अग्नि आलोक
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*Show, rally की सियासत?*

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शशिकांत गुप्ते

चुनाव की नाव में सवार किए गए,जीत की उम्मीद लगाए व्यक्तियों के समर्थन में समाचार माध्यमों में बेशकीमती विज्ञापन,और सभी दलों के रसूखदारों के द्वारा रोड शो आयोजित होते हैं।
मुद्दा है,चुनाव के प्रचार के लिए रोड पर शो करने का?
Show इस अंग्रेजी शब्द का अर्थ होता है,दिखाना,दिखावा,प्रदर्शन आदि।
Show शब्द से फिल्मी दुनिया के शो मैन(राजकपूर) का स्मरण होता है।
शो मैन का स्मरण होते ही,कुछ फिल्मों के टाइटल स्मृति पटल पर उभर आतें हैं।
आवारा,अनाड़ी,श्री ४२०,
दीवाना,मेरा नाम जोकर आदि।
शो मैन का स्मरण होते ही परिवार वाद की याद ताजा हो जाती है।
पृथ्वी “राज” के परिवार का करिश्मा क़रीना तक आ गया।
विषयांतर को रोक कर पुनः शो शब्द पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
फिल्मों में सिर्फ दिखावा ही तो होता है,तकरीबन सभी फिल्मों की कहानियां कल्पनातीत ही होती है।
सियासी रोड शो में भी तो वादों,दावों को सुनने के बाद बोल बच्चन शब्द स्मृति पटल पर उभर आता है।
बोल बच्चन, शब्द का अर्थ है।इस शब्द का इस्तेमाल किसी ऐसे व्यक्ति का मज़ाक उड़ाने या उपहास करने के लिए किया जाता है। जो बड़े काम या महान काम करने का वादा तो करता है, लेकिन कोई भी वादा निभाने के के लिए सक्षम नहीं होता है।
जब भी रोड शो की खबर पढ़ने,देखने और सुनने में आती है, तब नौटंकी की याद आ जाती है,नौटंकी को मराठी भाषा में तमाशा कहते हैं।
शो मतलब सिर्फ दिखावा ही होता है,इसीलिए रोड शो में किए जाने वाले वादे,दावे से जनता के हृदय में स्पंदन नहीं होता है।
इसका मुख्य कारण रोड शो में किए जाने वालें वादों में हृदयहीनता का प्रभाव होता है।
चुनाव के प्रचार के लिए रैलियों का भी आयोजन होता है।
प्रचार के लिए आयोजित रैलियों को फिर मनोरंजन की दृष्टि से देखना चाहिए। यह भूल जाना चाहिए कि, किसके नीचे कितने और किस तरह रैले हैं?
सारा कुछ Show ही तो है। दिखावा ही दिखावा।
इन्ही पंक्तियों को बार बार दोहराने का मन करता है।
दिखला के किनारा मुझे मल्लाह ने लूटा
कश्ती भी गयी हाथ से पतवार भी छूटा
और अंत में सावधानी बरतने के लिए निम्न पंक्तियों को भी दोहराना जरूरी है।
किसी ने लूट लिया और हमें ख़बर न हुई
सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या किया
दिन में अगर चराग़ जलाए तो क्या किया

शशिकांत गुप्ते इंदौर

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