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आबकारी से आय में शुरूआती पांच माह में डेढ़ हजार करोड़ की चपत

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भोपाल। प्रदेश सरकार के खजाना भरने में अहम भूमिका निभाने वाले आबकारी विभाग की आय में शुरूआती पांच माह में सरकार को डेढ़ हजार करोड़ की चपत लग चुकी है। इसकी वजह है विभाग की आय में कमी आना।
सरकार द्वारा विभाग की आय के लिए शुरूआती पांच माह अप्रैल से लेकर अगस्त माह तक के लिए 5247 करोड़ रुपए का लक्ष्य तय किया गया था, किंतु इन पांच माह में आए सिर्फ 3700 करोड़ रुपए। विभाग की आय में कमी की बड़ी वजह शराब ठेकेदारों के दबाव में ठेके की अवधि में वृद्धि करने के साथ ही बेहद कम दर पर ठेकों को दिया जाना बताया जा रहा है। अगर यही हाल रहा तो माना जा रहा है कि विभाग की आय को 19-20 की स्थिति में लाने के लिए पांच  साल तक का समय लग सकता है। उस समय सरकार की आबकारी से होने वाली आय 15 हजार करोड़ रुपए के आंकड़े को पा कर गई थी। उल्लेखनीय है कि पहले आबकारी से होने वाली आय का लक्ष्य इस साल के लिए 13 हजार करोड़ रुपए तय किया गया था, लेकिन बाद में उसे मिल रहे रूझानों के चलते रिवाइज्ड कर 15 हजार करोड़ रुपए कर दिया गया। इस बीच कोरोना की वजह से करीब दो महीने तक शराब की दुकानें बंद रहने से भी आय में तेजी से गिरावट हुई है। इसकी वजह से राज्य सरकार को आबकारी से जैसे तैसे 7 हजार करोड़ रुपए ही मिल पाए।
यह भी है आय गिरने की बड़ी वजह
खास बात यह है कि इस विभाग में दागी अफसरों का पूरी तरह से वर्चस्व है। कई अफसरों के प्रभाव की वजह से उनकी जांच को दबा कर रखा गया है। यही अफसर विभाग में नीतिगत फैसले भी लेते हैं। आबकारी विभाग ने इस वर्ष के शुरुआती 5 माह के लिए अलग-अलग लक्ष्य तय किया हुआ था , लेकिन इसे हासिल नहीं किया जा सका। इसकी वजह से सरकार को इन पांच माह में तीस फीसदी आय का नुकसान हुआ है। राजस्व में इतनी भारी आयी कमी को लेकर विभाग का कोई भी आला अफसर कुछ भी बोलने को तैयार नही है।
सरकार को लक्ष्य हासिल करने में सबसे अधिक नुकसान शुरुआती तीन माह में हुआ है। इन तीन माह में सरकार ने 3632 करोड़ 70 लाख रुपए की आय का लक्ष्य रख था, लेकिन आय हुई महज 2078 करोड़ रुपए की। इन पांच माह में विभाग के लिए आय की दृष्टि से जुलाई माह सबसे अच्छा रहा है। इस माह में विभाग को तय लक्ष्य से अधिक राजस्व प्राप्त हुआ है। विभाग ने इस माह का लक्ष्य 807 करोड़ का तय किया था, जबकि उसकी आय हुई है 983 करोड़ से अधिक। आय के मामले में सबसे खराब स्थिति वित्त वर्ष के पहले माह में रही। अप्रैल माह के लिए 1210.90 करोड़ का लक्ष्य तय किया गया था ,लेकिन आय महज 311.02लाख रुपए की ही हो सकी।
दोगुनी हुई थी आय
पुरानी शिव सरकार के समय आबकारी महकमे द्वारा प्रदेश में शराब की दुकानों की नीलामी कई सालों से 20 फीसदी की वृद्धि के साथ की जा रही थी, जिसकी वजह से पांच छह सालों में ही सरकार की शराब ठेकों से होने वाली आय दोगुनी हो गई थी। इसकी वजह से ही अब तक सर्वाधिक राजस्व 2019- 20 में सरकार को पहली बार 15 हजार करोड़ रुपए का मिला। इसके बाद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद नई शराब नीति को लागू किया गया , जिसके बाद से ही इस विभाग की आय में कमी आनी शुरू हो गई। यही नहीं इसके बाद रही सही कसर कोरोना की वजह से लागू किए लॉकडाउन ने भी पूरी कर दी। अब माना जा रहा है कि पुरानी स्थिति तक आने में दो – चार साल का समय लगना तय माना जा रहा है।

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