भोपाल| मप्र विधानसभा चुनाव में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ-साथ प्रशासनिक कमान संभाल चुके ब्यूरोक्रेट्स भी सियासत में दांव आजमाना चाह रहे हैं। इस बार के चुनाव में करीब दर्जनभर ब्यूरोक्रेट्स सियासी पारी खेलने को तैयार हैं। अधिकांश की पहली पसंद भाजपा या कांग्रेेस है, लेकिन फिलहाल उन्हें कोई भी पार्टी भाव देती नजर नहीं आ रही है। हालांकि भाजपा ने 2023 के विधानसभा चुनाव में पार्ढुना विधानसभा सीट से न्यायाधीश की नौकरी को अलविदा कहने वाले प्रकाश उइके को मैदान में उतारा है। लेकिन इनके बाद भी गई अफसर टिकट की चाह में भाजपा मुख्यालय और नेताओं के चक्कर काट रहे हैं।
प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए सियासी दल तैयारियों को धार दे रहे हैं। कांग्रेस-भाजपा दोनों प्रमुख दलों के साथ ही कुछ अन्य स्थानीय और बाहरी दल भी दमखम दिखाने लगे हैं। इन सब के बीच प्रदेश के नौकरशाहों की नजर भी विधानसभा चुनावी मैदान पर है। अलग-अलग पेशे से जुड़े अफसर कांग्रेस और भाजपा के टिकट से इस बार चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। इतना ही नहीं बाहरी दलों से भी नौकरशाह चुनाव में भाग्य आजमाना चाहते हैं। प्रदेश में करीब दर्जनभर नौकरशाह चुनाव में टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। नौकरशाहों का चुनावी मैदान में भाग्य आजमाने का ये पहला मामला नहीं है। मप्र ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों में भी ब्यूरोक्रेट्स किसी न किसी राजनीतिक दल के साथ चुनावी मैदान में उतरे हैं और जीतकर भी आएं हैं। कुछ अधिकारी सेवानिवृत्ति के बाद राजनीति में भाग्य आजमाते हैं तो कुछ स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर चुनावी रण में कूद पड़ते हैं।
भाजपा ने एक जज को बनाया प्रत्याशी
मप्र में अखिल भारतीय सेवा के कई अधिकारियों ने चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई है। जिसमें कुछ सफल भी रहे हैं, पहले अधिकारियों का झुकाव कांग्रेस पार्टी की ओर था, लेकिन समय के साथ भाजपा की तरफ भी अधिकारियों का झुकाव बढऩे लगा है। भाजपा ने 2023 के विधानसभा चुनाव में पार्ढुना विधानसभा सीट से न्यायाधीश की नौकरी को अलविदा कहने वाले प्रकाश उइके को मैदान में उतारा है। उइके की सहधर्मिणी भी न्यायाधीश हैं। सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी कवीन्द्र कियावत, महेश चौधरी व एसएन चौहान डेढ़ माह पूर्व भाजपा में शामिल हुए हैं। तीनों अलग-अलग स्थानों से विधानसभा चुनाव लडऩा चाहते हैं। देखना है कि भाजपा टिकट देती है या नहीं। फिलहाल तीनों भाजपा में काम कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी से टिकट मांगने वालों की भी सूची लंबी है। सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी देवेन्द्र सिंह राय तथा वीके बाथम ने टिकट के लिए आवेदन दिया है। बाथम प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष तथा घोषणा पत्र समिति के सदस्य भी हैं। बाथम भोपाल जिले की बैरसिया सुरक्षित सीट से चुनाव लडऩा चाह रहे हैं। वहीं देवेन्द्र सिंह राय रायसेन या सीहोर जिले की विधानसभा से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव लडऩा चाह रहे हैं। स्पेशल डीजी पुरूषोत्तम शर्मा मुरैना जिले की ब्राह्मण बाहुल्य जौरा सीट से चुनाव लडऩा चाह रहे हैं, शर्मा समर्थकों ने तैयारी भी शुरू कर दी थी, लेकिन शर्मा का इस्तीफा मप्र सरकार ने स्वीकार नहीं किया, जिससे फिलहाल उनका चुनाव लडऩा खटाई में पड़ गया है। इसी तरह युवा डिप्टी कलेक्टर निशा बागरे बैतूल जिले की आमला विधानसभा सीट से चुनाव लडऩा चाह रही हैं, लेकिन मप्र सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। इस्तीफा स्वीकार करने के लिए निशा बागरे ने पैदल यात्रा शुरू की है।
