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 अब बिल गेट्स की माइक्रोसॉफ्ट का भी बड़ी छंटनी का एलान

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मृत्युंजय राय
मार्क जकरबर्ग की मेटा इंक, जेफ बेजोस की ऐमजॉन के बाद अब बिल गेट्स की माइक्रोसॉफ्ट ने भी बड़ी छंटनी का एलान किया है। यह छंटनी शुरू हो चुकी है और मार्च तक चलेगी। कंपनी 10 हजार लोगों को निकालने जा रही है। माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नाडेला ने दावोस में हो रहे वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम में बुधवार को बताया कि कोरोना महामारी के दौरान टेक्नॉलजी कंपनियों में जो धुआंधार ग्रोथ दिखी थी, वह गुजरे जमाने की बात हो गई है। इसलिए इंडस्ट्री को प्रोडक्टिविटी बढ़ाने पर ध्यान देना होगा। नाडेला की बात अपनी जगह सही है, सुस्त ग्रोथ के दौर में इंडस्ट्री को ग्रोथ के लिए प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के साथ इनोवेशन और नए ग्रोथ वाले क्षेत्रों में निवेश करना जरूरी होता है। लेकिन इस दौर में भी ऐसी कंपनियां अरबों डॉलर का मुनाफा कमा रही हैं। माइक्रोसॉफ्ट ने भी सितंबर 2022 तिमाही (अप्रैल-सितंबर) में 50 अरब डॉलर की आमदनी पर 17.6 अरब डॉलर का मुनाफा कमाया। टेक्नॉलजी बिजनेस में सुस्ती का असर अमेरिका की अल्फाबेट (गूगल की मालिक) और आईफोन बनाने वाली एपल पर भी हुआ है, लेकिन इन दोनों ने बड़ी छंटनी का एलान नहीं किया है। इसके बावजूद अगर मेटा इंक, ऐमजॉन और माइक्रोसॉफ्ट ने छंटनी की राह चुनी तो उसे अमेरिकी जॉब मार्केट का आईना नहीं मानना चाहिए।

अमेरिका में रोजगार बाजार अभी भी मजबूत बना हुआ है। यह मजबूती इसलिए भी हैरान करती है क्योंकि इस बीच वहां ब्याज दरों में आक्रामक ढंग से बढ़ोतरी हुई है और यह सिलसिला आगे भी जारी रहने वाला है। अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व (जैसे भारत में रिजर्व बैंक है) ने कहा है कि जब तक महंगाई दर पूरी तरह से काबू में नहीं आ जाती, तब तक वह दरों में बढ़ोतरी करता रहेगा। उधारी दरों में तेज बढ़ोतरी का असर दिखने भी लगा है क्योंकि महंगाई दर वहां घटी है। लेकिन फेडरल रिजर्व इसके भी पक्के और स्थायी ट्रेंड का इंतजार कर रहा है। खैर, अमेरिका में टेक्नॉलजी इंडस्ट्री में आई सुस्ती का असर भारतीय आईटी कंपनियों पर भी पड़ा है, जिनके लिए नॉर्थ अमेरिका सबसे बड़ा बाजार है। टीसीएस और इंफोसिस जैसी कंपनियां भी कोरोना महामारी के दौर में अच्छी ग्रोथ के बाद आज सुस्ती का सामना कर रही हैं। इस साल विकसित देशों के मंदी में जाने की आशंका जताई जा रही है, जिसका असर भारत की आईटी कंपनियों पर और कुछ समय तक दिख सकता है। शेयर बाजार ने भी भारतीय आईटी कंपनियों से मुंह मोड़ रखा है, लेकिन कुछ एक्सपर्ट्स इनमें पैसा लगाने की सलाह दे रहे हैं। इसकी वजह शायद यह मान्यता हो कि शेयर बाजार एक साल बाद की खबरों पर अभी चलने लगता है। इन लोगों को उम्मीद है कि अगर वैश्विक मंदी आती भी है तो वह लंबी नहीं चलेगी और रिकवरी होते ही इंफॉर्मेशन टेक्नॉलजी सेवाओं की मांग बढ़ेगी, जिसमें भारतीय आईटी कंपनियां बहुत मजबूत हैं।

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