अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

पेनिस कैंसर : जानकारी, बचाव और उपचार 

Share

डॉ. प्रिया

_पुरुष-लिंग में होने वाले इस कैंसर को पेनाइल कैंसर कहा जाता है. इस का उनके जीवन पर कई तरह से असर पड़ता है। यह जान भी ले सकता है._

       कैंसर तब शुरू होता है जब कोशिकाएं नियंत्रण से बाहर होने लगती हैं। शरीर के लगभग किसी भी हिस्से की कोशिकाएं कैंसर बन सकती हैं। 

   शरीर के किसी भी हिस्से को कैंसर हिट कर सकता है। ब्रेस्ट या गले के कैंसर पर तो अकसर लोग बात कर लेते हैं, पर एक खास किस्म के कैंसर पर अब भी लोग बात करने से कतराते हैं। इतना ज्यादा कि इसके लिए एक्सपर्ट डॉक्टर का पता लगा पाना भी एक चुनौतीपूर्ण टास्क बन जाता है।

*क्या है पेनाइल कैंसर*

      पेनाइल कैंसर लड़को के पीनस यानी लिंग में या उसके ऊपर शुरू होता है। कैंसर तब शुरू होता है जब कोशिकाएं नियंत्रण से बाहर होने लगती हैं।

     शरीर के लगभग किसी भी हिस्से की कोशिकाएं कैंसर बन सकती हैं। लापरवाही करने पर ये शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकती हैं।

       पीनस शरीर में यूरीन और प्रजनन प्रणाली का हिस्सा है। इसमें यूरेथरा (urethra) नामक एक नली होती है, जो मूत्र को ब्लेडर से शरीर के बाहर ले जाती है और टेस्टिकल से वीर्य (शुक्राणु) को ले जाती है।

       पेनाइल कैंसर को समझने के लिए पीनस के विभिन्न हिस्सों को समझना बहुत जरूरी है। जिसमें पीनस का शीर्ष शरीर या शाफ्ट, फोरस्किन, यह एक स्किन होती होती है जिसे ऊपर नीचे किया जा सकता है (यह पीनस के टिप को ऊपर से ढकती है) फ्रेनुलम, (पीनस के नीचे, फोरस्किन और शाफ्ट के बीच स्किन का एक छोटा सा टैग होता है) शामिल हैं।

       कुछ पुरुषों की फोरस्किन को हटाने के लिए एक ऑपरेशन होता है जिसे सर्कम्सिशन कहा जाता है।

        त्वचा, मांसपेशियों और नसों सहित विभिन्न प्रकार के ऊतक लिंग का निर्माण करते हैं। इसमें भरपूर रक्त आपूर्ति होती है। यौन उत्तेजित होने पर लिंग में रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है।

       कैंसर रिसर्च यूके के अनुसार पेनाइल कैंसर से पीड़ित अधिकांश पुरुष 50 वर्ष से अधिक उम्र के होते हैं। प्रत्येक वर्ष औसतन 100 में से 3 (3%) नए मामले 40 वर्ष से कम आयु के पुरुषों में होते हैं।

       इंडियन कैंसर सर्जरी साइट के अनुसार भारत के शहरी क्षेत्रों में पेनाइल कैंसर के प्रति 100,000 पुरुषों पर 0.7-2.3 मामले हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में पेनाइल कैंसर की दर प्रति 100,000 पुरुषों पर 3 मामले हैं।

किसी व्यक्ति को किस प्रकार का पेनाइल कैंसर है, यह उस कोशिका के प्रकार पर निर्भर करता है जिसमें कैंसर शुरू हुआ था।

    *1. स्क्वैमस सेल कैंसर* (Squamous cell cancer)

      कैंसर रिसर्च यूके के अनुसार 100 में से 95 से अधिक पेनाइल कैंसर (95% से अधिक) स्क्वैमस सेल कैंसर हैं। ये कैंसर स्क्वैमस सेल से विकसित होते हैं, यह चपटी, त्वचा जैसी कोशिकाएं होती हैं जो पीमस की सतह को कवर करती हैं।

      यह कैंसर कहीं भी विकसित हो सकता है। लेकिन सबसे ज्यादा मामलों में ये पीनस के शीर्ष और जिन पुरुषों ने सर्कम्सिशन नहीं करवाया होता है उनके फोरस्किन पर भी ये कैंसर हो सकता है।

      अगर स्क्वैमस सेल कैंसर का पता जल्दी चल जाता है तो आमतौर पर इसका इलाज किया जा सकता है।

      वेरूकस कार्सिनोमा एक दुर्लभ प्रकार का स्क्वैमस सेल पेनाइल कैंसर है। यह एक बड़े मस्से की तरह दिखता है और धीरे-धीरे बढ़ने वाला ट्यूमर है जो शायद ही कभी शरीर के अन्य भागों में फैलता है। वैरूकस कार्सिनोमा आमतौर पर सर्जरी से ठीक हो जाता है।

*2. सार्कोमा (Sarcoma)*

     सार्कोमा कैंसर हैं जो शरीर के संयोजी ऊतकों (connective tissues) में विकसित होते हैं, ये टिशू शरीर की संरचना बनाते हैं, जैसे हड्डी, मांसपेशी, वसा।

