प्रवीण मल्होत्रा
भारत में 1947 से लेकर 2022 तक 18 प्रधानमंत्री हुए हैं। इनमें से सिर्फ दो प्रधानमंत्री दक्षिण भारत से हुए हैं – एचडी. देवेगौड़ा (कर्नाटक) तथा पीवी नरसिंहराव (नांदयाल, आंध्रप्रदेश)। एक प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई गुजरात से हुए हैं (सूरत)। डॉ. मनमोहनसिंह असम से राज्यसभा सदस्य थे लेकिन उन्हें पुर्वी भारत का नागरिक नहीं माना जा सकता है। शेष सभी प्रधानमंत्री उत्तर भारत और विशेषकर उत्तरप्रदेश से ही हुए हैं। वर्तमान प्रधानमंत्री भी वाराणसी, उत्तरप्रदेश से ही सांसद हैं।
यह स्थिति संघवाद के विरुद्ध है और इससे देश की राजनीति में एक राज्य उत्तरप्रदेश और विशेषकर हिंदी भाषी राज्यों का वर्चस्व दिखाई देता है। कुछ वर्ष पहले कुछ ऐसे अवसर आये थे कि पूर्व में प.बंगाल से प्रणव मुखर्जी और पश्चिम में महाराष्ट्र से शरद पवार प्रधानमंत्री बन सकते थे लेकिन कांग्रेस की आंतरिक राजनीति के कारण यह सम्भव नहीं हो पाया।
भारत में संघवाद की भावना को दृढ़ता प्रदान करने के लिये यह जरूरी है कि तमिलनाडु, ओडिशा, प.बंगाल, महाराष्ट्र जैसे गैर हिन्दीभाषी राज्यों को भी प्रधानमंत्री चुनने का अवसर दिया जाए।
इस सम्बन्ध में मेरा सुझाव है कि संविधान में संशोधन के माध्यम से भारत को चार ज़ोन में बांटा जाए – पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण। पूर्व में प.बंगाल, ओडिशा, बिहार, झारखंड, असम, छत्तीसगढ़ और पुर्वोत्तर के राज्य शामिल हों। पश्चिम में गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान और गोआ को शामिल किया जाए। उत्तर में जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश हों तथा दक्षिण में तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश को शामिल किया जाए।
इसके साथ ही यह अनिवार्य कर दिया जाये कि प्रधानमंत्री का पद इन चारों ज़ोन में रोटेशन के अनुसार ही चयनित हो और हर पांच वर्ष में रोटेशन में परिवर्तन किया जाए। उदाहरण के तौर पर 2024 में यदि भाजपा पुनः बहुमत से चुनाव जीतती है और रोटेशन के अनुसार प्रधानमंत्री दक्षिण भारत से ही हो सकता है तो भाजपा को प्रधानमंत्री दक्षिण भारत से ही चुनना पड़ेगा।
इसमें एक अनिवार्य शर्त यह भी होना चाहिये कि वह व्यक्ति जिसे प्रधानमंत्री के रूप में चुना जाना है, उस ज़ोन में कम से कम विगत 15 वर्ष से स्थायी रूप से निवास कर रहा हो और वहीं से वह मतदाता भी हो। अन्यथा राजनीतिक दल अपने सर्वोच्च नेता को उस राज्य से चुनाव लड़वा देंगे जिस ज़ोन का रोटेशन के हिसाब से प्रधानमंत्री चुना जाना है। उदाहरण के तौर पर यदि 2024 में रोटेशन के अनुसार पूर्वी भारत से प्रधानमंत्री चुना जाना है तो भाजपा मोदीजी को बिहार या ओडिशा से या दोनों जगह से चुनाव लड़वा सकती है। इस पर रोक लगना जरूरी है। इसलिये 15 वर्ष पूर्व से स्थायी निवास की शर्त को जोड़ा गया है। यही शर्त राज्यसभा की सदस्यता पर भी लागू होना चाहिये। अन्यथा राजनीतिक दल पिछले दरवाजे से प्रधानमंत्री का चयन कर लेंगे।