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मां-पिता पर ओम व्यास ओम की कविता

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मां, मां-मां संवेदना है, भावना है अहसास है
मां, मां जीवन के फूलों में खुशबू का वास है।
मां, मां रोते हुए बच्चों का खुशनुमा पलना है,
मां, मां मरूथल में नदी या मीठा सा झरना है।
मां, मां लोरी है, गीत है, प्यारी सी थाप है,
मां, मां पूजा की थाली है, मंत्रों का जाप है।
मां, मां आंखों का सिसकता हुआ किनारा है

मां, मां गालों पर पप्पी है, ममता की धारा है।

मां, मां झुलसते दिलों में कोयल की बोली है,

मां, मां मेहंदी है, कुमकुम है, सिंदूर है, रोली है।

मां, मां कलम है, दवात है, स्याही है,

मां, मां परमात्मा की स्वयं एक गवाही है।

मां, मां त्याग है, तपस्या है, सेवा है,

मां, मां फूंक से ठंडा किया हुआ कलेवा है।

मां, मां अनुष्ठान है, साधना है, जीवन का हवन है,

मां, मां जिंदगी के मोहल्ले में आत्मा का भवन है।

मां, मां चूड़ी वाले हाथों के मजबूत कंधों का नाम है,

मां, मां काशी है, काबा है और चारों धाम है।

मां, मां चिंता है, याद है, हिचकी है,

मां, मां बच्चों की चोट पर सिसकी है।

मां, मां चुल्हा-धुंआ-रोटी और हाथों का छाला है,

मां, मां जंदगी की कड़वाहट में अमृत का प्याला है।

मां, मां पृथ्वी है, जगत है, धूरी है,

मां बिना इस सृष्टि की कल्पना अधूरी है।

तो मां की ये कथा अनादि है

ये अध्याय नहीं है…

….और मां का जीवन में कोई पर्याय नहीं है।

मां का महत्व दुनिया में कम हो नहीं सकता,

और मां जैसा दुनिया में कुछ हो नहीं सकता।

और माँ जैसा दुनिया में कुछ हो नहीं सकता,

मैं कला की ये पंक्तियां मां के नाम करता हूं,

और दुनिया की सभी माताओं को प्रणाम करता हूं। 

पिता……
पिता जीवन है, संबल है, शक्ति है
पिता सृष्टि के निर्माण की अभिव्यक्ति है

पिता उंगली पकड़े बच्चे का सहारा है
पिता कभी कुछ खट्टा, कभी खारा है

पिता पालन है, पोषण है, पारिवारिक अनुशासन है
पिता धौंस से चलने वाला प्रेम का प्रशासन है

पिता रोटी है, कपड़ा है, मकान है
पिता छोटे से परिंदे का बड़ा आसमान है

पिता अप्रदर्शित अनन्त प्यार है
पिता है तो बच्चों को इंतजार है

पिता से ही बच्चों के ढेर सारे सपने हैं
पिता है तो बाज़ार के सब खिलौने अपने हैं

पिता से परिवार में प्रतिपल राग है
पिता से ही माँ का बिंदी और सुहाग है

पिता परमात्मा की जगत के प्रति आसक्ति है
पिता गृहस्थ आश्रम में उच्च स्थिति की भक्ति है

पिता अपनी इच्छाओं का हनन और परिवार की पूर्ति है
पिता रक्त में दिये हुए संस्कारों की मूर्ति है

पिता एक जीवन को जीवन का दान है
पिता दुनिया दिखाने का अहसान है

पिता सुरक्षा है, सिर पर हाथ है
पिता नहीं तो बचपन अनाथ है

तो पिता से बड़ा तुम अपना नाम करो
पिता का अपमान नहीं, उन पर अभिमान करो

क्योंकि मां­ बाप की कमी कोई पाट नहीं सकता
और ईश्वर भी इनके आशीषों को काट नहीं सकता

विश्व में किसी भी देवता का स्थान दूजा है
मां­ बाप की सेवा ही सबसे बड़ी पूजा है

विश्व में किसी भी तीर्थ की यात्राएं व्यर्थ हैं
यदि बेटे के होते मां­ बाप असमर्थ हैं

वो खुशनसीब हैं मां­ बाप जिनके साथ होते हैं
क्योंकि मां बाप की आशीषों के हजारों हाथ होते हैं

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