~ आरती शर्मा
रहस्यमय और भूतिया कही जाने वाली जगहों के प्रति हमेशा से लोगों के मन में एक अजीब-सा आकर्षण रहा है। लोग इनसे डरते भी हैं और इनकी ओर खिंचे भी चले आते हैं। इन दिनों ऐसी ही एक चर्चित जगह है मेक्सिको का डॉल्स आइलैंड।
इस द्वीप का शुमार आज दुनिया के कुछ सबसे डरावने द्वीपों में है। तीस साल पहले यह पहली बार तब चर्चा में तब आया जब कुछ पर्यटकों ने यहां पेड़ों से लटक रही हज़ारों गुड़ियों को देखा। उनमें ज्यादातर की बनावट विचित्र और खौफ़ पैदा करने वाली थी। अखबारों में उनके यात्रा-विवरणों के प्रकाशित होने के बाद यहां लोगों की भीड़ जुटने लगी।
खोजबीन से पता चला कि सैन्टाना नाम का एक व्यक्ति वर्ष 1950 के आसपास इस द्वीप पर आया और यहीं का होकर रह गया। उसके आने के कुछ साल बाद एक परिवार वहां घूमने आया था जिसकी एक छोटी बच्ची की वहां डूबने से मौत हो गई। उसके मरने के बाद सैन्टाना को ठीक उस डूबने वाली जगह पर एक विचित्र गुड़िया तैरती हुई दिखी। उसे लगा कि उस गुड़िया में मरी हुई उस बच्ची की आत्मा है।
उसने उसे एक पेड़ पर लटका दिया। अजीब यह हुआ कि उसके बाद द्वीप के उसी किनारे डरावनी गुड़ियों के मिलने का सिलसिला शुरू हो गया। सालों-सालों तक यह सिलसिला चला और सैन्टाना उन्हें एकत्र कर पेड़ों से लटकाता रहा।
अन्ततः वर्ष 2001 में ठीक उसी जगह सैन्टाना की लाश तैरती मिली जहां से उसने हज़ारों गुड़ियों को पानी से निकाला था। मीडिया में इस द्वीप की रहस्यमयता की कहानियां पढ़कर वहां पर्यटकों का जमघट लगना शुरू हो गया।
हर दिन सैकड़ों लोग यहां आकर पेड़ों से लटके डरावने डॉल्स को देखकर रोमांचित होते हैं। यह और बात है कि शाम के बाद डर के मारे वहां रुकने की हिम्मत कोई नहीं करता।
पता नहीं क्यों, इस द्वीप के बारे में पढ़ते हुए हमारी दुनिया का वर्तमान परिदृश्य आंखों के आगे घूम गया। क्या इतने बेरहम युद्धों, आतंक, धार्मिक उन्माद, हिंसा, दरिंदगी, अमानवीयता से घिरे हम सब अपने घरों की दीवारों में लटके बेजान पुतलों में तब्दील नहीं होते जा रहे हैं ? आइलैंड ऑफ इंसेंसिटिव डॉल्स !
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