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बेशकीमती हुई छतें टोरी कॉर्नर से राजबाड़ा तक 400 छतें; सब 3 दिन पहले से बुक

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इंदौर

इंदौर के सबसे बड़े उत्सव रंग पंचमी की गेर में शामिल होने के लिए लोगों में जितना उत्साह है, उतना ही उसे निहारने के लिए भी शहर बेसब्र है। गेर ने क्षेत्र की छतों को बेशकीमती बना दिया है। टोरी कॉर्नर से लेकर राजबाड़ा और गेर के तीन-साढ़े तीन किमी मार्ग पर कोई 400 मकान हैं, जिनकी छत से गेर को निहारा जा सकता है। मुख्य जगहों की छतों के लिए 8 से 10 समूह तक संपर्क कर चुके हैं। इनमें प्रशासनिक व पुलिस अफसराें से लेकर बड़े नेता, उद्योगपति तक शामिल हैं। अब ऊंची सिफारिश पर भी एक-दो लोगों से ज्यादा की जगह नहीं मिल पा रही है।

दो-तीन दिन पहले ही सारी छत बुक हो चुकी हैं। सबसे ज्यादा मांग राजबाड़ा सर्कल की छतों की है, जहां गेर अपने सबसे भव्य रूप में सामने आती है। खजूरी बाजार की तरफ से रंगों का रैला आता है और पूरे राजबाड़ा चौक को अपने में समाहित कर लेता है। यहां से गोपाल मंदिर तक के हिस्से में रंगों का इंद्रधनुष खिलता है। राजबाड़ा पर छतों की संख्या वैसे भी बमुश्किल 40-50 है, इसलिए भी मारा-मारी थोड़ी ज्यादा है। पुलिस चौकी के पास एक बड़ी छत पर पहुंचे और मालिक से पूछा कि कुछ लोगाें को जगह मिल सकती है क्या, तो जवाब मिला, कुछ देर पहले ही एसपी साहब ने किसी को भेजा था। पूरी जगह बुक कर ली है। टेंट भी वे ही लगाएंगे और खाने-पीने का इंतजाम भी उन्हीं का रहेगा। राजबाड़ा के ठीक सामने सुगंधी परिवारों के कुछ घर हैं, वहां भी यही आलम है। कुछ परिवार शनिवार शाम को ताला लगाकर निकल गए हैं। कारण पूछने पर कहते हैं कि दिनभर लोग ऊपर जाने का आग्रह करते हैं, कितने लोगों को मना करेंगे। राजबाड़ा क्षेत्र के व्यापारी अखिलेश जैन कहते हैं, काफी मशक्कत के बाद मैं चार मेहमानों के लिए जगह बना पाया हूं।

किस्सों की भी अपनी ही गेर है

एक बार ट्रैक्टर पर बैठा तो दोबारा नहीं आता

गेर आयोजक कमलेश खंडेलवाल कहते हैं कि एक बार गेर में कोई व्यक्ति ट्रैक्टर पर बैठ जाता है तो अगले साल किसी कीमत पर आने को तैयार नहीं होता। ट्रैक्टर चलाने वाले पर लोग इतना गुलाल उड़ाते हैं, गुब्बारे फेंकते हैं कि हालत खराब हो जाती है। टैंकर से पानी चलाने वालों का ध्यान खींचने के लिए उन पर सबसे ज्यादा हमले होते हैं।

घंटों बंद रहती है पूरे इलाके की बिजली

गेर के दौरान करीब साढ़े तीन किमी के गेर मार्ग की बिजली बंद रहती है। आयोजक शेखर गिरी बताते हैं, गेर में लोगों पर लगातार पानी फेंका जाता है। बीच में बिजली के तार होते हैं, शॉर्ट सर्किट न हो इसलिए बिजली बंद कर देते हैं। अभिमन्यु व राजपाल जोशी कहते हैं, गेर में शामिल लोगाें के साथ रहवासियों की सुरक्षा के लिए भी यह जरूरी है।

आई स्पेशलिस्ट को देना पड़ती है हजारों की फीस

गेर आयोजक कहते हैं कि गेर में शहर जो आनंद उठाता है, उसे महसूस करने का अलग ही मजा है। ये और बात है कि गेर के बाद आई स्पेशलिस्ट को हजारों की फीस चुकाना पड़ती है। आंखों में इतना गुलाल चला जाता है कि उसे निकालने और ठीक कराने के लिए एक्सपर्ट की मदद लेना ही पड़ती है। रिकवर करने में एक हफ्ता लग जाता है।

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