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छत्तीसगढ़ में धान खरीदी को लेकर सियासी घमासान

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छत्तीसगढ़ में धान खरीदी को लेकर सियासी घमासान चरम पर है। किसानों के मुद्दों को लेकर कांग्रेस और भाजपा एक-दूसरे पर तीखे आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं। वहीं, किसान संगठन भी अपनी समस्याओं और मांगों को लेकर मुखर हैं। यह मुद्दा प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा विमर्श बन गया है।

कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर धान खरीदी में अव्यवस्था का आरोप लगाते हुए इसे किसानों के साथ धोखा करार दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि बेमेतरा जिले में अधिकांश धान खरीदी केंद्र बंद पड़े हैं। उन्होंने कहा, विधानसभा में भाजपा सरकार यह दावा करती है कि धान खरीदी की व्यवस्था सुचारू रूप से चल रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर सच्चाई कुछ और ही बयां कर रही है कई जगहों पर किसानों को परेशान किया जा रहा है और धान खरीदा ही नहीं जा रही है ।

वहीं कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने भी भाजपा पर किसानों की समस्याओं को नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा सरकार केवल कागजों पर धान खरीदी का दिखावा कर रही है। किसानों की परेशानियों और खरीदी केंद्रों में हो रही अव्यवस्था को भाजपा नेता देख ही नहीं पा रहे हैं। इन सब बयानों को भाजपा ने नकारते हुए इसे विपक्ष की राजनीति बताया है। भाजपा के महामंत्री संजय श्रीवास्तव ने कहा कि कांग्रेस केवल अपने अस्तित्व को बचाने के लिए एक कृत्रिम समस्या खड़ी कर रही है। वह किसानों के नाम पर राजनीति करने में जुटी हुई है। वहीं केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू ने कांग्रेस के शासनकाल पर ही सवाल उठा दिया है उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने अपने समय में किसानों के लिए कुछ नहीं किया। अब वे सिर्फ किसानों के नाम पर केवल आरोप लगाने का काम कर रहें हैं। धान खरीदी को लेकर किसानों के बीच नाराजगी बढ़ रही है। किसान संगठनों ने टोकन व्यवस्था और बारदाने की कमी को लेकर सरकार से सवाल उठा दिया हैं। भारतीय किसान यूनियन के महासचिव तेजराम विद्रोही ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि धान खरीदी केंद्रों में टोकन जारी करने में गड़बड़ियां हो रही हैं। बारदाने की कमी के कारण किसानों को समय पर धान बेचने में दिक्कतें हो रही हैं। केंद्र सरकार द्वारा समर्थन मूल्य में की गई वृद्धि का लाभ भी किसानों तक नहीं पहुंच रहा है। वहीं संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता वेगेंद्र ने धान खरीदी की सीमा बढ़ाने की मांग करते हुए कहा कि किसानों को राहत देने के लिए समिति में धान खरीदी की सीमा बढ़ाई जानी चाहिए। वर्तमान सीमा से किसानों को नुकसान हो रहा है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इन सब आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि धान खरीदी की प्रक्रिया पूरी तरह से सुचारू है।

उन्होंने कहा कि विपक्ष केवल राजनीति कर रहा है। किसानों के हित में हमारी सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं और धान खरीदी की व्यवस्था को बेहतर बनाया है। छत्तीसगढ़ में धान खरीदी का मुद्दा न केवल किसानों के जीवन और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है, बल्कि यह राज्य की राजनीति के केंद्र भी है। सियासी दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप की इस लड़ाई में सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस जटिल समस्या का समाधान कैसे करती है। क्या किसानों को उनकी मेहनत का पूरा फल मिलेगा, या यह विवाद केवल राजनीतिक मंचों तक ही सीमित रहेगा? फिलहाल, छत्तीसगढ़ के किसानों को राहत दिलाने और धान खरीदी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

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