,मुनेश त्यागी
नफरत फ़ैलाने और हिंसा करने को,
विरोधियों को दुश्मन समझने को,
देशभक्ति समझने लगे हैं लोग।
संदेह होने पर मारपीट करने को,
निर्दोषों को पीट-पीट कर मार देने को,
देशभक्ति समझने लगे हैं लोग।
दंगा फसाद झगड़ा करने को,
मकान दुकान घर जलाने को,
देशभक्त समझने लगे हैं लोग।
विरोधियों को गद्दार बताने को,
झूठ को सांप्रदायिक रंग देने को,
देशभक्ति समझने लगे हैं लोग।
देशद्रोही तथ्यों को बताने वालों को,
देशभक्तों को ही राष्ट्रद्रोही कहने को,
देशभक्ति समझने लगे हैं लोग।