एस पी मित्तल,अजमेर
इसे सनातन संस्कृति में श्रद्धा और विश्वास का भाव ही कहा जाएगा कि जिस स्थान पर ॐ बना की दुखद मौत हुई वही स्थान आज लोगों की समस्याओं के समाधान का स्थल बन गया है। यह स्थल राजस्थान से गुजर रहे नेशनल हाईवे-62 पर पाली से बीस किलोमीटर दूर चोटिला गांव में है। एक पारिवारिक विवाह समारोह में मैं दो दिन 21 व 22 फरवरी को पाली में ही रहा,तभी मुझे पहली बार ॐ बना की समाधि स्थल और चमत्कारिक रॉयल एनफील्ड मोटरसाइकिल देखने को मिली। मेरे साथ मेरे रिश्तेदार देवली निवासी उमेश मित्तल भी साथ थे।
समाधि स्थल पर मेरी मुलाकात राजस्थान नगर पालिका सेवा के लोकप्रिय आयुक्त रहे पदम सिंह नरूका से हुई। मैंने जब समाधि स्थल पर आने का कारण पूछा तो नरूका ने कहा कि हम सनातन संस्कृति को मानने वाले लोग हैं और यदि किसी स्थल पर हजारों लोग प्रतिदिन आते हैं तो यह स्थल अपने आप धार्मिकता से जुड़ जाता है। मैं भी एक सनातनी के नाते ऊँ बना की समाधि स्थल पर आया हंू। नरूका जैसे अनेक श्रद्धालु मिले जिन्होंने माना यहां से गुजरने के कारण ही आए हैं। चूंकि ऊँ बना का समाधि स्थल आवागमन के मद्देनजर आदर्श स्थिति में है इसलिए रात और दिन भीड़ लगी रहती है। यही वजह है कि समाधि स्थल के आसपास शाानदार रेस्टोरेंट और होटल बन गए हैं। ऊँ बना की समाधि स्थल की कहानी भी बड़ी रोचक है। 2 दिसंबर 1988 को जब राजपूत युवक ओम इस मार्ग से गुजर रहे थे कि तभी उनकी रॉयल इनफिल्ड मोटर साइकिल बेर के पेड़ से टकरा गई। हालांकि यह दुर्घटना सामान्य थी, लेकिन इसमें चमत्कार तब जुड़ा जब मोटर साइकिल दुर्घटना स्थल से हटाया गया। ऊँ बना के परिजनों का दावा है कि मोटर साइकिल को कितनी भी दूर छोड़ा गया, लेकिन मोटर साइकिल चमत्कारिक ढंग से वापस दुर्घटना स्थल पर आ गई। ऐसा प्रतीत हुआ कि मोटर साइकिल ऊँ बना से अलग नहीं होना चाहती है। यही वजह रही कि परिजन ने दुर्घटना वाले पेड़ के निकट की ॐ बना की समाधि बनाई और समाधि के पास ही मोटर साइकिल को भी सुरक्षित रखा। अब लोग समाधि पर श्रद्धा भाव तो रखते ही है, साथ ही चमत्कारिक मोटर साइकिल को भी देखते हैं। बहुत से लोग समाधि स्थल पर स्थापित ॐ बना की प्रतिमा को शराब भी पिलाते हैं। मान्यता है कि प्रतिमा को शराब पिलाने से दुर्घटना के समय व्यक्ति सुरक्षित रहता है। श्रद्धा भाव रखने वाले लोग महंगी शराब की बोतल का ढक्कन प्रतिमा के सामने ही खोलते हैं। ॐ बना के माता पिता का तो स्वर्गवास हो गया है, लेकिन उनकी पत्नी और एकमात्र पुत्र अभी धार्मिक गतिविधियों में सक्रिय हैं। पुत्र पराक्रम सिंह का जन्म ॐ बना की मृत्यु के दो माह बाद हुआ। 34 वर्षीय पुत्र पराक्रम ही मुख्य उत्तराधिकारी है। उन्होंने मुझे बताया कि इसे ही चमत्कार कहा जाएगा कि जो व्यक्ति श्रद्धाभाव से समाधि स्थल पर आते हैं उनकी मनोकामना पूर्ण होती है, क्योंकि यह स्थल जोधपुर-पाली एक्सप्रेस हाइवे के किनारे हैं इसलिए रात भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। इस श्रद्धा भाव को देखते हुए ही समाधि स्थल पर चौबीस घंटे ज्योत (अग्नि प्रज्ज्वलन) जलती है। श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए मंदिर प्रबंध समिति का गठन भी किया गया है। मंदिर में आने वाले चढ़ावे को सामाजिक कार्यों पर भी खर्च किया जाता है। क्षेत्र की गौशालाओं में चारा उपलब्ध करवाने से लेकर सरकारी स्कूलों में विकास कार्य तक करवाए जाते हैं। ॐ बना से जुड़े इस धार्मिक स्थल के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9587243240 पर उत्तराधिकारी पराक्रम सिंह से ली जा सकती है।