कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन ने भारत में दस्तक दे दी है। आशंका जताई जा रही है कि ये वैरिएंट डेल्टा से भी खतरनाक है और कोरोना वैक्सीन को भी बेअसर कर सकता है। डेल्टा वैरिएंट की वजह से ही भारत में भयावह दूसरी लहर आई थी। अब तक ओमिक्रॉन 29 देशों में फैल चुका है। इस वैरिएंट के भारत में फैलने पर नतीजे खतरनाक हो सकते हैं।
बेंगलुरू में एक विदेशी समेत दो ओमिक्रॉन संक्रमित मिले
कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन भारत में भी पहुंच गया है। देश में इसके पहले दो मरीज कर्नाटक में मिले हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की है। इनमें एक 66 साल का विदेशी नागरिक है, जो पिछले दिनों साउथ अफ्रीका गया था, जबकि दूसरा बेंगलुरू का 46 साल का हेल्थ वर्कर है। दोनों की पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे गए थे। इसकी रिपोर्ट में ओमिक्रॉन वैरिएंट की पुष्टि हुई है।
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, जिस विदेशी नागरिक की रिपोर्ट में ओमिक्रॉन वैरिएंट पाया गया है, बेंगलूरू म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन की तरफ से जारी इस नागरिक की ट्रैवल रिपोर्ट में बताया गया है कि 20 नवंबर को बेंगलुरू पहुंचने पर वह पॉजिटिव पाया गया था। उसे होटल में क्वारैंटाइन करने के बाद उसके संपर्क में आए 240 लोगों का टेस्ट किया गया, जिनकी रिपोर्ट निगेटिव मिली है। इस विदेशी नागरिक ने 27 नवंबर की रात को 12 बजकर 12 मिनट पर होटल से टैक्सी ली और एयरपोर्ट पहुंचकर वह UAE के लिए रवाना हो गया। म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन ने अपनी रिपोर्ट में यह नहीं बताया है कि जाने से पहले उस विदेशी की दूसरी टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आई थी या नहीं।
दूसरी लहर के दौरान देश को हॉस्पिटल बेड, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन से लेकर दवाओं की कमी से भी जूझना पड़ा था। अब जब कोरोना का नया वैरिएंट दुनियाभर में फैल रहा है तो भारत में भी तीसरी लहर का खतरा मंडराने लगा है।
आइए समझते हैं, सरकार ने ऑक्सीजन की कमी से निपटने के लिए क्या तैयारी की है? जहां अभी केसेज मिल रहे हैं, उन राज्यों ने क्या तैयारी की है? राज्यों में वेंटिलेटर और ऑक्सीजन बेड की कितनी उपलब्धता है? पहली और दूसरी लहर के दौरान कितनी ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी थी? और तीसरी लहर के दौरान हमें कितने हॉस्पिटल बेड की जरूरत हो सकती है?
सबसे पहले जानते हैं एक मरीज को कितनी ऑक्सीजन की जरूरत होती है?
अप्रैल 2020 में नेशनल हेल्थ मिशन ने राज्यों को लेटर लिखा था। इसमें कहा गया था कि एक रेगुलर बेड पर एडमिट मरीज को एक मिनट में 7.14 लीटर ऑक्सीजन की जरूरत होती है। वहीं, ICU में एडमिट एक मरीज को एक मिनट में 11.90 लीटर ऑक्सीजन की जरूरत होती है। राज्य इसी आधार पर अपनी ऑक्सीजन की जरूरत को कैलकुलेट करें।
हालांकि इसी साल अप्रैल और जून में सरकार ने इस गाइडलाइन में बदलाव किया। जून में जारी गाइडलाइन के मुताबिक, ICU में एडमिट एक मरीज के लिए हर मिनट 30 लीटर और रेगुलर मरीज के लिए हर मिनट 10 लीटर ऑक्सीजन की जरूरत बताई गई।
केंद्र सरकार ने राज्यों को किस हिसाब से तैयारी करने को कहा है?
केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा है कि वे दूसरी लहर की पीक के दौरान मिले केसेज से 1.25 गुना ज्यादा केसेज को ध्यान में रखकर तैयारी करें। दूसरी लहर की पीक के दौरान भारत में एक दिन में 4 लाख से ज्यादा केसेज मिले थे।
साथ ही केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा है कि तीसरी लहर के दौरान कुल मरीजों के करीब 23% को हॉस्पिटलाइजेशन की जरूरत पड़ सकती है। राज्य सरकारें इसी हिसाब से तैयारी करें।
पहली और दूसरी लहर के दौरान कितनी ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी थी?
जुलाई 2021 में लोकसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए सरकार ने बताया था कि पहली लहर की पीक के दौरान हर दिन 3,095 टन ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी थी। दूसरी लहर के दौरान इसमें करीब 3 गुना की बढ़ोतरी हुई और हर दिन 9 हजार टन ऑक्सीजन की जरूरत थी।
अभी जिन राज्यों में केसेज मिल रहे हैं, वो तीसरी लहर से निपटने की तैयारी कैसे कर रहे हैं?
देश में अभी सबसे ज्यादा केस केरल और महाराष्ट्र में मिल रहे हैं। आइए समझते हैं, ये दोनों राज्य तीसरी लहर से निपटने के लिए किस तरह तैयारी कर रहे हैं…
- कुल एक्टिव केसेज के लिहाज से केरल देश में टॉप पर है। राज्य एक दिन में करीब 550 टन ऑक्सीजन का प्रोडक्शन कर सकता है। अगस्त में जब केरल में सबसे ज्यादा केस मिल रहे थे, तब राज्य में हर दिन करीब 110 टन ऑक्सीजन का कंजम्प्शन हो रहा था। इस लिहाज से केरल ने अपनी ऑक्सीजन प्रोडक्शन कैपेसिटी को 5 गुना बढ़ाया है।
- दूसरी लहर की पीक के दौरान महाराष्ट्र में एक्टिव केस 6 लाख से भी ज्यादा हो गए थे। तब राज्य को हर दिन करीब 1700 टन ऑक्सीजन की जरूरत थी। तीसरी लहर को देखते हुए राज्य में 619 PSA लगाने की तैयारी है, जिसमें से 150 इंस्टॉल किए जा चुके हैं। साथ ही ऑक्सीजन स्टोरेज कैपेसिटी को भी करीब 3 हजार टन कर लिया गया है।
सरकार किस तरह बढ़ा रही है ऑक्सीजन का प्रोडक्शन?
- दूसरी लहर के बाद सरकार ने देशभर में 3,631 प्रेशर स्विंग एब्जॉर्प्शन (PSA) प्लांट लगाने को अप्रूवल दिया था। ये प्लांट हवा में से ऑक्सीजन को छोड़ बाकी गैस को अलग कर उसे मरीजों को सप्लाई करते हैं। 6 अक्टूबर तक 1100 से ज्यादा प्लांट्स इंस्टॉल किए जा चुके हैं, जो हर दिन करीब 1750 टन ऑक्सीजन का प्रोडक्शन कर सकते हैं। सरकार ने इन्हें ऑपरेट करने के लिए 7 हजार से ज्यादा टेक्निकल स्टाफ को ट्रेनिंग भी दी है।
- सरकार ने देश में डेली ऑक्सीजन प्रोडक्शन का टारगेट 15 हजार टन रखा है। दूसरी लहर के दौरान देश में करीब 10 हजार टन ऑक्सीजन की सप्लाई हो रही थी।
- सितंबर 2021 की एक खबर के अनुसार, सरकार ने फेस्टिवल सीजन को देखते हुए 2 लाख से ज्यादा ICU बेड तैयार किए हैं। इनमें से 50% बेड में वेंटिलेटर भी है।
तीसरी लहर में हमें कितने हॉस्पिटल बेड की जरूरत हो सकती है?
दूसरी लहर के दौरान देश में एक दिन में सबसे ज्यादा 4 लाख 14 हजार मामले मिले थे। सरकार ने अनुमान लगाया है कि तीसरी लहर के दौरान कुल मरीजों के 23% को हॉस्पिटलाइजेशन की जरूरत होगी। अगर तीसरी लहर के दौरान एक दिन में 4.14 लाख केसेज मिलते हैं और सरकार भी इसी लिहाज से तैयारी करती है तो 95 हजार हॉस्पिटल बेड रेडी होना चाहिए।