~ रीता चौधरी
सोशल टैबूज़ और लिमिटिड साइंटिफिक रिसर्च के चलते फीमेल इजैक्यूलेशन कभी भी चर्चा का विषय नहीं बन पाया। फीमेल इजैक्यूलेशन को आमतौर पर सेक्स के दौरान फीमेल यूरेथरा से होने वाले एक डिस्चार्ज के रूप में जाना जाता है।
फीमेल इजैक्यूलेशन और ऑर्गेज्म तो दूर की बात क्यों है? आज भी लोग महिलाओं की सेक्सुअल लाइफ के मुद्दे पर खुलकर बात करने को तैयार नहीं होते हैं। फीमेल सेक्सुएलिटी को लेकर हमारे आस पास कई प्रकार के मिथ्स लोगों के बीच मौजूद है। आपसी बातचीत से कतराने के चलते लोगों में जानकारी की कमी बनी हुई है।
*क्या है फीमेल इजैक्युलेशन?*
इजैक्यूलेशन को आमतौर पर सेक्स के दौरान फीमेल यूरेथरा से होने वाले एक डिस्चार्ज के रूप में जाना जाता है। इस विषय में जहां लोगों की रूचि रही है, तो वहीं ये मुद्दा विवादों में भी घिरा रहा है।
वस्तुतः ऑर्गेज्म के दौरान फीमेल प्रोस्टेट से निकलने वाले लिक्विड की प्रक्रिया को महिला इजैक्यूलेशन कहा जाता है।
फीमेल इजैक्यूलेशन महिलाओं को प्लैजर महसूस करवाने लगता है। इससे महिलाएं संतुष्टि का अनुभव करने लगती है।
हाल ही में की गई कुछ स्टडीज़ पर नज़र दौड़ाएं, तो बॉडी की ऐसी कंडीशन के दौरान बहुत सी महिलाओं के एक्सपीरिएंस अलग अलग रहे। महिलाओं को सुना गया और उस पर रोशनी भी डाली गई।
इस समय होने वाले लिक्विड डिस्चार्ज यूरिन से अलग होते हैं; ल्यूकोरिया और पीरियड वाले डिस्चार्ज से भी अलग। इस लिक्विड में प्रोस्टेटिक स्पेसिफिक एंटीजन पाया गया है जो मेल सीमन में भी पाया जाता है।
फीमेल इजैक्यूलेशन में मेल प्रोस्टेट की तरह ही स्केन की ग्रंथियों से तरल पदार्थ का डिस्चार्ज होता है।
*फीमेल इजैक्युलेशन और ऑर्गेज्म :*
फीमेल इजैक्यूलेशन की तुलना फीमेल ऑर्गेज्म से नहीं की जा सकती है। दरअसल, महिलाएं इजैक्यूलेशन के बगैर भी बहुत बार ऑर्गेज्म को एक्सपीरिएंस कर सकती हैं। इसमें कोई दो-राय नहीं कि फीमेल इजैक्यूलेशन महिलाओं को प्लैजर महसूस करवाने लगता है।
इससे महिलाएं संतुष्टि का अनुभव करने लगती है। ऐसा करने से शरीर में हैप्पी हार्मोंस भी रिलीज़ होते हैं।
*नॉर्मल है फीमेल इजैक्यूलेशन :*
सेक्सुएलिटी को लेकर लोगों की गलत और झूठी मान्यताओं को सिरे से खारिज़ करने के लिए इस विषय पर जानकारी बेहद ज़रूरी है। इसके लिए आपका ओपन मांइडिड होना आवश्यक है, ताकि आप इस समस्या की गहराई तक पहुंच सकें।
यह प्रक्रिया सेक्स के दौरान होना सामान्य और नेचुरल सी बात है। इसे लेकर मन में किसी प्रकार की गलत धारणाओं को पनपने से रोकना चाहिए। इजैक्यूलेशन के दौरान सभी महिलाओं अनुभव एक दूसरे से अलग रहा है। यह बात अलग है की आज 99% पुरुष मर्द नहीं रहे. इसलिए लाखों मे से कोई एक स्त्री इजैक्यूलेट यानी पूरी तरह तृप्त हो पाती है.
ऐसा माना गया है कि इजैक्यूलेशन के दौरान सभी महिलाओं अनुभव एक दूसरे से अलग रहा है। जहां कुछ इसे डीपली महसूस नहीं कर पाती हैं, तो कुछ को इससे प्लेजर की प्राप्ति होती है।
इस बात को भी मानना ज़रूरी है कि सभी महिलाएं इजैक्यूलेशन नहीं करती है और इसे प्लैजर का एक ज़रिया मान लेना भी पूरी तरह से गलत है।
इजैक्यूलेशन की पूरी प्रक्रिया तथा चरणों की जानकारी व अनुभव हासिल करने के लिए और अधिक रिसर्च की और वास्तविक मर्द के साथ औरत के प्रयोग की आवश्यकता है।
इसके ज़रिए महिलाओं की सेक्सुअल लाइफ से जुड़ी कई अहम जानकारियों का पता लगाया जा सकता है। उन्हें डेवलप करके स्त्री जीवन को पूरी तरह आनंदित बनाया जा सकता है.