बृजेश शुक्ल
मथुरा के गोवर्धन में एक छोटी सी फूल की दुकान लगाए मंसाराम कहते हैं, ‘महंगाई तो है, परेशानी भी हो रही लेकिन कोई बात नहीं। बहू-बेटियों की इज्जत सुरक्षित हो गई है। राशन मिल रहा है।’ विपक्षी दल बेरोजगारी-महंगाई जैसे मुद्दों के सहारे BJP पर हमला करते हैं। लगभग 3000 किलोमीटर की लंबी चुनावी यात्रा में यह साफ दिखता है कि कानून-व्यवस्था, लाभार्थी और राम मंदिर निर्माण बड़े मुद्दों के रूप में उभर रहे हैं। दिलचस्प है कि विपक्ष कानून-व्यवस्था के मुद्दे की चर्चा नहीं करता, तो BJP उसी पर ज्यादा केंद्रित रहना चाहती है। सवाल है कि क्या यह मुद्दा 2019 के लोकसभा और 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणामों को दोहरा देगा या विपक्ष के बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे BJP पर भारी पड़ेंगे?
मारक हथियार : जमीन पर देखने से साफ हो जाता है कि NDA कहीं ज्यादा आक्रामक ढंग से 2024 लोकसभा चुनाव लड़ रहा है। NDA के नेता मतदाताओं के बीच कहते हैं कि पुराने दिन याद कर लो, जब सड़क पर चलना मुश्किल था। क्या वही दिन फिर लाना चाहते हो? विपक्ष के अपने हथियार हैं। उसमें महंगाई-बेरोजगारी तो है ही, परीक्षा में पेपर लीक और संविधान को बदलने का भी मामला है। विपक्ष अपने इन हथियारों को बहुत कारगर मान रहा है और ये कुछ हलकों में असर भी दिखा रहे हैं। लेकिन लाभार्थी, कानून-व्यवस्था और मंदिर निर्माण के मुद्दे भी अपनी जगह काम कर रहे हैं।
माफिया पर कार्रवाई : बहुत से मतदाता स्वीकार करते हैं कि महंगाई और बेरोजगारी चुनावी मुद्दा है। यह तथ्य आश्चर्य पैदा करता है कि जिन मुद्दों पर विपक्ष ने राज्य सरकार को घेरा, वे बड़े क्षेत्र में BJP के ही काम आते दिख रहे हैं। बड़े माफियाओं के खिलाफ जो कार्रवाई हुई है, उसका असर साफ दिखता है। यह संदेश पश्चिम से लेकर पूर्व तक, नोएडा से लेकर बलिया तक आखिर कैसे गया? यह आम धारणा बन चुकी लगती है कि अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने में यह सरकार सफल रही है।
विपक्ष से नाराजगी :अलीगढ़ के देवेंद्र सिंह कहते हैं, हालात ऐसे थे कि आदमी घर के बाहर लेटता था, और अपने जानवरों को घर के अंदर बांधता था। लेकिन अब पशुओं की चोरी व अन्य अपराधों पर अंकुश लग गया। अलीगढ़ के ही मुकेश सिंह कहते हैं कि सरकार को दो मुद्दों पर बहुत ध्यान देना होगा- महंगाई बढ़ी है इसमें कोई दो राय नहीं है। घर का बजट बिगड़ा है और बेरोजगारी भी कम करनी पड़ेगी। यदि इन मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया तो परेशानियां बढ़ती जाएंगी। वह इस बात से विपक्षी नेता मेहनत नहीं कर रहे हैं। उनका सवाल है कि आम लोगों से जुड़ा महंगाई और बेरोजगारी जैसा मुद्दा क्यों प्रभाव नहीं दिखा पा रहा।
लाभार्थियों का लाभ: BJP और विपक्ष ने जो चक्रव्यूह सजाया है, उसमें उनके अपने-अपने हथियार तो हैं लेकिन विपक्षी दल इन मुद्दों को जमीन तक पहुंचने में सफल नहीं हुए। बदायूं के अमर यादव कहते हैं कि पता नहीं कौन सी पीड़ा है कि अपराधी माफिया के खिलाफ कोई भी कार्रवाई हुई तो विपक्षी नेताओं के बयान आने शुरू हो जाते हैं। लेकिन यही तेजी आम जनता से जुड़े मुद्दों में दिखाना चाहिए, जो वे नहीं दिखाते। वहीं BJP लाभार्थियों और कानून-व्यवस्था पर केंद्रित है। वास्तव में यही बात BJP के पक्ष में जा रही है।
मुद्दों का असर : कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों ने जनता के सामने अपने-अपने मुद्दे रखे हैं। उनका कितना असर हो रहा है, इस पर बरेली के राजेंद्र गंगवार कहते हैं कि BJP पिछले एक साल से घर-घर जा रही है। उसने क्या किया, क्या नहीं किया- यह बता रही है। कानून-व्यवस्था पर चर्चा कर रही है। अब घर-घर जाकर लोगों से पूछा जा रहा है कि उन्हें योजनाओं का लाभ मिल रहा है या नहीं? अगर मिला तो उसे रजिस्टर में नोट भी करते हैं।
मदद की आस: अब जब चुनाव आ गया तब विपक्षी दलों ने अपना घोषणापत्र जारी किया। लेकिन वह कितने लोगों तक पहुंचेगा और लोग उस पर कितना विश्वास करेंगे, यह तो समय बताएगा। एक तो जिन लोगों को लाभ मिला है, वे इस बात की आस लगाए बैठे हैं कि यह मदद आगे जारी रहेगी, और BJP की सरकार बनी तो हो सकता है कि उसे और बढ़ा दिया जाए।
बरेली के मोहम्मद इश्तियाक के परिवार के इलाज के लिए आयुष्मान कार्ड से डेढ़ लाख का इंतजाम हो गया, इसलिए वह खुश हैं। लेकिन उनके साथ खड़े मोहम्मद नाजिम कहते हैं कि परेशानियां ही परेशानियां है। अब आप पूछिए कि केवल अनाज लेकर हम क्या करेंगे? सरकार भर्ती नहीं निकल रही है और जिनकी भर्ती निकलती है उसका पेपर लीक हो जाता है। वह कहते हैं कि कांग्रेस ने तो और भी बड़े-बड़े वादे किए हैं, उन पर भी तो ध्यान देना चाहिए लोगों को। लेकिन मथुरा के सुरेंद्र पाल कहते हैं कि मोदी जो दे रहे हैं, वह सबके सामने है। अब विपक्ष वादा कर रहा है, लेकिन लोग इसलिए मोदी का भरोसा कर लेते हैं क्योंकि लोगों को बिना किसी बिचौलिए के फायदा मिल रहा है। देखना होगा कि लोग किस पर भरोसा करते हैं विपक्ष पर या BJP पर! लेकिन कानून-व्यवस्था और मिल रहे लाभों का असर कहीं ज्यादा गहरा है।