     पीनस के सार्कोमा बहुत कम देखने को मिलते हैं लेकिन ये सभी प्रकार के पेनाइल कैंसर की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ते हैं।

*3. बेसल सेल कैंसर (Basal cell cancer)*

     स्किन की सबसे गहरी परत में पाए जाने वाले बेलस सेल में यह कैंसर विकसित होते है। ये कैंसर ज्यादातर सूर्य के संपर्क में आने वाली जगाहों पर होते हैं, लेकिन यह अन्य जगाहों पर भी विकसित हो सकते हैं जो सूर्य को संपर्क में सीधे तौर पर नहीं आते है।

     इस प्रकार का कैंसर बहुत धीमी गति से बढ़ते है और बहुत कम ही शरीर के अन्य भागों में फैलते है।

*4. मेलेनोमा (Melanoma)*

   स्किन की उन कोशिकाओं में विकसित होने वाले कैंसर को मेलानोमा कहा जाता है जो कोशिकाएं स्किन को रंग देती है।

*5. एडेनोकार्सिनोमा*

एडेनोकार्सिनोमा कैंसर उन ग्रंथि कोशिकाओं में विकसित होते हैं जो पीनस की त्वचा में पसीना पैदा करते हैं। ये बहुत ही कम पाए जाने वाले कैंसर में से है।

 *कारण और लक्षण :*

       ह्यूमन पेपिलोमा वायरस एचपीवी स्किन से स्किन संपर्क से फैलता है। आमतौर पर ओरल सेक्स के दौरान या अन्य सेक्स गतिविधियों के दौरान भी यह वायरस फैल सकता है।

    कैंसर रिसर्च यूके के अनुसार यूके में लगभग 10 में से 8 लोग (80%) अपने जीवनकाल में कभी न कभी एचपीवी वायरस से संक्रमित होते हैं। अधिकांश लोगों को वायरस कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है और उपचार के बिना ही ठीक हो जाता है। परंतु एचपीवी से ग्रस्त लोगों में पेनाइल कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है।

     पेनाइल कैंसर 50 या उससे अधिक उम्र वाले पुरूषों में सामान्य रूप से होता है। अगर 40 से कम उम्र के पुरूषों में ये कैंसर होता है, तो इसे असमान्य माना जाता है।

      शरीर के अन्य हिस्सों में होने वाले कैंसर की ही तरह पेनाइल कैंसर के लिए भी धूम्रपान एक जोखिम कारक है। इसलिए इससे जितना बचा जाए उतना बेहतर है।

    इम्यून सिस्टम शरीर में किसी भी तरह के संक्रमण और कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। अगर आपका इम्यून सिस्टम कमजोर है तो पेनाइल कैंसर का खतरा अधिक हो सकता है। एचआईवी या एड्स जैसी बिमारी भी इम्यून सिस्टम को कमजोर कर सकती है।

     सर्कम्सिशन या खतना फोरस्किन को हटाने के लिए किया जाने वाला एक छोटा सा ऑपरेशन है। ऐसा कहा जाता है कि जिन पुरुषों ने सर्कम्सिशन नहीं करवाया होता है, उनको कभी-कभी अपनी फोरस्किन को पीछे खींचने में कठिनाई हो सकती है.

        इसे फिमोसिस कहते हैं। फिमोसिस वाले पुरुषों में अन्य पुरुषों की तुलना में पेनाइल कैंसर का खतरा अधिक होता है। हालांकि अभी इसके बारे में साक्ष्य इतने मजबूत नहीं हैं।

   _इन लक्षणों से पहचान सकते हैं पेनाइल कैंसर की दस्तक :_

   ~पीनस का बढ़ा होना या दर्द होना

   ~कुछ बदबूदार चीज का डिस्चार्ज होना

  ~पीनस में सा खून आना

  ~जेनाइटल पर दाने या रैश होना

   ~फोरस्किन को पीछे खींचने में दर्द होना

*उपचार की बात :*

     नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के अनुसार सर्जरी पेनाइल कैंसर को खत्म करने का एक आम इलाज है। जिसमें डॉक्टर सर्जरी के माध्यम से कैंसर को हटा सकता है। ये सर्जरी आपकी कैंसर की स्टेज के अनुसार कई प्रकार की हो सकती है।

       रेडिएशन थेरेपी पेनाइल कैंसर के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस उपचार में हाई एक्स रेस ( x-rays) और अन्य प्रकार की रेडिएशन का उपयोग कैंसर कोशिकाओं को मारने और उसे बढ़ने से रोकने के लिए किया जाता है।

      कीमोथेरेपी के द्वारा कैंसर उपचार के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है। कीमोथेरेपी में दवाओं के माध्यम से कैंसर कोशिकाओं को मारकर या विभाजित कर उनके विकास को रोका जाता है।

     इम्यूनोथेरेपी के द्वारा कैंसर का उपचार रोगी के इम्यून सिस्टम के द्वारा ही कैंसर से लड़ा जाता है। शरीर द्वारा बनाए गए या प्रयोगशाला में बनाए गए पदार्थों का उपयोग कैंसर के खिलाफ शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा को बढ़ाया जाता है। (चेतना विकास मिशन).

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें