चीन और अमेरिका के बीच दोबारा शुरू हुए टैरिफ वॉर का भारत पर सकारात्मक असर पड़ सकता है और भारतीय निर्यातक इसका फायदा उठा सकते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान शुल्क वृद्धि से ऐसा ही देखने को मिला था। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘पिछली बार जब अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध छिड़ा था तो व्यापार में बदलाव के कारण भारत चौथा सबसे अधिक लाभ उठाने वाला देश था। आंकड़े गवाह हैं कि वर्ष 2017 से 19 के बीच व्यापार युद्ध के चलते भारत से अमेरिका को निर्यात में बहुत अधिक उछाल आई थी।’
अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के कुछ दिन बाद ही बीते शनिवार को डॉनल्ड ट्रंप ने कनाडा और मेक्सिको जैसे अपने दो प्रमुख पड़ोसी व्यापार साझेदार देशों से आयात पर 25 फीसदी कर लगाने का ऐलान किया था। यही नहीं, उन्होंने चीन से होने वाली वस्तुओं पर भी 10 फीसदी कर लगाने का ऐलान किया। कनाडा और मेक्सिको ने इसके बदले में कदम उठाने का ऐलान किया। इसके बाद ट्रंप के साथ समझौता होने पर इन दोनों देशों की वस्तुओं के आयात पर शुल्क लगाने के फैसले को 30 दिन के लिए टाल दिया गया है। लेकिन चीन ने मंगलवार को जैसे को तैसा जवाब देते हुए अमेरिका से आयात होने वाली वस्तुओं पर भारी शुल्क वसूलने का ऐलान कर दिया।
ट्रंप का कुछ देशों से होने वाले आयात पर भारी शुल्क लगाने का फैसला उनकी संरक्षणवादी ‘अमेरिका प्रथम व्यापार नीति’ के अनुरूप है। इसके तहत वह कथित अनुचित और असंतुलित व्यापार व्यवस्था से निपटने के लिए वैश्विक पूरक शुल्क लगाना चाहते हैं। शुल्क, कर और अन्य विदेश संबंधी राजस्व की वसूली के लिए एक विदेश राजस्व सेवा (ईआरएस) का गठन भी किया जा रहा है।
अधिकारियों ने इस बात को लेकर चेताया है कि अमेरिका की ओर से थोपे जाने वाले अतिरिक्त शुल्क के प्रभाव से भारत पूरी तरह बच नहीं सकता। हालांकि, निर्यातकों ने कहा है कि अमेरिका द्वारा चीन से आयात होने वाली वस्तुओं पर सीमा शुल्क लगाने के कदम से भारत के लिए अमेरिका को निर्यात के नए अवसर पैदा होंगे। शुल्क बढ़ोतरी का असर चीनी निर्यात पर पड़ेगा क्योंकि इससे अमेरिकी बाजार में चीनी वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाएंगी। इससे चीन प्रतिस्पर्धा में कमजोर पड़ जाएगा।
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि वाशिंगटन और पेइचिंग के बीच नया व्यापार युद्ध छिड़ने से भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स, दवा, कपड़ा, ऑटो उपकरण और रसायन जैसे क्षेत्रों को निर्यात में बड़ा फायदा होगा।
भारत और अमेरिका के बीच निर्यात की स्थिति काफी मजबूत है और यह निर्यात लगातार बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 23-24 के दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वस्तु व्यापार 120 अरब डॉलर के करीब था। अमेरिका के साथ 35.3 अरब डॉलर अधिशेष के साथ व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में रहा है। अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार भी है।
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