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मध्य प्रदेश विधानसभा उपाध्यक्ष पद को लेकर सियासत: कांग्रेस मांग रही उपाध्यक्ष की कुर्सी?

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देश के 22 राज्यों में डिप्टी स्पीकर का पद उन्हीं पार्टियों के पास है, जो सरकार में शामिल है. मध्य प्रदेश में कांग्रेस विपक्ष में होते हुए यह पद मांग रही है. सवाल उठ रहा है कि क्या कांग्रेस को यह पद मिलेगा?

मध्य प्रदेश विधानसभा में उपाध्यक्ष पद को लेकर सियासत शुरू हो गई है. विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने स्पीकर नरेंद्र तोमर को पत्र लिखकर कांग्रेस को डिप्टी स्पीकर का पद देने की मांग की है. कटारे का कहना है कि इस मामले में परंपरा का निर्वहन किया जाए. मध्य प्रदेश विधानसभा में 2020 से ही उपाध्यक्ष का पद रिक्त है.

हेमंत कटारे ने अपने पत्र में क्या लिखा है?

विधानसभा स्पीकर नरेंद्र तोमर को लिखे पत्र में कटारे ने कहा है कि लोकसभा में 18 में से 10 बार उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को दिया गया है. विधानसभा में इस तरह की परंपरा रही है. ऐसे में डिप्टी स्पीकर का पद कांग्रेस को देने पर फैसला हो.

कटारे ने पत्र में डिप्टी स्पीकर की जरूरत और नियमों का भी हवाला दिया है. उन्होंने लिखा है कि विधानसभा के दो सत्र से पहले ही डिप्टी स्पीकर को लेकर नियुक्ति का प्रावधान है, लेकिन दो सत्र बीत जाने के बाद भी इस पर फैसला नहीं लिया गया है.

22 राज्यों में सत्ता के पास डिप्टी स्पीकर का पद

20 राज्य और 2 केंद्र शासित प्रदेश में अभी डिप्टी स्पीकर तैनात हैं. इनमें से एक भी राज्य डिप्टी स्पीकर की यह कुर्सी विपक्ष को नहीं दी गई है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों ने इस मामले में परंपरा का पालन नहीं किया है. छोटी पार्टियां भी अपने पास ही डिप्टी स्पीकर की कुर्सी रख ली है.

उदाहरण के लिए बंगाल में तृणमूल की सरकार है. यहां पर स्पीकर और डिप्टी स्पीकर दोनों पद पर ममता की पार्टी के नेता ही काबिज हैं. इसी तरह पंजाब और दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है और स्पीकर और डिप्टी स्पीकर पद आप के पास ही है.

हिमाचल में कांग्रेस की सरकार है और यहां भी दोनों पद कांग्रेस ने अपने पास रख लिए हैं. अरुणाचल, असम, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, हरियाणा, मणिपुर और त्रिपुरा में स्पीकर-डिप्टी स्पीकर का पद बीजेपी के पास ही है.

बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा जैसे राज्यों में डिप्टी स्पीकर का पद रिक्त है. वहीं कांग्रेस शासित तेलंगाना और कर्नाटक में किसी भी नेता को डिप्टी स्पीकर अब तक नहीं बनाया गया है.

बिहार में स्पीकर की कुर्सी बीजेपी को मिली है, तो डिप्टी स्पीकर की कुर्सी जेडीयू को. इसी तरह पांडिचेरी में भी स्पीकर की कुर्सी पर बीजेपी विधायक बैठे हैं और डिप्टी स्पीकर की कुर्सी पर सहयोगी एआईएनआरसी के.

झारखंड में कांग्रेस अपने सहयोगी झामुमो से डिप्टी स्पीकर की कुर्सी मांग रही है. यहां विपक्ष में होने के नाते बीजेपी भी उपाध्यक्ष की कुर्सी पर दावा कर रही है.

कांग्रेस को मिलेगा डिप्टी स्पीकर का पद?

2013 में शिवराज सिंह चौहान की जब सरकार आई थी तब कांग्रेस को डिप्टी स्पीकर का पद दिया गया था. कांग्रेस ने उस वक्त अमरपाटन से विधायक राजेंद्र सिंह को उपाध्यक्ष की कुर्सी सौंपी थी. सिंह अभी भी विधायक हैं और डिप्टी स्पीकर की रेस में सबसे आगे चल रहे हैं.

हालांकि, 2018 में यह परंपरा टूट गई. कमलनाथ की सरकार ने डिप्टी स्पीकर का पद तब की विपक्ष बीजेपी को देने से इनकार कर दिया था. स्पीकर नर्मदा प्रसाद प्रजापति के नियुक्त होते ही कमलनाथ ने हीना कांवड़े को डिप्टी स्पीकर की कुर्सी सौंप दी.

कमलनाथ की जब सरकार गिरी तो स्पीकर और डिप्टी स्पीकर दोनों को कुर्सी छोड़नी पड़ गई. स्पीकर पद पर नियुक्ति हो गई, लेकिन तभी से डिप्टी स्पीकर की कुर्सी खाली है.

कांग्रेस में कई वरिष्ठ नेता डिप्टी स्पीकर पद की रेस में शामिल हैं, इनमें पूर्व उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का नाम प्रमुख हैं. हालांकि, सरकार की तरफ से इसको लेकर सकारात्मक रूख अब तक नहीं दिखाया गया है.

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