इंदौर के जिला एवं सत्र न्यायाधीश डीके पालीवाल और अधिवक्ता मिलिंद फड़के मंगलवार को प्रिंसिपल बेंच जबलपुर में हाई कोर्ट जज की शपथ लेंगे। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ इन दोनों के अलावा न्यायाधीश अमरनाथ केशरवानी, प्रकाशचंद गुप्ता, अधिवक्ता डीडी बंसल, एमएस भट्टी को भी शपथ दिलाएंगे। शपथ ग्रहण के बाद जजेस को अलग-अलग खंडपीठ में भेजा जाएगा।
इंदौर खंडपीठ को दो जजेस मिलने के आसार हैं। पिछले साल जुलाई में वकील व न्यायाधीशों के नाम की सिफारिश हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से की थी। अब नए चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में फिर से वकीलों के नाम सुप्रीम कोर्ट भेजे जाने की चर्चा है। इंदौर से दो से तीन नाम भेजे जा सकते हैं।
व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-दो से 22 साल पहले शुरू किया था सफर
प्रधान जिला न्यायाधीश दिनेश कुमार पालीवाल पहले भी इंदौर में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के रूप में पदस्थ रह चुके हैं। उन्होंने मई 1990 में न्यायिक सेवा का सफर शुरू किया था। पहली नियुक्ति बतौर व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-दो भिंड में हुई थी। इसके बाद शिवपुर, गुना, महू, ग्वालियर, देवास, इंदौर सहित कई जगहों पर पदस्थ रहे। कोरोना काल में इंदौर में बेंच और बार के बीच सामंजस्य स्थापित करते हुए काम किया।
अग्निकांड के बाद भी कोर्ट सुचारु चली
- जिला कोर्ट बिल्डिंग के तलघर में आग लग गई थी। काफी रिकॉर्ड जलकर खाक हो गया। इसके बाद भी उन्होंने कोर्ट की कार्रवाई को सुचारु रखा।
- वकीलों द्वारा कार्य से विरत रहने का फैसला हाल ही में लिया गया था। तकरीबन 12 दिन वकीलों ने पैरवी नहीं की। जिला कोर्ट में सभी न्यायाधीशों की कोर्ट लगवाई और पक्षकारों को सीधे सुनकर जजमेंट जारी किए। 12 दिन में 250 से ज्यादा प्रकरणों का निपटारा करवाया।
तीन साल से रख रहे हैं केंद्र का पक्ष
एडवोकेट मिलिंद फड़के के पिता रमेशचंद्र फड़के भी न्यायाधीश रह चुके हैं। एडवोकेट मिलिंद फड़के 1997 से हाई कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे हैं। 2015 से 2017 तक वे शासकीय अधिवक्ता भी रहे। तीन साल से मप्र हाई कोर्ट में बतौर असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) पदस्थ हैं। कई बीमा कंपनियों की तरफ से भी पैरवी करते रहे हैं।