अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

*संसद धुँआ कांड : युवाओं का दमन नहीं, रोज़गार- आवास का प्रबन्धन जरूरी*

Share

         पुष्पा गुप्ता

विगत 13 दिसम्बर को संसद की दर्शक दीर्घा से कूदकर दो युवक लोकसभा सदन में घुस गये। इन्होंने नारेबाज़ी की और रंगीन धुँआ छोड़ा। इन्ही के दो साथी संसद के बाहर भी नारेबाज़ी कर रहे थे। इन चारों को उसी वक्त गिरफ़्तार कर लिया गया।

     गुड़गाँव में इन्हें रुकवाने वाली दम्पत्ति को भी हिरासत में ले लिया गया और इस पूरे प्रकरण में शामिल एक युवक ने दिल्ली पुलिस चौकी में जाकर आत्मसमर्पण कर दिया। इन युवाओं का यह कार्य भयंकर बेरोज़गारी और मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के कारण उपजी निरुपायता, हताशा और निराशा का परिणाम जान पड़ता है।

     संसद पर कथित “हमला” करना तो इनका मकसद कत्तई नहीं था। इनके द्वारा छोड़े गये रंगीन धूँए ने किसी संसद सदस्य को कोई नुकसान नहीं पहुँचाया। इस घटनाक्रम के बाद संसद में थोड़ी अफरातफरी तो ज़रूर फैली लेकिन इसके बाद संसद की (अनुत्पादक) कार्यवाही पुनः चालू हो गयी।

फ़ासीवादी मोदी सरकार के राज में बेरोज़गारी अपने चरम पर पहुँच चुकी है। केन्द्र और राज्यों के विभागों में लाखों-लाख पद खाली पड़े हैं। पब्लिक सेक्टर को बर्बाद कर दिया गया है। ऐसे में पढ़े-लिखे युवा भी चप्पलें फटकारने के लिए मजबूर हो गये हैं। ऊपर से जानलेवा महँगाई जनता की कमर तोड़ रही है।

    देश के आम लोगों के लिए अपना घर चलाना तक मुश्किल हो रहा है। ऐसे हालात में किसी भी संजीदा युवा का बेचैन होना स्वाभाविक है।

      दिल्ली पुलिस तक अपनी प्राथमिक जाॅंच में कहती है कि उक्त युवाओं का मक़सद किसी को नुकसान पहुॅंचाने का नहीं था। इनके नारे ही इनके मन्तव्य को स्पष्ट कर देते हैं। इसके बाद भी यूएपीए के तहत संगीन धाराओं में इनपर मामला दर्ज किया जाना शासन-सत्ता के तानाशाहाना रुख को दर्शाता है। जनता को हासिल रहे-सहे जनवादी हक़ों को भी मोदी राज में डण्डे के दम पर बुरी तरह से कुचला जा रहा है।

      यूएपीए जैसे दमनकारी क़ानूनों को तो जैसे रेवड़ियों के भाव बाँटा जा रहा है। भाजपा की जनविरोधी नीतियों की मुख़ालफ़त करने वाली हर आवाज़ को कुचला जा रहा है। भाजपा सरकार के इस तानाशाहाना रवैये के विरोध में उठ खड़े होने के लिए हम जनता का आह्वान करते हैं।

       संसद के अन्दर और बाहर नारेबाजी और धुँआ छोड़ने के प्रकरण के तुरन्त बाद पूरा गोदी मीडिया इसे “आतंकी हमले” की संज्ञा देते हुए सरकार समर्थक दुष्प्रचार में लग गया। युवाओं को “आन्दोलनजीवी” जैसी फ़र्ज़ी विशेषणों से नवाजा गया। गोदी मीडिया और सोशल मीडिया के भी बड़े हिस्से का काम आज यही रह गया है कि येन-केन-प्रकारेण सरकार का बचाव किया जाये। हर जनतान्त्रिक और सरकार विरोधी आवाज़ को बदनाम किया जाये।

       अहर्निश झूठ के द्वारा लूट के कारोबार की पर्देदारी की जाये। सरकारी विज्ञापनों के दम पर चलने वाले और सेठों की गोद में बैठे मीडिया से हम यही उम्मीद कर सकते हैं। निश्चय ही हमें स्वतन्त्र जनमीडिया की बेहद ज़रूरत है।

      13 दिसम्बर के घटनाक्रम के तुरन्त बाद पंगु विपक्ष के सांसद भी बिना देर किये फ़र्ज़ी नारों के शोर में तथाकथित सुरक्षा की दुआई देते हुए शोर-शराबे में जुट गये। भाजपा को बैठे-बिठाये एक ऐसा मुद्दा मिल गया जिसपर कई दिन तक जनता को बरगलाये रखा जा सकता है और संसदीय तमाशे को चालू रखा जा सकता है।

     संसद का शीतकालीन सत्र सरकारी तानाशाही के सर्कस में तब्दील हो चुका है। वैसे भी जनता के लिए संसदीय कार्यवाही का महत्व ठगों के अड्डे से अधिक नहीं बचा था।

       राकेश ओमप्रकाश मेहरा द्वारा डायरेक्ट की हुई ‘रंग दे बसन्ती’ नामक फ़िल्म के स्टाइल में किया गया युवाओं का उक्त कार्य छात्रों-नौजवानों में पसरी हताशा और निरुपायता को दर्शाता है। भगतसिंह और बटुकेश्वर दत्त द्वारा किये गये एसेम्बली बम एक्शन से इस मामले का पक्षपोषण करना कहीं से भी जायज़ नहीं है।

      ऐसा करना न केवल भगतसिंह की पूरी विचार यात्रा को भूल जाना है बल्कि 1928 के हालात को भी नज़रअन्दाज़ करना है। ऐसे दुस्साहसपूर्ण कदम उठाने की बजाय हमें जनमुक्ति और सामाजिक बदलाव के विज्ञान को समझना चाहिए।

     जनता के व्यापक आन्दोलन के दबाव में ही हम सरकार को झुकने पर मजबूर कर सकते हैं। शिक्षा-रोज़गार से जुड़े मसले भी छात्र-युवा आबादी के दबाव में ही समाधान की ओर जा सकते हैं।

     संसद के अन्दर-बाहर नारेबाजी करने वाले युवाओं को तत्काल प्रभाव से बरी किया जाना चाहिए। मोदी की फ़ासीवादी सरकार यदि शिक्षा-चिकित्सा-रोज़गार और आवास का प्रबन्ध कर दे तो युवाओं के द्वारा ऐसे कदम उठाने की नौबत ही नहीं आयेगी।

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें