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जय स्तंभ पर दीप प्रज्वलित करके जन संगठनों ने लिया ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने का संकल्प

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रीवा । शहर के ऐतिहासिक जय स्तंभ पर आज शाम दीप प्रज्वलित करके नारी चेतना मंच , समाजवादी जन परिषद एवं विंध्यांचल जन आंदोलन सहित विभिन्न जन संगठनों के कार्यकर्ताओं ने जय स्तंभ सहित ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने का संकल्प लिया। इस अवसर पर समाजवादी जन परिषद के नेता लोकतंत्र सेनानी अजय खरे , नारी चेतना मंच की वरिष्ठ नेत्री सुशीला मिश्रा , नारी चेतना मंच की अध्यक्ष अरुणा शर्मा , गीता महंत , मिथिलेश गुप्ता , बिट्टों सोंधिया , शकुन रजक , फूलमती गुप्ता , नैना चंदेल , सामाजिक कार्यकर्ता रामाधार पटेल , परिवर्तन पटेल , पंकज विश्वकर्मा आदि ने दीप प्रज्वलित करके देश की एकता अखंडता और स्वतंत्रता की रक्षा का संकल्प लेते हुए कहा कि ऐतिहासिक धरोहरों के साथ होने वाले किसी तरह के खिलवाड़ को रोका जाएगा।
जय स्तंभ पर दीप प्रज्वलित करते हुए समाजवादी जन परिषद के नेता लोकतंत्र सेनानी अजय खरे ने कहा कि जयस्तंभ की सोने की प्रतिकृति भी बना दी जाए तो भी वह इस ऐतिहासिक जयस्तंभ की जगह नहीं ले सकती है । समदड़िया बिल्डर्स को लाभ पहुंचाने के लिए ऐतिहासिक जय स्तंभ को हटाने के दुष्चक्र को कभी भी अंतिम रूप दिया जा सकता है । जय स्तंभ को हटाने की पूर्व तैयारी के तहत उसकी प्रतिकृति स्थानीय पद्मधर पार्क में तैयार कर ली गई है । यह भारी विडंबना है कि इस सवाल को लेकर चुने हुए जनप्रतिनिधियों की जुबान पर ताला लगा हुआ है , वहीं पृथक विंध्य प्रदेश का राग अलापने वाले भी ऐतिहासिक जय स्तंभ के साथ होने जा रहे क्रूर खिलवाड़ को अनदेखा कर रहे हैं ।
ऐतिहासिक पहचान रखने वाले जय स्तंभ क्षेत्र में न तो यातायात संकेतक है , न ही यातायात पुलिस मौजूद रहती है । सन 1957 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की शताब्दी समारोह के अवसर पर बीहर नदी के छोटी पुल के पास पुराने राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर 7 पर जय स्तंभ स्थापित किया गया था । यह रीवा शहर की शान और ऐतिहासिक धरोहर है , जिसका इसी स्थान पर महत्व है।
यह बहुत आपत्तिजनक बात है कि ऐतिहासिक प्रतीक चिन्हों के रखरखाव एवं उनके मूल स्वरूप को संरक्षित करने के बजाय कथित विकास के नाम पर लुटेरों के व्यवसायिक हितों को साधने के लिए जय स्तंभ की पावन पहचान खत्म की जा रही है । करीब 64 साल पहले जय स्तंभ भारत सरकार की पहल पर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बनाया गया था . यहां शुरू से भारी भरकम वाहनों का आवागमन हमेशा रहता था लेकिन इसके चलते कभी कोई व्यवधान और दिक्कत नहीं आई । इधर बाईपास बनने के बाद राष्ट्रीय मार्ग की स्थिति बदल गई है । जय स्तंभ सभी धर्म वर्ग समुदाय के लोगों की एकता एवं राष्ट्रीय भावनाओं का प्रतीक है।
इस जय स्तंभ में एक छोटा सरोवर और फव्वारा भी है , जिसकी अनदेखी लंबे समय से होती आ रही है । वहीं शहर के दूसरे चौराहों में शानदार फव्वारे चल रहे हैं । कुछ साल पहले जय स्तंभ परिसर पऱ ही जेपी सीमेंट के द्वारा अपने प्रचार प्रसार के लिए एक नकली जय स्तंभ भी स्थापित कर दिया गया । जिसका विरोध होने के बावजूद उसे आज तक नहीं हटाया गया , वहीं इधर मूल जयस्तंभ की पहचान को ही नष्ट किया जा रहा है । सिरमौर चौराहा , कॉलेज चौराहा , अस्पताल चौराहा पर भारी भरकम आवागमन रहता है वहां भी बड़ी रोटरी है इसके बावजूद उसे सुरक्षित रखते हुए यातायात व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जाता है वहीं दूसरी ओर ऐतिहासिक जयस्तंभ को यातायात व्यवस्था के नाम पर हटाने के दुष्चक्र को अंतिम रूप दिया जाने वाला है। कॉलेज चौराहा सिरमौर चौराहा और अस्पताल चौराहे की रोटरी काफी बड़ी है लेकिन वहां ट्रैफिक व्यवस्था सुचारू होने के कारण यातायात व्यवस्था सुगम रहती है । वहीं जय स्तंभ को गलत तरीके से हटाने वहां की रोटरी को बहाना बनाया जा रहा है । इस बात से शासन-प्रशासन का विरोधाभासी चरित्र स्पष्ट रूप से उजागर हो गया है।
चौराहों पर चारों दिशाओं से वाहन आते हैं , जिसे नियंत्रित करने के लिए यातायात पुलिस एवं स्वचालित संकेतक काम करते हैं । दुनिया का कोई भी चौराहा ऐसा नहीं होगा जहां जाम न लगे , उसी जाम को व्यवस्थित रूप से सही करने के लिए यातायात पुलिस काम करती है । यातायात व्यवस्था के बहाने जय स्तंभ को हटाया जाना सरासर गलत होगा । शासन प्रशासन को जय स्तंभ क्षेत्र का अतिक्रमण हटाकर उसके ऐतिहासिक स्वरूप को बरकरार रखना चाहिए । देश के प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन के प्रतीक में रूप में स्थापित जय स्तंभ को सुरक्षित रखते हुए यातायात व्यवस्था को कैसे सुगम बनाया जाए शासन को इस बात पर विशेष गौर करना चाहिए ।
राष्ट्रीय एकता अखंडता एवं स्वतंत्रता के प्रतीक जय स्तंभ के मूल स्वरूप को बचाने के लिए जन संगठनों के द्वारा जन जागरण अभियान जारी रखा जाएगा और हर शाम दीप प्रज्वलित करके अलख जगायेंगे। शहरवासियों से भी अपेक्षा है कि वे एक बार यहां आकर दीप अवश्य प्रज्वलित करें । जो लोग देश के आजादी के आंदोलन के इतिहास के साथ खिलवाड़ करेंगे , उन्हें इसकी सजा जरूर मिलेगी और देश गद्दारों को कभी माफ नहीं करेगा ।

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