रतलाम और धार कोठी जमीन के मूल दस्तावेजों की तलाश
प्रशासन द्वारा रेसीडेंसी एरिया का दस्तावेजी सर्वेक्षण किया जा रहा है। कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देश पर जमीन का विस्तृत राजस्व रिकॉर्ड तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हुई है। कार्रवाई जारी है। इस समय मुख्य रुप से रतलाम कोठी क्षेत्र मे बने भवनों, रिक्त भूमि सहकारी गृह निर्माण संस्थाओं और शासकीय जमीन की जानकारी संपत्ति स्वामियों से एकत्र की जा रही है। इस इलाके की ज़मीन का क्रय-विक्रय कालानी परिवार ने किया था। रियल एस्टेट का बड़े खिलाड़ी कालानी परिवार यहीं विशाल भूभाग पर बने आलीशान बंगले में रहता है। इसके बावजूद रहवासी रतलाम कोठी क्षेत्र के भू-स्वामित्व के मूल दस्तावेज प्रशासन को उपलब्ध नहीं करवा पा रहे। कीमती समूह ने जमीन विकसित कर बेची थी, यानी कॉलानाइजर थे।
रतलाम कोठी रहवासियों ने सामूहिक रुप से अपने भूमि-भवन स्वामित्व के मूल दस्तावेज प्रशासन के समक्ष पेश किए हैं। बताते हैं भूमि के बेसिक डॉक्यूमेंट या मूल दस्तावेज किसी के पास नहीं है न प्रशासन न भूमि या संपत्ति मालिकों के पास। भूखंड की रजिस्ट्री के अलावा कोई विशेष दस्तावेज नहीं, जो भूमि के पुराने मालिकाना हक की पुष्टि कर सके। आधिकारिक जानकारी के अनुसार वर्तमान में रतलाम कोठी के रहवासियों ने जो भूमि यहां क्रय की, वह करीब 65 वर्षों पूर्व कैसे एक से दूसरे भूमि स्वामी को हस्तांतरित होती चली गई, इससे जुड़े दस्तावेजी प्रमाण अब तक न संपत्ति मालिक रहवासी न कीमती परिवार उपलब्ध करवा पाया है।
भूखंड स्वामियों को नहीं मालूम कीमती ने यहां की भूमि किससे खरीदी? क्योंकि उसका उल्लेख दस्तावेजों में नहीं है, ऐसा कहा जा रहा है। यह भी बताया जाता है उस समय मंदसौर और जावरा राजघरानों के बीच संधि में यह जमीन मिली थी। उसके कई वर्षों बाद यह बेच दी गई। बाद में इस भूमि पर कॉलोनी बस गई। संपत्ति स्वामी का यह रहस्य सर्वेक्षण में उजागर हो रहा है। रहवासी चिंता में हैं कि भूमि के मूल दस्तावेज नहीं मिलने पर उनकी संपत्ति का क्या होगा? लंबी कानूनी लड़ाई लड़ना होगी या यह भूमि सरकार की हो जाएगी?
उल्लेखनीय है रेसीडेंसी एरिया रतलाम कोठी तक विस्तृत है। गीता भवन चौराह से कृषि कॉलेज, कैथोलिक रेड चर्च, सेंट रेफियल, सेंट पाल स्कूल, रेडियो कॉलोनी, चिडिय़ा घर, आजाद नगर, जिला जेल, रेसीडेंसी कोठी और अन्य इलाके इसमें समाहित हैं। केंद्र, राज्य सरकार के भवन व कॉलोनी हैं।
ऐसी ही कुछ स्थिति धार कोठी की है। यहां भी भूमि की खरीदी-बिक्री हुई और कॉलोनी बसी। इस पूरी भूमि का लीज नवीनीकरण आज तक नहीं हो पाया। बीते दो दशक में नगर निगम में इसके दस्तावेज खंगाले गए। हर बार शासन को लीज नवीनीकरण के प्रस्ताव भेजे लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ।