छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य क्षेत्र में राजस्थान को परसा कोल ब्लॉक आबंटन का विरोध तेज हो गया है। शुक्रवार को छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के आह्वान पर प्रदेशभर के पदाधिकारी, कार्यकर्ताओं के साथ प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीण सड़क पर उतर आए। आक्रोशित लोगों ने करीब 6 घंटे तक अंबिकापुर-बिलासपुर राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर दिया। सालही के समीप कोयला परिवहन के लिए बिछाए गए रेलवे ट्रैक में बैठ गए, जिससे कोल परिवहन ठप हो गया।
आंदोलन में पहुंचे पूर्व सांसद और छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष सोहन पोटाई ने कहा कि पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में रुढ़ि प्रथा प्रभावशील होता है, लेकिन भूपेश सरकार ने ग्रामीणों की भावनाओं के विपरीत फर्जी ग्रामसभा कर परसा कोल ब्लॉक आवंटन को मंजूरी दी है। 1,250 हेक्टेयर जमीन इसके दायरे में आ रही हैं। इससे कई गांव के लोगों को विस्थापन का दर्द झेलना पड़ेगा। लाखों पेड़ काटे जाएंगे। जल, जंगल, जमीन को बचाने ग्रामीण 2 मार्च से प्रभावित क्षेत्र के ग्राम हरिहरपुर में शांतिपूर्वक धरना दे रहे हैं, लेकिन शासन-प्रशासन उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने में लगे हैं। परसा साइडिंग से रोज करीब 7 रैक कोल परिवहन होता है। शुक्रवार को आंदोलन के कारण 3 रैक कोल परिवहन नहीं हो सका।
रेलवे ट्रैक और सड़क पर बैठे ग्रामीण
शासन द्वारा मांगों पर सुनवाई नहीं करने से आक्रोशित ग्रामीणों ने आम छत्तीसगढ़वासियों से एकजुट होकर आंदोलन में शामिल होने का आह्वान किया था। उन्होंने कहा कि शुक्रवार का आंदोलन सांकेतिक है। यदि इसके बाद भी शासन-प्रशासन द्वारा परसा कोल ब्लॉक के आवंटन को रद्द नहीं किया गया तो और उग्र आंदोलन किया जाएगा। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाओं की भी सहभागिता रही। हजारों की संख्या में लोग राष्ट्रीय राजमार्ग और रेलवे ट्रैक पर उतर आए हैं। इससे 6 घंटे आवागमन पूरी तरीके से बाधित रहा। इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात रहा।
राहुल गांधी ने नहीं निभाया वादा
आंदोलन को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार नहीं बनी थी, तब नजदीक के गांव मदनपुर में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी आए थे। उन्होंने वादा किया था कि वे हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोल ब्लॉक आवंटन नहीं होने देंगे। यदि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनी तो किसी भी कीमत पर जंगल उजड़ने नहीं दिया जाएगा। आज छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद भी कोयला खनन के लिए फर्जी तरीके से अनुमति दे दी गई है। ग्रामीणों ने कहा कि जब तक कोल ब्लॉक आवंटन को रद्द नहीं किया जाता तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा