवासीय, व्यवसायिक प्रयोजन भी रहेंगे। पिछले दिनों कॉरिडोर में शामिल जमीनों पर अवैध कालोनाइजेशन की शिकायतें भी मिली, जिस पर कार्रवाई की जा रही है।