एस पी मित्तल, अजमेर
11 अप्रैल को जब जयपुर में भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार की जांच की मांग को लेकर पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने एक दिवसीय अनशन किया तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चाहते थे कि अनुशासनहीनता के आरोप में पायलट को कांग्रेस से बाहर कर दिया जाए। इसलिए गहलोत ने प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा की भी मदद ली। 12 अप्रैल के रंधावा के बयान से ऐसा लगा कि अब पायलट के खिलाफ कार्यवाही हो जाएगी। लेकिन जब इस पूरे प्रकरण में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमल नाथ की एंट्री हुई तो पूरा माहौल बदल गया। कमल नाथ ने पायलट से मुलाकात करने से पहले राहुल गांधी और कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से भी मुलाकात की। बदली हुई परिस्थितियों में दिल्ली में अब गहलोत के मुकाबले में पायलट का पलड़ा भारी हो गया है। असल में कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं ने पायलट के विरुद्ध कोई कार्यवाही करने से पहले गत वर्ष 25 सितंबर को अशोक गहलोत द्वारा करवाई गई खुली बगावत का मुद्दा सामने रख दिया। मौजूदा परिस्थिति में कांग्रेस हाईकमान अशोक गहलोत और सचिन पायलट को राजस्थान की राजनीति में बराबर महत्व दे रहा है। हाईकमान यह नहीं चाहता कि पायलट को अलग कर अशोक गहलोत के दम पर विधानसभा का चुनाव लड़ा जाए। दिल्ली में कांग्रेस के कई नेता गहलोत के रवैये से भी खफा है। गहलोत ने पिछले चार वर्षों में कभी भी पायलट को महत्व नहीं दिया। हाईकमान के निर्देशों के बाद भी गहलोत ने पायलट से संवाद नहीं किया। उलटे क कई मौकों पर पायलट की कड़ी आलोचना की। पायलट को निकम्मा, गद्दार धोखेबाज के साथ-साथ कोरोना वायरस तक कहा गया।
राजस्थान आने से भी बचें:
प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा अब 15 अप्रैल को जयपुर में आयोजित कांग्रेस के ओबीसी मोर्चे के कार्यालय का उद्घाटन और कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में भाग लेना था, लेकिन रंधावा तय कार्यक्रम के अनुसार जयपुर नहीं आए। जानकारों की माने तो रंधावा अब राजस्थान आने से भी बच रहे हैं। रंधावा के नहीं आने पर कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि जालंधर लोकसभा के चुनाव में व्यस्त होने के कारण रंधावा जयपुर नहीं आए।
विरोध की पहल अजमेर से:
11 अप्रैल के अनशन पर पायलट के विरुद्ध राजस्थान भर में किसी भी नेता ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने तो पायलट के अनशन का समर्थन किया। प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा ने भी इस मुद्दे पर खामोशी बनाए रखी। लेकिन आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ की पहल पर अजमेर देहात कांग्रेस के भूपेंद्र सिंह राठौड़, यूथ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक जैन, गुलाम मुस्तफा चिश्ती, महेंद्र चौधरी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े को एक पत्र लिखकर पायलट के खिलाफ अनुशानात्मक कार्यवाही करने की मांग की है। कांग्रेस के इन नेताओं का मानना है कि पायलट ने जयपुर में अनशन कर अनुशासनहीनता की है। संभवत: राजस्थान में अजमेर ऐसा पहला जिला होगा, जहां पायलट के अनशन का विरोध किया गया है। सब जानते हैं कि आरटीडीसी के अध्यक्ष राठौड़ अजमेर के पुष्कर से विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं इसलिए पिछले एक वर्ष से अजमेर में कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस के इन नेताओं का बयान दिलवाने में भी राठौड़ की भूमिका रही है। यह बात अलग है कि गत 11 अप्रैल को पायलट के अनशन स्थल पर जिले के 16 पीसीसी सदस्यों में से 10 से ज्यादा सदस्य मौजूद थे। कांग्रेस के प्रमुख नेता पायलट के समर्थन में खड़े नजर आए। ऐसे में राठौड़ की पहल का राजनीतिक दृष्टि से बहुत मायने है। राठौड़ ने पहले भी पायलट पर कई आरोप लगाए हैं। लेकिन इस बार राठौड़ ने स्वयं कोई आरोप लगाने के बजाए अपने समर्थकों को आगे किया है।