नई दिल्ली, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को खत्म करने की केंद्र सरकार की योजना की खबरें चिंता का विषय हैं, खासकर वर्तमान भारत में जहां अल्पसंख्यक, विशेष रूप से मुस्लिम चरम दक्षिणपंथी हिंदुत्व से भेदभाव और अत्याचार का सामना कर रहे हैं। सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष एम.के. फैज़ी ने कहा कि दुर्भाग्य से, केंद्र की सरकार इसी हिंदुत्व फासीवादियों द्वारा नियंत्रित है। फैज़ी ने कहा कि इस समय फासीवाद विरोधी राजनीतिक दलों की चुप्पी सबसे खतरनाक है।
इस कदम का सरकारी संस्करण यह है कि मंत्रालय का गठन 2006 में यूपीए सरकार ने अपनी ‘तुष्टिकरण’ रणनीति के तहत किया था। वास्तविक कारण, जैसा कि सभी जानते हैं, यह नहीं है, लेकिन, सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में, मुसलमानों को उनके अधिकारों की देखभाल करने और उनकी शिकायतों को दूर करने के लिए इस मंत्रालय की स्थापना की गई थी।
पिछले आठ साल से केंद्र में हिंदुत्व फासीवादियों के सत्ता में आने के बाद से, भारत नफरत की राजनीति के गलत रास्ते पर जा रहा है। तब से, शासन संविधान में निहित अल्पसंख्यकों के अधिकारों से वंचित करने की प्रक्रिया में है। कई अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं के लिए बजट को कम कर दिया गया है। अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुसलमानों के अधिकारों को शासन द्वारा घातक रूप से खत्म किया जा रहा है।
केन्द्र सरकार का यह कदम अप्रत्याशित नहीं है जिसका नेतृत्व एक ऐसी विचारधारा कर रही है जो देश से हिंदू धर्म के अलावा अन्य धर्मों को खत्म करने का आह्वान करती है। शासन धीरे-धीरे अल्पसंख्यकों के अधिकारों को छीन रहा है। हालांकि वर्तमान पीड़ित मुसलमान हैं; उन्मूलन की सूची में ईसाई और कम्युनिस्ट दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
फासीवादियों को लोकतांत्रिक साधनों का उपयोग करके देश पर शासन करने की सत्ता से हटाना उनके द्वारा प्रस्तुत वर्तमान पराजय का एकमात्र समाधान है। फैज़ी ने आग्रह किया कि सभी धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक दलों को इसे समझना चाहिए और फासीवाद को हराने के लिए एकजुट होकर प्रयास करना चाहिए।