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विपक्ष हल्के में न ले मोदी के आत्मविश्वास को

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राकेश अचल

तीसरी बार भारत का प्रधानमंत्री बनने का सपना देखने से श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी को जनता जनार्दन के अलावा कोई दूसरा नहीं रोक सकत। अठारहवीं लोकसभा के लिए अभी मतदान के चार चरण ही पूरे हुए हैं किन्तु मोदी जी का आत्मविश्वास देखते हुए विपक्ष को सावधान हो जाना चाहिए ,क्योंकि मोदी जी ने अपने तीसरे कार्यकाल के पहले सौ दिनों का एजेंडा बना कर रख लिया है। किसी भी राजनेता को मोदी की ही तरह काम करना चाहिए ,ये मै मोदी जी की रीति-नीति का प्रबल विरोधी होते भी कह रहा हूँ।
पूरी भाजपा अपने चुनाव घोषणा पत्र को भूल चुकी है और तीसरी बार भी चुनाव भावनात्मक,भ्रामक तथा झूठ के आधार पर लड़ रही है। चौथे चरण की पूर्व संध्या पर भी भाजपा की पूरी टीम और माननीय मोदी जी ने हिन्दुओं के तुष्टिकरण के लिए मुसलमानों का हौवा खड़ा किया है। भाजपा के पक्ष में कोई हवा नहीं है फिर भी मोदी जी अपने सपने में रंग भरने पर आमादा हैं। निश्चित ही उनके हाथ कोई जादू की छड़ी लग गयी है जो जनमत को यकायक उनके पक्ष में खड़ा कर देगी। इंदिरा गांधी भी 1977 के आम चुनाव में उस तरह विपक्ष के निशाने पर नहीं थीं जिस तरह की आज मोदी जी विपक्ष के निशाने पर हैं। लेकिन मोदी जी किशोर कुंजर की तरह झूमते हुए चल रहे हैं। उन्हें आम चुनाव गले में पड़ी माला जैसा लग रहा है।
विपक्ष का आत्मविश्वास अपनी जगह है ,लेकिन विपक्ष की और से सत्तापक्ष की तरफ से उछाले गए अबकी 400 पार जैसा कोई नारा नहीं उछाला गया है । लगता है कि विपक्ष केवल और केवल मोदी को रोकने के लिए कोशिश कर रहा है ,भाजपा को रोकने के लिए नहीं ,अन्यथा विपक्ष भी चार सौ पार जैसा कोई नारा उछालता ? भाजपा की सरकार ने अपने दस साल की उपलब्धियों को बलाए ताक रख दिया है। भाजपा और मोदी केवल और केवल हिन्दू-मुसलमान के आधार पर चुनाव लड़ रहे हैं और बेशर्मी के साथ हिन्दू मुसलमान कर रहे हैं। चुनाव के चलते भी भाजपा लगातार अपने भय को छिपाने के लिए दल-बदल के अभियान को जारी रखे हुए है। भाजपा के दूसरे बड़े नेता केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह खुद दल-बदल अभियान की कमान सम्हाले हुए हैं।
मतदान का चौथा चरण बेहद महत्वपूर्ण है। क्योंकि इसी चरण के मतदान के बाद तय हो जाएगा की सत्ता की सीता किसका वरण करेगी ?वरमाला बूढ़े हो चले जिद्दी नरेंद्र दामोदर दास मोदी के गले में या साठा सो पाठा होने जा रहे राहुल गांधी के गले में। दोनों में भेद ये है कि मोदी स्वयंभू प्रधानमंत्री बन चुके हैं लेकिन राहुल गांधी ने ऐसी कोई घोषणा नहीं की है। आईएनडीआईए लोकतान्त्रिक तरीके से अपना नेता चुनेगा । भाजपा की तरह वहां कोई भी अपने हाथ से अपने गले में माला डालकर अपने आपको नेता घोषित नहीं कर सकता। भाजपा ने तो मतदान के सभी चरण पूरे होने से पहले ही ,यानि जनादेश आने के पहले ही माननीय मोदी जी को अपना नेता मान लिया है। भाजपा के तमाम प्रत्याशियों को शायद टिकिट ही इसी शर्त पर दिए गए हैं कि वे मोदी जी के लिए ही अपना हाथ खड़ा करेंगे।
मै माननीय मोदी जी के आत्मविश्वास की बात कर रहा था । आपको बता दूँ कि 24 में से 36 घंटे काम करने वाले मोदी फिलहाल चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं, लेकिन उन्होंने अपनी सरकार के 100 दिन के एजेंडे को लागू करने के लिए अपने शीर्ष सचिवों की 10 समितियां नियुक्त की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही अपने चुनावी भाषणों में इस बात का जिक्र कर चुके हैं। ऐसे उम्मीद है कि सरकार 4 जून को चुनाव नतीजे आने के बाद नई सरकार बनने के तुरंत बाद होने वाली मंत्रिपरिषद की पहली बैठक में 100 दिनों के एजेंडे पर चर्चा करेगी। उन्होंने कहा कि इन समूहों में शामिल मंत्रालयों में गृह, वित्त, रक्षा, विदेश और अन्य मंत्रालयों के सभी शीर्ष अधिकारी शामिल हैं।
मोदी जी की इस तैयारी को देखते हुए समूचे विपक्ष को अपनी रणनीति को मतदान कि बाकी तीन चरणों कि लिए नए सिरे से बनाना होगा ,अन्यथा अच्छे दिन न जनता कि लिए आ पाएंगे और न विपक्ष कि लिए। पहले अंग्रेजों ने देश को बांटा था,अब हम और हमारे भाग्यविधाता ये काम करेंगे। वे बिना औपचारिक विभाजन कि ही देश में लगातार हिन्दुओं को मुसलमानों से अलग करने की कोशिश पिछले दस साल से कर ही रहे हैं।संतोष की बात ये है की विपक्ष कि पास मोदी जी की ही शैली में सियासत करने वाला एक अरविंद केजरीवाल भी है ,जो पूरे आत्मविश्वास कि साथ मोदी को चुनौतियाँ दे रहा है। फिर भी खुदा खैर करे। सबका मालिक एक । जय सियाराम।

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