राजा भाेज के समय परमाराें की राजधानी धार में 84 चौराहे हुआ करते थे। हर चौराहे पर एक विशाल मंदिर था। सदियों की उथलपुथल के बाद काफी चीजें नष्ट हो चुकी हैं मगर भोज के डिजाइन में 49 चौराहे ऐसे चिन्हित किए गए हैं, जो एक हजार साल पुराने धार की एक धुंधली सी झलक पेश करते हैं। इनमें 35 ऐसे हैं, जहां आज भी किसी न किसी पुराने मंदिर के अवशेष मौजूद हैं। भोपाल में स्कूल आॅफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर ने वास्तु पर लिखी राजा भोज की किताब \\\”समरांगण सूत्रधार\\\’ को पहली बार कोर्स में शामिल किया है। इस आधार पर पीजी की छात्रा अपूर्वा पिल्लई ने अपनी केस स्टडी भोज की राजधानी धार पर की है। (कंजर्वेशन प्लान फॉर द हिस्टोरिक सिटी ऑफ धार) नाम से इस स्टडी के दौरान अपूर्वा ने धार की 15 यात्राएं कीं और हर सड़क व चौराहे का मुआयना किया। उनका कहना है कि समरांगण सूत्रधार में एक आदर्श शहर का शानदार प्लान है। पुराने भोपाल की रचना बिल्कुल इसी प्लान के मुताबिक हुई। हम धार में यह देखना चाहते थे कि भोज की राजधानी में क्या हुआ?
एक साल में 15 यात्राओं के दौरान इस पुराने शहर का चप्पा-चप्पा देखा। उन्होंने बताया कि इतिहास की उलटफेरों, हमलों और तोड़फोड़ ने धार का पुराना नक्शा चौपट कर दिया। भोज के बाद हुए राजा अर्जुनवर्मन के समय लिखे गए नाटक पारिजात मंजरी में यहां 84 चौराहों और हर चौराहों पर विशाल मंदिर के उल्लेख हैं। अपूर्वा बताती हैं, मैंने 49 स्थान चिन्हित किए। 35 जगहों पर आज भी पुराने मंदिरों की मौजूदगी के सबूत हैं। भोजशाला, सरस्वती कूप और लाट मस्जिद के स्तंभों की नक्काशी से जाहिर है कि तब यह शहर कितना खूबसूरत रहा होगा।
भोज के समय चौकोर आकार में बसे धार की हर दीवार सवा से डेढ़ किमी लंबी थी। मैंने इसके 10 नक्शे बनाकर यह बताने की कोशिश की है कि बची-खुची विरासत को हम कैसे सहेज सकते हैं।
भोपाल के पास इस्लाम नगर का गोंड महल अंतिम राजपूत शासक की यादगारपीजी की ही छात्रा शिल्पी धन्ना ने भोपाल के पास इस्लाम नगर पर केस स्टडी की। इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट प्लान ऑफ ओल्ड सिटी इस्लाम नगर शीर्षक से इस स्टडी में उन्होंने इस्लाम नगर में नवाबों की सल्तनत के पहले के निर्माण कार्याें को चिन्हित किया, जब इसे जगदीशपुर कहा जाता था। उन्हें आश्चर्य हुआ कि दस्तावेजों पर इस्लाम नगर के बारे में ज्यादा जानकारियां नहीं हैं। वे छह महीने लगातार घूमीं। उन्होंने 63 एकड़ में फैली इस ऐतिहासिक बसाहट के विस्तृत नक्शे तैयार किए। उन्होंने नवाबों की रियासत शुरू होने के पहले के स्मारकों की पड़ताल की। इनमें गोंड महल सबसे प्रमुख है। चमन महल और रानी महल बाद के हैं। शिल्पी ने तीनों के नक्शे बनाए। वे बताती हैं कि पुरातत्व वालों ने स्मारकों का संरक्षण तो किया मगर इसे सैलानियों के सामने उस रूप में पेश नहीं किया, जिसका यह हकदार था। यहां निर्माण की तीन शैलियां मिलती हैं-राजपूताना, मालवा और आखिर में इस्लामिक। वे बताती हैं कि आखिरी राजपूत शासक नरसिंह देवगढ़ थे, जिनके समय के चुनिंदा स्मारक ही हैं। जगदीशपुर में गोंड कारीगरों ने अपने कला-कौशल का कमाल दिखाया था। नवाब बाद में यहीं से भोपाल की तरफ बसे और इसे भी अपनी आरामगाह की तरह इस्तेमाल जारी रखा। शाहजहां बेगम की पैदाइश यहीं हुई थी।
अपूर्वा पिल्लई
राजा भोज वास्तु समेत कई विषयों के ज्ञाता थे। वास्तु पर लिखी उनकी किताब समरांगण सूत्रधार एक आदर्श नगर की बसाहट का शानदार दस्तावेज है। हमने इसे पीजी कोर्स में शामिल किया और भोज की राजधानी धार पर यह केस स्टडी कराई। इसी तरह आज के भोपाल के पास इस्लामनगर के नक्शे भी तैयार कराए हैं।\\\
‘ -प्रो. अजय खरे, डीन, स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, भोपाल
धार में भोजशाला का नाम सब जानते हैं मगर सदियों पुराने इस शहर में परमार काल की ऐसी कई बावड़ियां, कुएं और मंदिर हैं जो भोज के सिटी प्लान की शानदार झलक दिखाते हैं। इसके केस स्टड़ी में ऐसे कई जल स्रोत भी चिन्हत किए गए हैं।