गुरुवार को वाईएस शर्मिला ने अपनी पार्टी वाईएसआर तेलंगाना पार्टी का कांग्रेस में विलय कर लिया। जुलाई 2021 में शर्मिला ने भाई जगन मोहन की पार्टी से अलग होकर नई पार्टी शुरू की थी।दक्षिण की राजनीति में गुरुवार को बड़ा बदलाव देखने को मिला। आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले वाईएस शर्मिला की पार्टी वाईएसआर तेलंगाना पार्टी का कांग्रेस में विलय हो गया है। पहले कर्नाटक फिर तेलंगाना के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को मिली जीत के बाद यह विलय पार्टी के लिए काफी अहम साबित हो सकता है।
आइए जानते हैं कि कौन हैं वाईएस शर्मिला? उनका सियासी सफर कैसा रहा है? शर्मिला ने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में क्यों किया? इस फैसले से कांग्रेस को क्या मिलेगा?
कौन हैं वाईएस शर्मिला?
वर्तमान में वाईएस शर्मिला तेलंगाना में सक्रिय वाईएसआर तेलंगाना पार्टी की संस्थापक और अध्यक्ष हैं। 49 वर्षीय शर्मिला का जन्म हैदराबाद में पुलिवेंदुला में वाईएस राजशेखर रेड्डी और विजयम्मा के घर हुआ था। उनका पालन पोषण ही राजनीतिक वातावरण में हुआ। शर्मिला के पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी अविभाजित आंध्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, जबकि उनके बेटे और शर्मिला के बड़े भाई जगन मोहन आंध्र प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं।
शर्मिला का ताल्लुक ईसाई परिवार से है। दरअसल, उनके पति एम. अनिल कुमार कारोबारी होने के साथ-साथ एक ईसाई धर्म प्रचारक भी हैं। दोनों ने प्रेम विवाह किया था और उनके दो बच्चे हैं।
कैसे शुरू हुआ राजनीतिक सफर?
शर्मिला ने अपनी सियासी पारी का आगाज कठिन परिस्थितियों में किया था। दरअसल, मई 2012 में उनके बड़े भाई जगन को गबन के आरोप में सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया। भाई के जेल जाने के बाद बहन शर्मिला ने मां वाईएस विजयम्मा के साथ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की ओर से प्रचार का जिम्मा संभाला। जिस जगन की गिरफ्तारी हुई उस वक्त आंध्र प्रदेश में 18 विधानसभा सीटों हुए एक लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव होने वाले थे। वाईएसआरसीपी ने 18 सीटों में से 15 और इकलौती लोकसभा सीट पर जीत हासिल की।
3,000 किमी की पदयात्रा कर बढ़ाया जनाधार
शर्मिला ने अक्तूबर 2012 को कडप्पा जिले के इदुपुलापाया में 3,000 किमी की पदयात्रा शुरुआत की। उन्होंने इसे अगस्त 2013 को इच्छापुरम में पूरा किया। पार्टी की संयोजक ने यात्रा के दौरान 14 जिले नाप डाले जिससे उनकी छवि को काफी मजबूती मिली।
पिछले विधानसभा चुनाव से पहले बस यात्रा किया
अप्रैल 2019 के आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ बस यात्रा कर शर्मिला एक बार फिर सुर्खियों में आईं। इस बार उन्होंने ‘बाय बाय बाबू’ टाइमर घड़ी के साथ बसों में पूरे आंध्र प्रदेश में 11 दिनों की बस यात्रा की। ‘प्रजा थेरपु – बाय बाय बाबू’ अभियान में शर्मिला ने 1,553 किमी की यात्रा की और जनसमर्थन जुटाया। भाई जगन के साथ की गई इस मेहनत का फायदा भी मिला और 2019 के विधानसभा चुनाव में पार्टी सत्ता में आ गई।
फिर जगी महत्वाकांक्षा और भाई से हो गईं अलग
फरवरी 2021 में शर्मिला ने भाई की पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इस दौरान शर्मिला ने आरोप लगाया कि भाई जगन मोहन रेड्डी के साथ उनके राजनीतिक मतभेद हैं और दावा किया कि तेलंगाना में पार्टी का कोई आधार नहीं है। इसके साथ ही अप्रैल 2021 को शर्मिला ने घोषणा की थी कि तेलंगाना में एक नई राजनीतिक पार्टी लॉन्च करेंगी। 8 जुलाई 2021 को पिता राजशेखर रेड्डी की जन्मतिथि पर शर्मिला ने वाईएसआर तेलंगाना के नाम से नई पार्टी शुरू की। उधर शर्मिला द्वारा नई पार्टी बनाने के एक साल बाद उनकी मां वाईएस विजयम्मा ने अपने बेटे की वाईएसआरसी से इस्तीफा दे दिया और शर्मिला की पार्टी को समर्थन देने की घोषणा की।
अब कांग्रेस के साथ विलय की बात कैसे आई?
हाल ही में संपन्न तेलंगाना विधानसभा चुनाव के दौरान अटकलें लगाई जा रही थीं कि या तो शर्मिला कांग्रेस के साथ गठबंधन करेंगी या कांग्रेस के साथ पार्टी का विलय कर देंगी। हालांकि, शर्मिला ने घोषणा की कि उनकी पार्टी तेलंगाना विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगी और एक तरह से चुनाव में कांग्रेस को मौन समर्थन दे दिया। इससे पहले सितंबर 2023 में शर्मिला ने कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी और पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की थी। उस वक्त विलय के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा था, ‘यह एक बहुत ही सौहार्दपूर्ण बैठक थी। बहुत अच्छी बैठक थी। बाकी चीजों का आप इंतजार कीजिए और देखते रहिए।’
इस फैसले से कांग्रेस को क्या मिलेगा?
आखिरकार साल की शुरुआत में शर्मिला ने कांग्रेस में पार्टी के विलय का निर्णय लिया है। गुरुवार को वाईएस शर्मिला दिल्ली में औपचारिक रूप से कांग्रेस में शामिल हो गईं और अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया। इस दौरान शीर्ष कांग्रेस नेताओं मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी की भी मौजूदगी रही। पहले कर्नाटक और फिर पड़ोसी राज्य तेलंगाना में मिली जीत के बाद कांग्रेस के लिए यह एक अहम कदम साबित हो सकता है। शर्मिला के कांग्रेस के साथ विलय से इस साल होने वाला आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव दिलचस्प हो जाएगा, क्योंकि कहा जा रहा है कि शर्मिला को दक्षिणी राज्यों का चुनाव प्रभारी बनाया जा सकता है।