भगवान राम की तपोभूमि चित्रकूट पहुंचे पीएम नरेन्द्र मोदी ने तुलसी पीठ के जगद्गुरु रामभद्राचार्य से मुलाकात कर उनका आशीर्वाद लिया। इस दौरान जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने पीएम मोदी की जमकर तारीफ करते हुए उन्हें अपना मित्र बताते हुए कहा कि पीएम मोदी ने पूरे देश का कायाकल्प कर दिया है। वहीं पीएम नरेन्द्र मोदी ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य की उ तीन पुस्तकों ‘अष्टाध्यायी भाष्य’, ‘रामानंदाचार्य चरितम्’ और ‘भगवान श्री कृष्ण की राष्ट्र लीला’ का विमोचन किया। पुस्तकों का विमोचन करने के बाद कहा कि रामभद्राचार्य ऐसे संत हैं जिनके अकेले ज्ञान पर दुनिया की कई यूनिवर्सिटी स्टडी कर सकती हैं। भौतिक नेत्र न होने के बाद भी रामभद्राचार्य ने अपने चक्षुओं को जागृत न केवल ज्ञान अर्जित किया बल्कि कई किताबें भी लिखी हैं। पीएम मोदी ने कहा कि रामभद्राचार्य की मेधा व्यक्तिगत नहीं बल्कि पूरे राष्ट्र की धरोहर है।
‘शस्त्र और शास्त्र दोनों की जननी है संस्कृत’
जगद्गुरु रामभद्राचार्य की पुस्तकों का विमोचन करने के बाद पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा कि संस्कृत हजारों साल पुरानी भाषा है, इन हजारों सालों में कई नई भाषाएं आईं और नई भाषाओं ने पुरानी भाषाओं की जगह ले ली लेकिन संस्कृत वहीं पर अटल है वो समय के साथ परिष्कृत तो हुई पर प्रदूषित नहीं हुई। पीएम मोदी ने कहा कि शस्त्र और शास्त्र दोनों की जननी संस्कृत है, आज भी दुनिया की बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटी में संस्कृत पर शोध होता है और संस्कृत का प्रसार पूरी दुनिया में बढ़ रहा है।
इशारों-इशारों में विरोधियों पर हमला
इस दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी ने मंच से ही इशारों-इशारों में विरोधियों पर निशाना साधा। पीएम मोदी ने कहा कि गुलामी के 1 हजार सालों में भारत को तरह तरह से जड़ से उखाड़ने का काम हुआ। इन्हें में से एक था संस्कृत भाषा का विनाश। हम आजाद हुए लेकिन जिन लोगों की गुलामी की मानसिकता नहीं गई वो संस्कृत के प्रति बैर-भाव पालते रहे। संस्कृत का उनने सम्मान नहीं किया, संस्कृत भाषा को जानना ये लोग पिछड़ेपन की मानसिकता मानते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि इस मानसिकता के लोग एक हजार साल से हारते आ रहे हैं और आगे भी कामयाब नहीं होंगे।