2018 के चुनाव में 114 सीटें जीतने वाली कांग्रेस को इस बार 66 सीटों से संतोष करना पड़ा है। कांग्रेस के एक नेता को हारी सीटें जिताने के काम पर लगाया गया था, उस नेता के भाई-भतीजे ही चुनाव हार गए हैं।
कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में एक साल पहले से चुनाव की तैयारी शुरू कर दी थी। हर नेता ने अपनी अलग जिम्मेदारी लेकर काम शुरू कर दिया था। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के पास प्रदेश की हारी सीटों को जिताने की जिम्मेदारी थी। वे एक साल से प्रदेश की ऐसी सीटों पर भ्रमण कर रहे थे। लेकिन 2023 के जो परिणाम सामने आए, उसमें दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह चुनाव हार गए। उनके भतीजे माने जाने वाले प्रियवत सिंह खींची खिलचीपुर विधानसभा सीट से हार गए। इसके अलावा उनके कई समर्थक भी चुनाव हारे हैं। जिसमें जीतू पटवारी बड़ा नाम है।
दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह चाचौड़ा विधानसभा सीट से हारे। खिलचीपुर विधानसभा सीट से प्रियवत सिंह खींची हार गए। दिग्विजय सिंह के दोस्त और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता भिंड जिले की लहर विधानसभा सीट से गोविंद सिंह हार गए। दिग्विजय सिंह के सबसे दमदार समर्थक, इंदौर जिले की राऊ विधानसभा सीट से जीतू पटवारी भी नहीं जीत सके। दिग्विजय सिंह के समर्थक कालापीपल विधानसभा से प्रत्याशी कुणाल चौधरी हारे। दिग्विजय सिंह के रिश्तेदार केपी सिंह कक्काजू भी चुनाव नहीं जीत सके। इनके अलावा पुरुषोत्तम डांगी ब्यावरा, बापू सिंह तंवर- राजगढ़, काला महेश मालवीय सारंगपुर, गिरीश भंडारी नरसिंहगढ़ से हार गए हैं। इन लोगों के दिग्विजय सिंह का खास समर्थक माना जाता है।