(विश्व तंबाकू निषेध दिवस विशेष
डॉ. प्रितम भि. गेडाम
नशा ऐसी घातक लत है जो असाध्य बीमारी, विकलांगता, दर्द और समय से पहले मौत का कारण बनती है, आर्थिक हानि के साथ-साथ सामाजिक प्रतिष्ठा को क्षति पहुंचती है तथा मानसिक कष्ट होता है। दुनिया में हजारों तरह के स्वास्थ्यवर्धक स्वादिष्ट व्यंजन हैं खाने के लिए, फिर भी लोग नशे के लिए अनमोल जीवन बरबाद करते हैं। देश में बेहद आसानी से बहुत कम कीमत पर मिलने वाला नशा तंबाकू है, जिसका सेवन समाज में सभी आयु वर्ग के लोग करते हुए नजर आते हैं। पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों या शहरी मलिन बस्तियों में या सड़क किनारे 5 साल के छोटे बच्चे भी तंबाकू खाते हुए नजर आते हैं, जहां अभिभावक बच्चों की ओर ध्यान नहीं देते, जो हमारे आधुनिक युग और सभ्य कहलाने वाले समाज के लिए बेहद शर्म की बात है। हमेशा बड़े बुजुर्ग, अभिभावक बच्चों के सामने ही तंबाकू खाते या धूम्रपान करते हुए दिखते है, जिसका सीधा असर बच्चों पर पड़ता है। तंबाकू का नशा शरीर में धीमे जहर की तरह काम करता है, जो घातक बीमारियों से शरीर को जकड़कर मारता है। तंबाकू के प्रति जन जागरूकता एवं नशामुक्ति से लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है और अरबों डॉलर भी, जो बीमारियों के इलाज पर खर्च किये जाते है। तंबाकू के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए हर साल 31 मई को दुनिया भर में “विश्व तंबाकू निषेध दिवस” मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम ‘तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बच्चों की रक्षा’ है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन अनुसार, साल 2017 में धूम्रपान संबंधित मौतें 80 लाख थी। वैश्विक स्तर पर हर 5 में से 1 वयस्क धूम्रपान करने वाला है और 80 प्रतिशत तंबाकू उपयोगकर्ता निम्न और मध्यम आय वाले देशों में है, धूम्रपान से जुड़ी वैश्विक मौतों का प्रतिशत 15 है। 1.6 करोड़ अमेरिकी वयस्क धूम्रपान से जुड़ी बीमारी से पीड़ित हैं, अमेरिका में हर साल तंबाकू से 480,000 से अधिक लोग मरते हैं। तंबाकू में मौजूद विषाक्त पदार्थ प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर करते हैं, जिससे बीमार होकर मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। आर्सेनिक, सीसा, टार- ये तंबाकू के धुएं में मौजूद घातक 7,000 से अधिक रसायनों में से ही कुछ रसायन है। तंबाकू का उपयोग कैंसर, फेफड़ों की बीमारी, हृदय रोग और स्ट्रोक सहित कई जानलेवा बीमारियों के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है। यह अनुमान लगाया गया है कि जागरूकता सेवाओं की कमी के कारण 2050 तक धूम्रपान करने वालों के बीच 16 करोड़ अतिरिक्त वैश्विक मौतें हो सकती हैं।
भारत में तंबाकू के उपयोग का सबसे प्रचलित रूप धुआं रहित तंबाकू है और आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली खैनी, गुटखा, तंबाकू के साथ सुपारी और जर्दा हैं। बीड़ी, सिगरेट और हुक्का तंबाकू धूम्रपान के प्रकार है। देश में हर साल लगभग 13.5 लाख लोगों की मौत का कारण तंबाकू बनता है। धुआं रहित तंबाकू वैश्विक बोझ का 70 प्रतिशत हिस्सा भारत पर है। धुआं रहित तंबाकू के सेवन से हर साल 2,30,000 से अधिक भारतीयों की मौत हो जाती है। भारत में लगभग 90 प्रतिशत मुँह के कैंसर का कारण धुंआ रहित तंबाकू का सेवन है। बीड़ी और सिगरेट पीने वाले अन्यों की तुलना में 6 से 10 साल पहले मर जाते हैं। भारत में 27 प्रतिशत कैंसर तंबाकू के सेवन से होते है।
ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे इंडिया 2016-17 के अनुसार, भारत में लगभग 26.7 करोड़ वयस्क (15 वर्ष और उससे अधिक) अर्थात सभी वयस्कों का 29 प्रतिशत तंबाकू उपयोगकर्ता है, जिनमें 42 प्रतिशत से अधिक पुरुष और 14 प्रतिशत से अधिक महिलाएं शामिल हैं। किशोरों में तंबाकू सेवन का प्रचलन लड़कों में 19 प्रतिशत और लड़कियों में 8 प्रतिशत है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तंबाकू उत्पादक और उपभोक्ता देश है, जो 761,335 टन तंबाकू का उत्पादन करता है। वर्ष 2017-18 में, भारत में 35 वर्ष एवं उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए तंबाकू के सेवन से होने वाली सभी बीमारियों के इलाज की कुल आर्थिक लागत 1,77,341 करोड़ रुपये थी।
