हुकुमचंद मिल की 42 एकड़ जमीन पर अब हाउसिंग बोर्ड ने व्यवसायिक और आवासीय प्रोजेक्ट्स विकसित करने की योजना बनाई है। इसमें शॉपिंग मॉल, होटल, मल्टीप्लेक्स और आईटी पार्क के साथ-साथ आवासीय टावर और ग्रीन बेल्ट भी शामिल होंगे। हुकुमचंद मिल के मजदूरों का संघर्ष लंबे समय तक चलता रहा और आखिरकार हाईकोर्ट के आदेश पर उनकी जमा पूंजी की व्यवस्था हाउसिंग बोर्ड द्वारा की गई। इसके साथ ही अन्य देनदारियों को भी निपटाया गया और इसके बदले में हाउसिंग बोर्ड को मिल की 42 एकड़ जमीन प्राप्त हुई, जिसमें नगर निगम की भी भागीदारी सुनिश्चित की गई क्योंकि मूल रूप से इस जमीन का मालिक नगर निगम ही था। अब हाउसिंग बोर्ड ने इस भूमि के 25.40 एकड़ हिस्से को व्यवसायिक उपयोग के लिए प्रस्तावित किया है, जिसमें शॉपिंग मॉल, होटल, मल्टीप्लेक्स, आईटी पार्क सहित अन्य ऊंची इमारतों के निर्माण हेतु रियल एस्टेट डेवलपर्स और बिल्डरों को आमंत्रित किया गया है।
25 फरवरी को इच्छुक डेवलपर्स अपने प्रस्ताव सौंपकर सीधी चर्चा कर सकेंगे, जिसे प्री-बिड मीटिंग के रूप में आयोजित किया गया है। इस बैठक में उनके सुझावों को भी शामिल किया जाएगा। साथ ही इस प्रोजेक्ट को भोपाल में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में भी प्रस्तुत किया जाएगा ताकि देशभर के निवेशकों को इसकी जानकारी मिल सके।

आवासीय प्रोजेक्ट्स विकसित किए जाएंगे
मिल की शेष भूमि पर आवासीय प्रोजेक्ट्स विकसित किए जाएंगे, जिसमें 10 फीसदी हिस्से को ग्रीन बेल्ट के रूप में विकसित किया जाएगा। हाईकोर्ट के आदेश पर नगर तथा ग्राम निवेश विभाग ने इस जमीन के उपयोग परिवर्तन की प्रक्रिया पूरी की, क्योंकि पूर्व में मुंबई डीआरटी द्वारा इस भूमि की कई बार ऑनलाइन नीलामी की कोशिश की गई थी, लेकिन विभिन्न देनदारियों, औद्योगिक भू-उपयोग और निगम की दावेदारी जैसी कई जटिलताओं के कारण नीलामी सफल नहीं हो पाई। वहीं, 5000 से अधिक हुकुमचंद मिल के मजदूर अपनी जमा पूंजी की प्राप्ति के लिए संघर्षरत रहे। उनकी याचिकाओं की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने भू-उपयोग परिवर्तन करवाने के साथ ही शासन को निर्देश दिए कि मजदूरों की जमा पूंजी की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। इसके परिणामस्वरूप हाउसिंग बोर्ड को इस कार्य के लिए तैयार किया गया और उसने 500 करोड़ रुपये की राशि का चेक हाईकोर्ट में जमा किया, जिससे मजदूरों की जमा पूंजी का भुगतान किया गया और बैंकों व अन्य वित्तीय संस्थानों की देनदारियों का निपटारा हुआ।
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में शोकेस किया जाएगा
इसके पश्चात हुकुमचंद मिल की 42 एकड़ भूमि डीआरटी के कब्जे से मुक्त हो गई और निगम तथा हाउसिंग बोर्ड के बीच इस जमीन को लेकर एमओयू (MOU) पर हस्ताक्षर किए गए। अब हाउसिंग बोर्ड ने इस भूमि के उपयोग हेतु ईओआई (Expression of Interest) की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसके तहत 25.40 एकड़ व्यवसायिक भूमि के लिए रियल एस्टेट डेवलपर्स से प्रस्ताव मांगे गए हैं। हाउसिंग बोर्ड के एग्जिक्यूटिव इंजीनियर राजकुमार भासने के अनुसार, 25 फरवरी को डेवलपर्स के साथ सीधी चर्चा होगी और उनके सुझाव भी लिए जाएंगे। इस बैठक का आयोजन भोपाल के होटल कंट्री यार्ड मैरियट में किया गया है। साथ ही, भोपाल में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में भी हुकुमचंद मिल की जमीन पर प्रस्तावित प्रोजेक्ट्स को शोकेस किया जाएगा, ताकि देशभर के निवेशकों को इसकी जानकारी मिल सके।
निवेशकों की रुचि
25.40 एकड़ भूमि पर व्यावसायिक इमारतें बनाई जाएंगी, जबकि शेष जमीन पर आवासीय प्रोजेक्ट्स विकसित होंगे, जिसमें ऊंची इमारतों का निर्माण किया जाएगा। साथ ही, कुल भूमि के 10 फीसदी हिस्से को ग्रीन बेल्ट के रूप में विकसित किया जाएगा। यह भी उल्लेखनीय है कि हुकुमचंद मिल की यह भूमि शहर के मध्य स्थित है, जहां से एयरपोर्ट मात्र 9 किलोमीटर की दूरी पर है, जबकि रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड सिर्फ एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। इस रणनीतिक स्थान के कारण यह भूमि व्यावसायिक और आवासीय परियोजनाओं के लिए अत्यधिक आकर्षक है, जिससे निवेशकों की रुचि लगातार बढ़ रही है।