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नजूल संपत्ति अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ उत्तर प्रदेश के राजनीतिक  दल, और नागरिक समाज एकजुट हुए 

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लखनऊ। अकबरनगर के बाद पंतनगर, अबरार नगर, खुर्रम नगर, रहीम नगर और स्कॉर्पियो कॉलोनी समेत लखनऊ की विभिन्न बस्तियों को खाली करने और बुलडोजर से तहस-नहस करने की कार्रवाई और प्रदेश को तबाह करने वाले नजूल संपत्ति अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ उत्तर प्रदेश के विभिन्न राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और नागरिक समाज की बैठक सीपीएम राज्य कार्यालय पर हुई। बैठक में लखनऊ बचाओ संघर्ष समिति का गठन किया गया और पूरे लखनऊ में बेदखली के खिलाफ शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक संवाद अभियान चलने का निर्णय हुआ।

इस अभियान में प्रशासनिक अधिकारियों से मिलने, न्यायालय में हस्तक्षेप करने और जनता से संवाद करने का निर्णय हुआ है। इसका पहला सम्मेलन 10 जुलाई को खुर्रम नगर में आयोजित किया जाएगा। बैठक में राजनीतिक प्रस्ताव सीपीएम राज्य सचिव मंडल सदस्य मधु गर्ग ने रखा और अध्यक्षता सपा से मेयर की प्रत्याशी रही वंदना मिश्रा व संचालन ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के प्रदेश महासचिव संगठन दिनकर कपूर ने किया।

बैठक में पारित किए गए राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया कि शंकराचार्यो और धर्म गुरूओं के विरोध के बावजूद धार्मिक और आस्था की नगरी वाराणसी और अयोध्या को पर्यटन नगरी में तब्दील करने के लिए बड़े पैमाने पर की गई तहस-नहस की कार्रवाई के बाद अब भाजपा-आरएसएस की सरकार अदब के नगर लखनऊ को बर्बाद करने पर तुली है। गुजराती रियल स्टेट कारोबारी के लिए पूरे लखनऊ में बेदखली अभियान चल रहा है।

कालोनियों और बस्तियों को खाली कराया जा रहा है और आम आदमी के जीवन और आजीविका को गहरे संकट में डाल दिया गया है। चुनावों में बुरी तरह हुई हार से सबक सीखने की जगह अभी भी योगी सरकार बुलडोजर राज चलाने में पर आमादा है। लखनऊ विकास प्राधिकरण के अंतर्गत लखनऊ के ग्रामीण क्षेत्र को भी लेने का निर्णय हुआ है। अब गांव में भी मकान बनवाने पर एलडीए से नक्शा पास करना होगा जिसकी मनमानी कीमत एलडीए ने तय कर रखी है। इससे महंगाई की मार से पीड़ित जनता के ऊपर और बड़ा बोझ आएगा।

प्रस्ताव में कहा गया कि योगी सरकार ने मार्च में नजूल सम्पत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग) अध्यादेश 2024 लाकर पूरे प्रदेश में इन जमीनों पर बसे हुए लोगों की बेदखली का रास्ता खोल दिया है। अंग्रेजों के जाने के बाद जो भूमि बिना किसी मालिकाना अधिकार के पड़ी रही वह नजूल भूमि थी और इस पर बहुत तेरे लोगों ने अपना मकान, दुकान आदि का निर्माण कर जीवन निर्वाह कर रहे हैं। इस अध्यादेश से पूरे लोगों की आजीविका ही खतरे में पड़ जाएगी। कॉर्पोरेट्स के लिए लैंड पुलिंग करने के लिए लाए गए इस जन विरोधी अध्यादेश को वापस कराने के लिए चौतरफा पहल ली जायेगी।

बैठक में मलिन बस्तियों को हटाकर ईडब्ल्यूएस आवास देने की कार्रवाई पर भी विरोध जताते हुए कहा गया कि लखनऊ में जो 700 से ज्यादा मलिन बस्तियां है उनमें जिन जमीनों पर लोग रह रहे हैं वह जमीनों उनके नाम दर्ज की जाए और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत धन देकर उनके आवास बनवाए जाएं। बैठक में हर घर नल योजना में ग्रामीणों से वॉटर टैक्स वसूली के आदेश को वापस लेने की मांग भी उठी।

बैठक में सीपीएम के राज्य सचिव कामरेड हीरालाल यादव, कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री डाक्टर मसूद अहमद, सीपीआई से कांति मिश्रा, कांग्रेस प्रदेश संगठन प्रभारी दिनेश सिंह, शिक्षक संघ के नेता अमित राय, टीयूसीसी के प्रदेश महासचिव प्रमोद पटेल, ट्रांस गोमती निवासी संघर्ष समिति के अध्यक्ष मोहम्मद सलीम, महासचिव राकेश मणि पांडे, अकबरनगर के नेता इमरान रजा, साझी दुनिया की अंकिता मिश्रा, एसएफआई के अभिषेक कुमार, नागरिक समाज के वीरेंद्र त्रिपाठी एडवोकेट, केके शुक्ला, डीवाईएफआई के दीप डे, सीपीएम के प्रवीण सिंह, आइपीएफ के श्याम वर्मा, रामनगर की कैमून, बदरून निशा व एडवा की प्रियांशी ने अपनी बात रखी।

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