हर साल लाखों भारतीयों की मौत सेकेंड हैंड धुएं के संपर्क में आने से हो जाती है। धूम्रपान करनेवाले की गलती का खामियाजा धूम्रपान नहीं करनेवाले आबादी को अपनी मौत देकर चुकानी पड़ती है, फिर भी लोग तंबाकू का सेवन नहीं छोड़ते है। सेकेंडहैंड धूम्रपान अर्थात जब कोई व्यक्ति सिगरेट/बीड़ी पीते हुए उससे निकलने वाले जहरीले धुएं को अपने आसपास के वातावरण में छोड़ता है और उस धुएं के संपर्क में आनेवाले व्यक्ति या बच्चें ऑक्सीज़न के साथ उस जहरीले धुएं को अपने शरीर में लेते है, तब उस धुएं को सेकंडहैंड धूम्रपान कहते है। 30.2 प्रतिशत वयस्क कार्यस्थल पर, 7.4 प्रतिशत रेस्तरां में, और 13.3 प्रतिशत सार्वजनिक परिवहन में धूम्रपान के संपर्क में आते हैं। 21 प्रतिशत किशोर (13-15 वर्ष की आयु) सार्वजनिक स्थानों पर और 11% घर पर धूम्रपान के संपर्क में आते हैं।
वर्ष 2019 में भारतीय स्कूली छात्रों के बीच तंबाकू के उपयोग पर आईआईपीएस द्वारा किए गए ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे के अनुसार, 23 प्रतिशत से अधिक हाईस्कूल के छात्र घर के अंदर धूम्रपान करना पसंद करते हैं। इसके अलावा, लगभग 20 प्रतिशत छात्र स्कूल परिसरों में धूम्रपान करना पसंद करते हैं। हाई स्कूल के नौ प्रतिशत छात्रों ने अक्सर तंबाकू उत्पादों का उपयोग करने की सूचना दी। तंबाकू उत्पादन के लिए व्यापक कीटनाशकों और उर्वरकों के उपयोग से जल प्रदूषित होता हैं और विनिर्माण से सालाना 2 मिलियन टन से अधिक कचरा उत्पन्न होता है और 4.3 मिलियन हेक्टेयर भूमि भी नष्ट हो जाती है, जिससे वनों की कटाई में योगदान होता है। रोगों और पर्यावरणीय क्षति पर अंकुश लगाने के लिए धूम्रपान मुक्त भविष्य के लिए वैश्विक सहयोग की आवश्यकता है।
नशे के बारे में पीढ़ी दर पीढ़ी परम्परावादी मनगढ़ंत झूठ भी हमारे समाज में खूब फैला है, ढूंढने से हजारों बहाने मिल जाते है, नशेड़ियों का समाज में कोई सम्मान नहीं होता। नशा सिर्फ बर्बादी देता है और नशा कभी भी छोड़ा जा सकता है, केवल इच्छाशक्ति प्रबल होना आवश्यक है। जीवन के प्रति अपना नजरिया बदलें, नशे में अपना जीवन बर्बाद न करें। दृढ़ संकल्प, सकारात्मक सोच, जिम्मेदारी की भावना और खुशनुमा माहौल हमें नशे से छुटकारा पाने में मदद करते हैं। नशा मुक्ति के लिए सबसे पहले नशा करने वाले लोगों से दूरी बनाएं, नशे की तलब आये तो आरोग्यदायक खाद्य पदार्थ के बारे में सोचें, अपनी सेहत और परिवारजनों का विचार करें। अभिभावक अपने बच्चों के व्यवहार और दिनचर्या पर विशेष ध्यान दें, छात्रों में नशे की लत बेतहाशा बढ़ रही है। आज के आधुनिक युग में नशे को बढ़ावा देने के लिए और युवाओं को आकर्षित करने के लिए हुक्का पार्लर का ट्रेंड भी खूब फलफूल रहा है, तंबाकू द्वारा बीमारियों से तड़पकर समय से मरने से अच्छा है कि वक्त रहते संभल जाएं और तंबाकू छोड़ें।
सरकार, गैर सरकारी संगठन, नशा मुक्ति केंद्र और अन्य सहायता समूह नशे की लत के खिलाफ लड़ाई में भागीदार के रूप में हमेशा हमारे साथ हैं। तुरंत तंबाकू मुक्त होने का संकल्प लें। तंबाकू छोड़ने में सहायता पर परामर्श के लिए नेशनल टोबैको क्विट लाइन सर्विसेज – 1800 112 356 (टोल फ्री) पर संपर्क किया जा सकता है, या 011-22901701 पर मिस्ड कॉल देकर पंजीकरण करें जो एक निःशुल्क सेवा है। इसके अलावा www.nhp.gov.in/quit-tobacco वेबसाइट पर जाकर लॉगिन और रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं, जीवन का मूल्य समझें, हमेशा नशा मुक्त रहें।
डॉ. प्रितम भि. गेडाम
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