कई राजनीति के मझे खिलाड़ी
भाजपा ने पिछले वर्षों में कई अधिकारियों को चुनाव मैदान में उतारा, जिसमें कई अधिकारी सफल रहे। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में देवास लोकसभा सीट से भाजपा ने न्यायाधीश महेन्द्र सिंह सोलंकी को टिकट दिया और वे विजयी रहे। न्यायाधीश सोलंकी ने न्यायाधीश के पद से बीआरएस लिया था। अब वे राजनीति के मझे खिलाड़ी हो गए हैं। पीछे मुडक़र देखें तो राजनीति में आने वाले नौकरशाहों की लंबी फेहरिस्त है। इनमें पहला और चर्चित नाम है, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय अजीत जोगी को इंदौर कलेक्टर रहते आईएएस की नौकरी छोडक़र अजीत जोगी राज्य सभा सांसद बने थे और मध्यप्रदेश से अलग होकर नए राज्य छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बने । जोगी के बाद राजनीति के सबसे सफल अफसरों में पूर्व मुख्यसचिव स्वर्गीय सुशील चंद वर्मा रहे। वर्मा भोपाल से चार बार सांसद रहे। आईएएस की नौकरी छोडक़र स्वर्गीय एमएन बुच बैतूल से लोकसभा का चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। प्रमुख सचिव के वेतनमान से सेवानिवृत्त हुए डॉ. भागीरथ प्रसाद भिंड से सांसद रहे हैं। मप्र के पूर्व मंत्री रूस्तम सिंह आईजी के पद से इस्तीफा देकर पहली बार 2003 में विधानसभा का चुनाव लड़े थे। सिंह, उमा भारती, स्वर्गीय बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह मंत्रिमंडल में मंत्री रहे हैं। मुख्य सचिव वेतनमान से सेवानिवृत्त हुईं अजिता वाजपेयी पांडे कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय हैं। एडीजी वेतनमान से रिटायर्ड हुए स्वर्गीय शिव मोहन सिंह भी एक बार सतना जिले के अमरपाटन से विधायक रह चुके हैं। चर्चित आईपीएस अधिकारी डॉ. पन्नालाल देवास जिले के सोनकच्छ से विधानसभा का चुनाव लड़े, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। देखना होगा इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में कितने नौकरशाह राजनीति में अपनी किस्मत आजमाते हैं।
यह पूर्व अफसर भी राजनीति में हैं सक्रिय
– एसएस उप्पल: भाजपा की चुनाव आयोग प्रबंधन समिति में पदाधिकारी हैं। चुनावी कामकाज की जिम्मेदारी निभा रहे।
– कवींद्र कियावत: भोपाल संभागायुक्त रहे, सेवानिवृत्त के बाद भाजपा की सदस्यता ली और अब घोषणा पत्र बना रहे।
– एसएनएस चौहान: पन्ना कलेक्टर रहे। भाजपा की सदस्यता ली और घोषणा पत्र बना रहे।
– रघुवीर श्रीवास्तव: मप्र संवर्ग के 1992 बैच के सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी हैं। अगस्त में भाजपा की सदस्यता ली।
– एसएस कुमरे: राज्य शासन में उप सचिव से सेवानिवृत्त हुए। सिवनी जिले में भाजपा संगठन के लिए काम कर रहे
– प्रकाश उइके: न्यायिक सेवा से त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल हुए। पार्टी ने पांढुर्णा विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया।
– महेंद्र सोलंकी: न्यायिक सेवा से त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल हुए। देवास लोकसभा क्षेत्र से सदस्य हैं।
– वीणा घाणेकर: पिछला चुनाव सपाक्स से लड़ा लेकिन हारीं ।