ग्वालियर
खड़ी फसल पर ओलों की मार के बाद अब किसानों पर अफसरों की मनमर्जी की गाज गिरी है। जनवरी के दूसरे सप्ताह में हुई ओलावृष्टि से फसलों का जो नुकसान हुआ, उसके मुआवजे की राशि प्रदेशभर में पीड़ित किसानों के लिए बीते रोज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्रांसफर की।
ग्वालियर में भी 8 हजार 835 किसानों को 10 करोड़ 60 लाख 30 हजार 507 रुपए का मुआवजा दिया गया। लेकिन मुआवजे के लिए तैयार अधिकारियों की सर्वे रिपोर्ट विवादास्पद हो गई है। 17 दिन में तीन बार ये रिपोर्ट पीड़ित किसानों की संख्या और मुआवजा राशि कम कर भू-अभिलेख अधीक्षक द्वारा मप्र के राहत आयुक्त को भेजी गई है। 25 जनवरी से 10 फरवरी तक के बीच राजस्व विभाग की टीम ने 3 सर्वे रिपोर्ट तैयार की और हर रिपोर्ट में प्रभावित गांव-किसान व मुआवजा राशि कम होती गई। जिस वजह से ओला पीड़ित कई किसान मुआवजे से छूट गए हैं।
ये है सर्वे हर बार इस तरह से कम होते चले गए पीड़ित किसान
- 25 जनवरी- पहली रिपोर्ट तैयार हुई, जिसमें बताया गया कि डबरा, चीनौर, घाटीगांव और भितरवार ब्लॉक के 51 गांव में 10441.48 हेक्टेयर रकबे में फसल का नुकसान हुआ। इसमें 14 हजार 224 किसानों का 23 करोड़ 87 लाख रुपए के नुकसान का आकलन दिया गया।
- 29 जनवरी- दूसरी रिपोर्ट में 46 गांव में 6109.591 हेक्टेयर रकबे में फसल का नुकसान हुआ। जिसमें 9 हजार 901 किसान प्रभावित हुए और उनका 13 करोड़ 80 लाख रुपए का नुकसान हो गया। यानी कि 4 दिन में ही सर्वे में 5 गांव, 10.07 करोड़ रुपए और 4 हजार 323 किसान कम हो गए।
- 10 फरवरी- तीसरी व अंतिम रिपोर्ट में ये सभी आंकड़े फिर बदल गए और 42 गांव में ही फसलों का नुकसान माना। जिसमें 6637.791 हेक्टेयर रकबे की फसल बर्बाद होना बताया गया और इसमें 10 करोड़ 60 लाख रुपए का नुकसान बताया, जो कि बीते दिनों मुख्यमंत्री ने पीड़ितों को दिया। पहली रिपोर्ट की तुलना में टीम ने 9 गांव 5 हजार 389 किसान और 13 करोड़ 27 लाख रुपए कम कर दिए।
सर्वे में सुधार के लिए बार-बार बनी रिपोर्ट
प्रारंभिक सर्वे के बाद नुकसान को लेकर दावे-आपत्तियां ली जाती हैं और उन सभी सुनवाई व निपटारे के बाद फाइनल रिपोर्ट तैयार करते हैं। बार-बार रिपोर्ट तैयार होने का कारण भी यही है कि सर्वे में लगातार सुधार किया गया। – कौशलेंद्र विक्रम सिंह, कलेक्टर