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दो दशक बाद फिर इंदौर नगर निगम में करोड़ों का पेंशन घोटाला

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जिनको बरसों पेंशन दी, उनके खातों की केवायसी ही नहीं

पहले कैलाश विजयवर्गीय के महापौर कार्यकाल में पेंशन घोटाला उजागर हुआ था। एक बार फिर नगर निगम में पेंशन कांड सामने आया है। हर माह 2.10 करोड़ रुपए जिन खातों में बरसों तक जाते रहे, उनकी जानकारी नहीं मिल रही। वार्षिक 25.20 करोड़ के घपले की जानकारी होने के बाद भी नगर निगम के कर्ताधर्ता मौन हैं।

केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के तहत वृद्ध, विधवा, निःशक्त, निराश्रित, परित्यक्ता, बाल निःशक्त, बहुविकलांग, कन्या अभिभावक और अविवाहिताओं को हर माह 600 रुपए पेंशन दी जाती है। बीते साल तक निगम इन श्रेणियों के तहत 1 लाख 40 हजार 510 लोगों को हर माह पेंशन देता था। केंद्र सरकार द्वारा सभी पेंशनर्स के दस्तावेज की जांच और खातों की केवायसी कराने के आदेश पर अमल शुरू होते ही 35 हजार खातों की पेंशन बंद हो गई।

35 हजार खाते अपडेट नहीं: करीब एक साल से निगम अधिकारी पेंशनर्स खातों की केवायसी अपडेट कराने में जुटे हैं। इसके लिए शिविर भी लगाए, लेकिन 35 हजार खाते अपडेट नहीं हुए। सवाल यह यह है कि वर्षों से हर माह इन खातों में 600 जांच भी रुपए पेंशन दी जा रही थी, यह राशि किसके पास जा रही थी? यह नहीं की जा रही कि ये खाते किनके थे। मालूम हो, 2019 से पेंशन की राशि 600 रुपए प्रतिमाह की गई थी।

1 निगम ने हर वार्ड में लोगों को पेंशन देने को एक कर्मचारी व कम्प्यूटर ऑपरेटर रखा। इनका काम पेंशनर्स को आने वाली दिक्कतों या समस्या का सत्यापन करते हुए निराकरण करना। जब कर्मचारी नियुक्त हैं, तो पेंशनर्स की केवायसी क्यों नहीं हो पाई?

उठ रहे ये सवाल

2 जिन खातों की पेंशन रोकी गई, उनका सत्यापन नगर निगम ने क्यों नहीं कराया?

पेंशन श्रेणी

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय निःशक्त पेंशन

3 3 जिन खातों की पेंशन रोकी गई. वो खाते सही हैं या गलत… इसकी जांच क्यों नहीं कराई गई?

ऐसे समझें मामला

हर माह कम-ज्यादा

पेंशन में गड़बड़ी को बीते। छह माह में जारी हुई संख्या से समझा जा सकता है। इस दौरान पेंशनर्स की संख्या कम-ज्यादा होती रही। जनवरी की तुलना में जून में तादाद काफी कम हो गई।

2005 के पेंशन घोटाले पर आज तक कार्रवाई नहीं

नगर निगम में वर्ष 2005 में पेंशन घोटाला सामने आया था। कैलाश विजयवर्गीय महापौर थे। हजारों फर्जी लोगों को पेंशन जारी होने की बात सामने आई थी। राज्य सरकार ने जांच को जैन आयोग गठित किया था। आयोग ने सरकार को जांच रिपोर्ट दी। सरकार ने न यह रिपोर्ट सार्वजनिक की और न ही दोषियों पर कोई कार्रवाई की।

मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। पता लगाने के बाद ही कुछ कह पाऊंगा।

– मनोज चौरसिया, अपर आयुक्त, नगर निगम इंदौर

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