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अब ISRO के ‘शुक्रयान’ अगले साल दिसंबर में लॉन्च होने की संभावना

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नई दिल्‍ली। चंद्रयान-3 और आदित्य-एल1 मिशन के बाद इसरो शुक्र मिशन यानी कि ‘शुक्रयान’ के लिए जोर-शोर से तैयारी कर रहा है। इसके अगले साल दिसंबर में लॉन्च होने की संभावना है। वीनस मिशन से पहले अंतरिक्ष एजेंसी इस साल दिसंबर में ही एक्सपीओसैट या एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट लॉन्च करने की तैयारी कर रही है। इसका उद्देश्य चमकीले एक्स-रे पल्सर का अध्ययन करना है। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने हाल ही में कहा था कि सौर मंडल के सबसे चमकीले ग्रह शुक्र पर मिशन पहले से ही तैयार किया गया है। मिशन के लिए इसके पेलोड विकसित किए गए हैं।

इसके 2024 के दिसंबर में लॉन्च किए जाने की संभावना है। इस समय पृथ्वी और शुक्र इतने संरेखित (सीधी रेखा में) होंगे कि अंतरिक्ष यान को कम प्रणोदक का उपयोग करके पड़ोसी ग्रह की कक्षा में रखा जा सकता है। इसके बाद यह मौका 2031 में ही जाकर मिलेगा।

हाल ही में दिल्ली में भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी को संबोधित करते हुए इसरो प्रमुख ने कहा, “शुक्र एक बहुत ही दिलचस्प ग्रह है। इसका एक वातावरण भी है जो बहुत घना है। वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी से 100 गुना अधिक है। यह अम्लों से भरा है। आप सतह में प्रवेश नहीं कर सकते हैं। आप नहीं जानते कि इसकी सतह कठोर है या नहीं। हम यह सब समझने की कोशिश क्यों कर रहे हैं? पृथ्वी एक दिन शुक्र बन सकती है। मुझें नहीं पता। शायद 10,000 साल बाद पृथ्वी अपनी विशेषताएं बदल लेगी। पृथ्वी पहले भी ऐसी कभी नहीं थी। बहुत समय पहले यह रहने योग्य जगह नहीं थी।”

शुक्र सूर्य के बाद दूसरा ग्रह है और पृथ्वी का निकटतम पड़ोसी ग्रह है। इसे अक्सर पृथ्वी का जुड़वां कहा जाता है क्योंकि यह आकार और घनत्व में समान है। अन्य देशों द्वारा पहले लॉन्च किए गए वीनस मिशनों में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का वीनस एक्सप्रेस (2006 से 2016 तक परिक्रमा) और जापान का अकात्सुकी वीनस क्लाइमेट ऑर्बिटर (2016 से परिक्रमा) और नासा का पार्कर सोलर प्रोब शामिल है।

सौर ग्रहों या ऐसे ग्रहों को देखने के लिए एक मिशन है जो हमारे सौर मंडल से बाहर हैं और अन्य सितारों की परिक्रमा कर रहे हैं।” एक्सो-ग्रहों में से कम से कम 100 में वायुमंडल मौजूद है। मिशन एक्सो-ग्रहों के वातावरण का अध्ययन करेगा और पता लगाएगा कि क्या वे रहने योग्य हैं या नहीं।

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