अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

24 घंटे में हुई दर्दनाक और शर्मनाक घटनाएं, अशोक गहलोत कहते हैं- मुख्यमंत्री पद मुझे छोड़ नहीं रहा

Share

एस पी मित्तल, अजमेर 

राजस्थान में दो अगस्त को दो दर्दनाक और शर्मनाक घटनाएं हुई। दो अगस्त को डूंगरपुर के दोवड़ा क्षेत्र में पांच बदमाशों ने स्कूल जाती एक 15 वर्षीय छात्रा का अपहरण किया और गैंगरेप के बाद लहूलुहान छात्रा को डूंगरपुर में पटक दिया। इसी दिन भीलवाड़ा के कोटड़ी क्षेत्र में बकरी चरा रही एक 13 वर्षीय बालिका को बदमाशों ने उठाया और गैंगरेप किया। बाद में कोयले की भट्टी में बालिका को जला दिया ताकि सबूत नष्ट हो जाएं। अब पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार कर घटनाओं की पुष्टि की है। महिलाओं खास कर नाबालिगों के साथ गैंगरेप की घटनाएं प्रदेश भर में रोजाना होती है। यही वजह है कि बलात्कार और महिला अत्याचारों के मामले में राजस्थान देश में पहले नंबर पर है। गंभीर बात तो यह है कि विधानसभा में गृह विभाग की ओर से जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि प्रदेश में रेप होना पुरुषों की मर्दानगी की निशानी है। हालांकि अपने इस बयान पर धारीवाल ने माफी मांग ली, लेकिन इस से सरकार में बैठे लोगों की मानसिकता का अंदाजा लगाया जा सकता है। गैंगरेप की घटनाओं का नहीं रुकना चिंता का विषय है। गृहमंत्री का भी प्रभार संभालने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत माने या नहीं लेकिन बलात्कार की घटनाओं से महिलाओं में भय है।

मुख्यमंत्री का पद मुझे नहीं छोड़ रहा:

कांग्रेस में माना जाता है कि हाईकमान खास कर गांधी परिवार की मेहरबानी से ही मुख्यमंत्री का पद हासिल होता है। इसका ताजा उदाहरण कर्नाटक में सिद्धारमैया का मुख्यमंत्री बनना है। छत्तीसगढ़ में भी गांधी परिवार के निर्देश पर टीएस सिंह देव को उपमुख्यमंत्री बनाना पड़ा। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी पूर्व में कई बार कह चुके हैं कि हाईकमान के आशीर्वाद से ही मुख्यमंत्री का पद मिला है। लेकिन अब जब विधानसभा चुनाव में मात्र तीन माह शेष है, तब सीएम गहलोत का कहना है कि वे तो पद छोड़ना चाहते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री पद मुझे छोड़ नहीं रहा। यानी मुख्यमंत्री की कुर्सी सिर्फ अशोक गहलोत को ही बैठाना चाहती है। यह बात अलग है कि पिछले पौने पांच वर्ष में अशोक गहलोत कम से कम पचास व्यक्तियों को मुख्यमंत्री बनाए रखने का श्रेय दे चुके हैं। इनमें लाल डायरी के बहाने गहलोत सरकार की पोल खोलने वाले कांग्रेस विधायक राजेंद्र गुढ़ा भी शामिल हैं। सवाल उठता है कि जब मुख्यमंत्री का पद ही गहलोत का पीछा नहीं छोड़ रहा है तो फिर गहलोत दूसरों को श्रेय क्यों देते हैं? उल्लेखनीय है कि गहलोत 2018 में तीसरी मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन गहलोत के मुख्यमंत्री रहते कांग्रेस की कभी भी जीत नहीं हुई है। 2013 की तरह इस बार भी गहलोत अपनी सरकार के रिपीट होने का दावा कर रहे हैं। 

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें