राजीव भाटिया
ऊपरी तौर पर देखें तो राहुल का निर्णय अजीब लगा ठीक चुनाव से पहले केवल एक समुदाय दलितों पर दांव लगा दिया सिख जाट हिन्दू नाराज होंगे सिद्धू अमरिंदर जाखड़ ग्रुप नाराज हैं तो मुश्किलें बढ़ेंगी ही …और ये हुआ इसी तरह से तो कोंग्रेस को बहुत मुश्किलें होंगी …पर ये एक पक्ष है और हो सकता है …पर अगर जमीनी हालात देखें तो राहुल गांधी को कड़े निर्णय लेने ही थे वरना पार्टी इससे बुरे दौर में जाती और जब भी कड़े निर्णय लेते हैं तो दोनों पक्ष सन्तुष्ट नहीं हो सकते अब स्थिति ऐसी उतपन्न हो गई थी …तो राहुल ने दलित कार्ड खेलने का निर्णय लिया क्योकि
1.34% दलित हैं
2.चन्नी 111 दिन में मजबूत चेहरा साबित हुए हैं और क्लिक कर गया है चेहरा।
3.दलित कार्ड के आगे सारे विपक्षी कुछ नहीं कर सकते।
4.चन्नी दलित और आला कमान की पसंद हैं ये जानते हुए सिद्धू के साथ कोंग्रेसी नही जाएंगे।
5.कोंग्रेसी विधायक भी खुश होंगे क्योंकि चन्नी दलित वोट उनको दिलवाएंगे ये सबसे बड़ा पोसिटिव है।
6.दलित कार्ड चल गया अगर पंजाब में तो कोंग्रेस मण्डल पॉलिटिक्स को अन्य राज्यों में भी खेलेगी और दलित सी एम पर दांव खेला जा सकता है।
तो इतने सशक्त कारणों से और केवल सिद्धू की नाराजगी का रिस्क जिससे तुलनात्मक रूप से कोंग्रेस को कोई नुकसान सिद्धू नहीं उठा सकते हैं सिद्धू को कुल मिलाकर दूसरा अमरिंदर बना दिया गया है ….
कुल मिला कर चन्नी से बहुत फायदे हैं और सिद्धू से कोई खास फायदा नहीं है सिद्धू सबको साथ ले कर चल भी नहीं सकते थे ….
तो कुल मिलाकर विश्लेषात्मक रूप से अगर कैंडीडेट देना था क्योंकि आप ने दिया है तो चन्नी का सी एम कैंडीडेट घोषित करना सही फैसला है और सिद्धू को बिना कहे साफ कह दिया है आलाकमान की चलेगी नही मानना तो रास्ता बाहर की तरफ है।
कुल मिला कर राहुल ने फैसला लिया है …..कैलकुलेटिव है और सही है …..
राजीव भाटिया