(साफ-पाक, दो-टूक बात)
अनामिका, प्रयागराज
कृष्ण की भी उतनी प्रेमिकाएं, पत्नियां नहीं थी जितनी मानवश्री की रखैलें बता दी जाती हैं.
“चेतना विकास मिशन की फीमेल्स, डॉ. ‘मानव’ की रखैल हैं.” : क्या कहा जा सकता है ऎसा बकने वाली भैंसबुद्धि/मुर्दा औरतों को या नामर्द टाइप भडुओं को?
हमारे 05 गर्ल्स व्हाट्सप्प ग्रुप हैं, जिनमे 2000 फीमेल्स हैं. इसके अलावा 51 मिक्स व्हाट्सप्प ग्रुप्स हैं, जिनमे 1500 फीमेल्स हैं. एफबी, अन्य तमाम ऐप्स और बेबसाइट्स से भी लगभग डेढ़-दो लाख बहनें हमारे ‘मानवश्री’ से कनेक्ट हैं. डेली उनसे तीस – पैंतीस मिलती भी हैं. क्या कोई भी मर्द इतनों को रखैल बना सकता है? क्या मानव जी भूत हैं या भगवान? और फिर, जिस इंसान को इतनी बड़ी संख्या में गर्ल्स- फीमेल्स चाहें, क्या वो गलत इंसान हो सकता है?
हमारी हर संबंधित पोस्ट में कहा जाता है की, बॉडी पार्टनर के साथ मिलो. बाप, भाई, बेटा किसी के साथ आओ या फिर सभी के साथ आओ. होम सर्विस भी सुलभ है. हमारे शिविर में भी सिंगल एंट्री पर वैन है.
ये भी कहा जाता है कि, किसी की योनि में अपना लिंग डालना मानवश्री का पैटर्न नहीं है. वे स्प्रिचुअल टचथेरेपी, यौगिक मसाजथेरेपी, प्राणिक हीलिंग, मेडिटेशन-तंत्र बेस्ड सेक्सथेरेपी और योनिपूजा की विद्या का प्रयोग करते हैं. लेकिन परमआनंद या सेक्ससुख या आर्गेज्म इतना ‘बे-हद’ कि दुनिया के किसी भी और कैसे भी संभोग से नहीं मिले. जिसे वे छू दें, उसकी तृप्ति से जन्नत को भी जलेशी होती है. सब कुछ निःशुल्क भी है.
फिर भी ऎसी नीचतापूर्ण बातें की जाती हैं. ये सूअर की औलादें यह भी नहीं सोच पाती की मानवश्री अब तक मार दिए गए होते या जेल में डाल दिए होते : अगर वे गलत होते.
किसी के बारे में, ख़ासकर डॉ. मानवश्री के बारे में बिना जांचे-परखे- आज़माए कोई धारणा नहीं बना लेना. ऐसा करना महज अपाहिज मानसिकता या अल्कोहलिक विक्षिप्तता है. मानवश्री योग-ध्यानसिद्ध इंसान है. वे आपकी योनि में अपना लिंग तभी डाल सकते है, ज़ब आप उनसे सिद्दत से प्यार करें और उनका लिंग खुद मांगे. उनका सुपर आर्गेज्मिक सेक्स ही आज़माना है तो एक बार, ‘बस एक रात’ नॉन फिजिकली यानी रूहानी तौर पर उनसे मिक्स होकर देख लें. उसके बाद किसी भी के साथ सेक्स करने/करवाने से घिन आएगी. उनके स्वाद के बिना रह पाना मुश्किल होगा.
हमारे ऑफिसियल व्हाट्सप्प पर अपना और अपने शहर का नाम लिखें. समय लेकर बात करें. जो चाहिए लें : बिना कुछ दिए, बिना किसी दुराचार से गुजरे.
जीवन आपका है, ये तन दोबारा नहीं मिलना है. चाहें तो परम-आनंद की मंज़िल पा लें. या फिर यूं ही इसे समशान या कब्र तक जाने दें. (चेतना-स्टेमिना विकास मिशन).