भोपाल। पूर्व परिवहन आरक्षक के यहां पड़े छापे में हुए खुलासे के बाद भी कई सनसनीखेज जानकारियां सामने आ रही हैं। फर्जी शपथ पत्र से नौकरी पाने के मामले में अब सौरभ के अलावा उसकी मां के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज होना तय माना जा रहा है। दरअसल, मां के झूठे शपथ पत्र के आधार पर ही सौरभ को अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। इधर, छापे के बाद मिली बेहिसाब संपत्ति के बाद अब वह कई जांच एजेंसियों के निशाने पर आने के बाद जयपुरिया स्कूल प्रबंधन ने भी उन्हें फ्रेंचाइजी देने से हाथ खींच लिए हैं। इस बीच पता चला है कि वह बीते माह चीन भी गया था। बताया जा रहा है कि वह चीन स्कूल के इंटीरियर के संबध में गया था। छापे में उसके घर से चार देशों की मुद्रा मिलने की वजह से अब यह भी पता लगाया जा रहा है कि वह किन किन देशों की यात्रा कर चुका है और इन यात्राओं के पीछे की वजह क्या थी। जिन देशों की मुद्रा उसके ठिकानों से मिली है उसमें अमेरिका, चीन और सिंगापुर जैसे देश शामिल हैं। उधर, लोकायुक्त की टीम ने ग्वालियर पहुंचकर परिवहन मुख्यालय से उसकी नियुक्ति की पूरी फाइल भी मांगी है। इससे ये पता करने की कोशिश की जा रही है कि किन-किन अफसरों की सिफारिश पर सौरभ की नियुक्ति हुई थी।
2016 में ट्रांसपोर्ट कॉन्स्टेबल बनने से पहले सौरभ ग्वालियर के सिटी सेंटर स्थित अपने मकान में थंप डांस एकेडमी और फिटनेस सेंटर चलाता था। इसी इलाके में दिव्या भी डांस एकेडमी चलाती थी। दिव्या कोरियोग्राफर रही है। शहर में होने वाले कार्यक्रमों के दौरान सौरभ और दिव्या संपर्क में आए। दोनों शुरू से ही बहुत महत्वाकांक्षी रहे हैं। दिव्या शहर में होने वाले आयोजनों के दौरान मीडिया की सुर्खियों में रहती थी। उसने ग्वालियर में कई सेलिब्रिटी के कार्यक्रम भी करवाए हैं। 2016 में सौरभ के परिवहन आरक्षक बनने के बाद थंप स्टूडियो का पूरा मैनेजमेंट दिव्या के पास आ गया। इस दौरान यहां कई कार्यक्रम हुए। साल 2019 तक तो सौरभ की पोस्टिंग ग्वालियर में ही रही, लेकिन इसके बाद जैसे-जैसे सौरभ का रुतबा बढ़ा तो थंप स्टूडियो को किसी और को 25 हजार रुपए महीने के किराए पर दे दिया गया। सौरभ परिवार समेत भोपाल शिफ्ट हो गया। 2022 में शाहपुरा में एनजीओ की जमीन पर स्कूल बनाने का प्रोजेक्ट सौरभ ने अपनी पत्नी दिव्या के लिए सोचा था। सौरभ ने इस जमीन पर जयपुरिया स्कूल का प्रोजेक्ट शुरू किया। इस स्कूल में उसने पत्नी दिव्या को डायरेक्टर बनाया है। दिव्या चाहती थी कि उसे किसी इंस्टीट्यूशन को लीड करने का मौका मिले।
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