विमुद्रीकरण के दिन को याद करें, जब 500 और 1000 रुपये के नोटों को रातों-रात बंद करने का फैसला किया गया था। बाद में नए नोट जारी किए गए। अब एक बार फिर नोटों में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं. जेब में रखे नोट को बदला जा सकता है। ऐसे संकेत हैं,कि आने वाले दिनों में नोटों में बदलाव हो सकता है। ये शिकायतें सामने आ रही हैं कि नेत्रहीन लोगों को सिक्कों और नोटों को पहचानना मुश्किल हो रहा है, जिसके बाद अब विशेषज्ञों की टीम इसकी जांच कर रही है. कोर्ट ने यह जिम्मेदारी विशेषज्ञों की टीम को सौंपी है।
नोट और सिक्कों में बदलाव के संकेत हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट ने देश में रुपया और सिक्के दृष्टिबाधित लोगों के अनुकूल हैं या नहीं इस पर अपना सुझाव देने को कहा है। साथ ही यह भी कहा गया है कि कैसे नोटों को उनके अनुकूल बनाया जा सकता है, यह भी बताएं।
अदालत ने कहा कि वे दृष्टिबाधित व्यक्तियों के राष्ट्रीय संघ (एनएबी) की याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं और इसके लिए उन्होंने विशेषज्ञों की एक टीम सौंपी है।
आखिर क्या है याचिका में
दरअसल, NB ने दावा किया है कि विमुद्रीकरण के बाद आए नए नोटों और सिक्कों को पहचानने में दृष्टिबाधित लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इन नोटों को उनके अनुरूप नहीं बनाया गया है,
जिसके कारण उन्हें असली और नकली नोटों में अंतर करना मुश्किल हो जाता है। इस संबंध में उन्होंने कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसके बाद कोर्ट ने इसको लेकर आरबीआई से सवाल किया है। और उनसे इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगा है।
आरबीआई ने जवाब दिए
अदालत के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि नई मुद्रा में इस बात का ध्यान रखा गया है कि दृष्टिबाधित लोग नोट को छूकर कैसे पहचान सकते हैं. भारतीय रुपये को पहचान के लिए स्पर्श से संबंधित कई विशेषताएं दी गई हैं।उन बातों को ध्यान में रखते हुए आप नोट को छूकर आसानी से उसकी पहचान कर सकते हैं। हालांकि, कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से विशेषज्ञों से सुझाव लेने को कहा है कि कैसे दृष्टिबाधित लोगों के लिए सिक्कों और रुपये का डिजाइन तैयार किया जा सकता है।