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गूगल के खिलाफ अमेरिकी सरकार और 38 राज्य…सर्च इंजन एकाधिकार मामले में पिचाई की अदालत में गवाही

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गूगल की मालिकाना कंपनी अल्फाबेट इंक के सीईओ सुंदर पिचाई ने सर्च इंजन एकाधिकार मामले में सोमवार को अमेरिकी अदालत में गवाही दी। दावा किया कि माइक्रोसॉफ्ट कंपनी अपने वेब ब्राउजर इंटरनेट एक्सप्लोरर में सुधार नहीं ला रही थी, लेकिन गूगल ने क्रोम में रोचक बदलाव किए, जिसे लोगों ने पसंद किया, इसी से गूगल का एकाधिकार स्थापित हुआ। इस बड़े स्तर के प्रतिस्पर्धा-रोधी मामले में गूगल के खिलाफ अमेरिकी सरकार और 38 राज्य लड़ रहे हैं। आरोप हैं कि गूगल ने सभी प्रमुख स्मार्टफोन में इंटरनेट ब्राउजर के तौर पर अपना सर्च इंजन उपयोग करवाने के लिए फोन बनाने वाली कंपनियों को हजारों करोड़ डॉलर दिए।

अदालत में शपथ लेकर दिए बयान में पिचाई ने माइक्रोसॉफ्ट और उसके इंटरनेट ब्राउजर इंटरनेट एक्सप्लोरर की आलोचना की। दावा किया कि ‘साल 2008 में इंटरनेट ब्राउजर के बाजार में ठहराव आ चुका था। माइक्रोसॉफ्ट अपने ब्राउजर को सुधारने के लिए उत्साहित ही नहीं थी। उसी समय क्रोम लॉन्च हुआ, जिसने नाटकीय तरीके से सुधार किए।’ उल्लेखनीय है कि गूगल ने क्रोम ब्राउजर 2008 में लॉन्च किया था, वहीं एक्सप्लोरर जून 2022 में हमेशा के लिए बंद हो चुका है। पिचाई के अनुसार गूगल ने यह व्यवस्था की है कि कोई यूजर अगर क्रोम का उपयोग न करना चाहे तो आसानी से दूसरे ब्राउजर उपयोग कर सकता है। इससे पहले गूगल ने कहा था कि मुकदमे में पिचाई उसके ‘स्टार गवाह’ हैं। 8 हफ्तों की सुनवाई के बाद  मुकदमा आखिरी चरण में पहुंच रहा है। एजेंसी

सीईओ बनने की सुनाई कहानी
पिचाई ने बयान की शुरुआत अपनी कहानी से की। बताया कि वे किस प्रकार चेन्नई में रहे, फिर अमेरिका आए, यहां गूगल के लिए काम किया और 2015 में कंपनी के सीईओ बने। दावा किया कि क्रोम में शुरुआती निवेश और इनोवेशन की वजह से यूजर्स को कई फायदे हुए। कई वेबसाइट्स भी इसी वजह से लोकप्रिय हुईं। इंटरनेट पर चीजों को सर्च करने के लिए लोगों को क्रोम उपयोग करना आसान लगा। इसी से एकाधिकार हासिल हुआ, कंपनी ने इसके लिए कोई गैर-कानूनी काम नहीं किया।

सरकार जीती तो बदल जाएंगे गूगल के तौर-तरीके
जानकारों के अनुसार अगर यह साबित हुआ कि गूगल ने इंटरनेट सर्च इंजन के क्षेत्र और इसके जरिए डिजिटल विज्ञापनों एकाधिकार हासिल करने के लिए गैरकानूनी तरीके अपनाए, फोन बनाने वाली कंपनियों को पैसा देना गलत था, तो कंपनी को अपने कारोबारी तौर-तरीके बड़े स्तर पर बदलने होंगे। यह भी संभव है कि वह सर्च इंजन और विज्ञापनों से सर्वाधिक कमाई करने वाली कंपनी लंबे समय तक न रहे।

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