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महाकुंभ में ‘नेत्र कुंभ’ के तहत सबसे ज्यादा आंखों की जांच कर इतिहास रचने की तैयारी

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प्रयागराज महाकुंभ 2025 में कई संभावित विश्व रिकॉर्ड बनने जा रहे हैं, जिसमें एक ही कार्यक्रम में सबसे अधिक चश्मे बांटने और आंखों की जांच करने का रिकॉर्ड भी शामिल है। स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने ‘नेत्र कुंभ’ की पहल की प्रशंसा की। स्वामी ने कहा, ‘नेत्र कुंभ प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में भक्तों को मुफ्त नेत्र जांच प्रदान करने के लिए आयोजित एक पहल है। भारतीय संस्कृति की मुख्य अभिव्यक्ति सेवा ही है। आंख सबसे संवेदनशील अंग है, हम इससे पूरी दुनिया और खुद को देख सकते हैं। क्षमता के अनुसार ‘नेत्र कुंभ’ कार्यक्रम पूरी तरह से स्वागत योग्य है। पिछली बार लगभग 1 लाख चश्मे बांटे गए थे और इस बार भी चश्मे बांटे जाएंगे।”

‘तीन लाख चश्मे और पांच लाख OPD का है लक्ष्य’

नेत्र कुंभ की आयोजन समिति में शामिल डॉ रंजन बाजपेयी ने बताया कि नेत्र कुंभ में भाग लेने वालों की संख्या पिछली बार से दोगुनी है, जिसमें 3 लाख चश्मे बांटने और 5 लाख आंखों की जांच करने की योजना है। डॉ. बाजपेयी ने मीडिया को बताया, “पिछले नेत्र कुंभ में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की आंखों की जांच की गई थी। इस बार इसमें भाग लेने वालों की संख्या दोगुनी हो गई है। इस बार तीन लाख चश्मे और पांच लाख ओपीडी का लक्ष्य है। एक दिन में 10 हजार ओपीडी का लक्ष्य है। इसके लिए बड़े स्तर पर इंतजाम किए गए हैं। स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे।’

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल कराने का प्रयास

डॉ रंजन बाजपेयी ने आगे बताया, ‘इसका उद्घाटन मुख्य अतिथि जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि महाराज के हाथों होगा, जबकि गौरांग प्रभु जी महाराज विशिष्ट अतिथि होंगे और संघ के सहकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जी मुख्य वक्ता होंगे। नेत्र कुंभ को पहले ही लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल किया जा चुका है, इस साल इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

10 एकड़ में बना ‘नेत्र कुंभ’

भीड़ प्रबंधन की जिम्मेदारी संभाल रहे राजेश कुमार सिंह ने बुनियादी ढांचे के बारे में विस्तार से बताया। “नेत्र कुंभ करीब 10 एकड़ में बनाया गया है। इसमें कुल 11 हैंगर बनाए गए हैं। पिछली बार सिर्फ 5 हैंगर थे। यहां व्यवस्थित तरीके से आंखों की जांच की जाएगी। एक बड़ा हैंगर बनाया गया है, जहां सभी श्रद्धालु एकत्र होंगे। इसके बाद उन्हें दो अलग-अलग ओपीडी चैंबर में भेजा जाएगा, जहां वे अपना पंजीकरण करवाकर डॉक्टरों से परामर्श ले सकेंगे।

पिछले नेत्र कुंभ में 11,000 लोगों ने आंखें दान की थीं

राजेश कुमार ने यह भी बताया कि कैसे नेत्रदान शिविर लगाने की भी व्यवस्था की गई है। सिंह के अनुसार, पिछले नेत्र कुंभ में 11 हजार से अधिक लोगों ने अपनी आंखें दान की थीं। राजेश सिंह ने कहा, “श्रीलंका, जो हमसे बहुत छोटा देश है, पूरी दुनिया को कॉर्निया दान करता है। हमने यहां एक नेत्रदान शिविर लगाने का संकल्प लिया है, ताकि जो लोग अपनी आंखें दान करना चाहते हैं, वे दूसरों को दृष्टि का उपहार दे सकें। पिछले नेत्र कुंभ में 11,000 से अधिक लोगों ने अपनी आंखें दान की थीं।”

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