हिंदू महासभा जल्द ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे और गोडसे के साथी नारायण आप्टे की मूर्ति स्थापित करने की तैयारी में है। यह मूर्ति ग्वालियर में बनकर तैयार हो गई है और मेरठ(उत्तर प्रदेश) भेजी जा चुकी है। मेरठ में अगले महीने यह स्थापित होनी हैं। आप्टे को नाथूराम गोडसे के साथ ही गांधी की हत्या में फांसी की सजा हुई थी। हिंदू महासभा पहले भी ग्वालियर में गोडसे का मंदिर, ज्ञानशाला की स्थापना कर विवादों में रह चुकी है। मेरठ यूपी में भी इसकी भनक लग चुकी है। मेरठ में पुलिस ने हिंदू महासभा भवन को घेर लिया है। मूर्ति अभी कहां है यह किसी को नहीं पता है। पर ग्वालियर से लेकर मेरठ पुलिस हिंदू महासभा की हर हरकत पर नजर रखे हुए है।
हाल ही में ग्वालियर में हुई बड़ी बैठक
हमेशा से महात्मा गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को लेकर चर्चाओं में रहीं हिंदू महासभा की हाल ही में एक बड़ी बैठक दौलतगंज हिंदू महासभा भवन में हुई थी। हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ.जयवीर भारद्वाज ने पिछले दिनों ग्वालियर में हुई संगठन की बैठक में जानकारी दी कि मूर्ति तैयार है और सही समय पर इसे स्थापित किया जाएगा। बैठक में आप्टे को ‘शहीद कह कर संबोधित किया गया। बैठक में जिला अध्यक्ष,प्रदेश प्रवक्ता हरिदास अग्रवाल भी उपस्थित थे।
यूपी मेरठ में हिंदू महा सभा भवन की निगरानी करती पुलिस
मेरठ के हिंदू महासभा भवन में होनी है स्थापित
-हाल ही में हुई हिंदू महासभा के राष्ट्रीय सदस्यों के साथ बैठक में यह तो साफ हो गया है कि यह गोडसे के साथी नारायण आप्टे की मूर्ति मेरठ को हिंदू महासभा भवन में स्थापित किया जाना है। अभी तक नाथूराम गोडसे की मूर्ति को लेकर ही हिंदू महासभा चर्चा में रहती थी, लेकिन अब नारायण आप्टे की मूर्ति को लेकर भी चर्चा तेज हो गई है।
मूर्ति बनती रही और प्रशासन को पता भी नहीं चला
मेरठ यूपी के लिए ग्वालियर में करीब 2 महीने पहले 2 फीट ऊंची नारायण आप्टे की मूर्ति बनाने का काम शुरू हुआ। करीब 45 हजार रुपए में तैयार की गई इस मूर्ति का काम 15 दिन पहले पूरा हो गया है। अक्टूबर महीने मेरठ में इसकी स्थापना के लिए मूर्ति यहां से रवाना भी कर दी गई है, जबकि स्थानीय प्रशासन और पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी। यह पहला मौका नहीं है जब हिंदू महासभा ने पुलिस और प्रशासन को चकमा दिया हो। इससे पहले भी वह नाथूराम गोडसे का मंदिर और ज्ञानशाना की स्थापना कर चुके हैं और बाद में प्रशासन ने कार्रवाई की थी।
कौन था नारायण आप्टे..!
गांधी हत्याकांड में मुख्य आरोपी नाथूराम गोडसे का सहयोगी था नारायण दत्तात्रय आप्टे। उसे गोडसे के साथ ही 15 नवम्बर 1949 को अंबाला जेल में फांसी पर लटकाया गया था। नारायण आप्टे पुणे के संस्कृत विद्वानों के परिवार का सदस्य था। आप्टे ने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से साइंस में ग्रेजुएट की डिग्री लेने के बाद शिक्षक के रूप में कार्य किया और 1939 में हिन्दू महासभा से जुड़ गया। उसने गोडसे के साथ मिलकर ‘अग्रणी’ नाम का अखबारर भी निकाला था। 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या के समय नारायण आप्टे, नाथूराम गोडसे के साथ खड़ा था। गांधी-हत्याकांड के लिए गठित विशेष अदालत ने 10 फरवरी 1949 को गोडसे के साथ आप्टे को भी फांसी की सजा सुनाई थी। कुल 9 आरोपियों में से विनायक दामोदर सावरकर को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया और शेष 6 को आजीवन कारावास की सजा हुई थी।
हम चाहते है गोडसे को युवा पीढ़ी जाने
हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयवीर भारद्वाज ने बताया कि उनका मकसद सिर्फ नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे से पूरे देश के युवाओं को परिचित कराना है। युवा पीढ़ी उनके विचारों को समझें। उनके बारे में जितना बताया जाता है उससे कहीं ज्यादा छुपाया जाता है।