मुनेश त्यागी
ए भगतसिंह तू जिंदा है
हर एक लहू के कतरे में,
भिची हुई हर मुट्ठी में ,
हर इंकलाब के नारे में ,
ए भगत सिंह तू जिंदा है,
सूरज चांद सितारों में,
मजदूरों के नारों में ,
जनता के जयकारों में,
हां कम्युनिस्टों के नारों में,
ए भगत सिंह तू जिंदा है,
लेनिन की मुडी किताबों में,
सुखदेवों और आजादों में,
बिस्मिलों और अशफाकों में,
रक्त से सने फरहरों में ,
ए भगत सिंह तू जिंदा है में ,
इंकलाब की लहरों में ,
भारत छोड़ो के नारों में,
नेवी के विद्रोहों में ,
आजाद हिंद की फौजों में,
ए भगत सिंह तू जिंदा है,
संसद में फेंके परचों में,
जन गण मन की हुंकारों में,
छात्र किसान मजदूरों में ,
जनता के अरमानों में,
ए भगत सिंह तू जिंदा है।
ए भगत सिंह तू जिंदा है
हर एक लहू के कतरे में,
भींची हुई हर मुट्ठी में
हर इंकलाब के नारे में
ए भगत सिंह तू जिंदा है।