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सामयिक…राहुल गांधी मोदी से नहीं डरते !

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सुसंस्कृति परिहार

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज संसद परिसर में नरेंद्र मोदी सरकार पर जिस तेवर के साथ हमला बोला लगता है वह आर पार की लड़ाई का प्रतीक है उन्होंने कहा -” कि वे मोदी से नहीं डरते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि “सख्ती से सच्चाई को नहीं दबाया जा सकता है।”

उनके इस विचार पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। ई डी को जस्टिस खानविलकर जिस तरह अधिकार सम्पन्न बना गए उसका दुरुपयोग भाजपा करवा रही है। इससे ना केवल कांग्रेस बल्कि अन्य विपक्षी दल आहत हैं। सुब्रमण्यम स्वामी के मुताबिक भाजपा के भी कई बड़े नेता  गांधी परिवार और कांग्रेस पार्टी कार्यालय की घेराबंदी के खिलाफ हैं। यंग इंडिया मनी लांड्रिंग मामला यदि बनता है तो कार्रवाई करो लेकिन कांग्रेस पार्टी के जन आंदोलनों को कुचलने के लिए कांग्रेस कार्यालय और नेताओं के घरों की घेराबंदी अलोकतांत्रिक निर्णय है।जैसा कि पहले से घोषित कार्यक्रम मंहगाई, बेरोजगारी और जी एस टी के विरोध की तारीख पांच मार्च कांग्रेस के लिए तय थी लेकिन अचानक उस पर बैन लगाया जाना और पार्टी कार्यालय की घेराबंदी इस बात का खुलासा करती है कि वे विपक्षी पार्टी के आंदोलन का रास्ता बंद करने ही  ई डी के माध्यम से  रास्ता चुनती है।नौ अगस्त से कांग्रेस के भारत जोड़ो आंदोलन की तैयारी चल रही थी जो पूर्व घोषित कार्यक्रम है उसको भी समाप्त करने की ये तैयारी है। आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ भी कांग्रेस अच्छे से ना मना पाए तथा 20अगस्त राजीव गांधी का जन्मदिन भी प्रभावित करने की मंशा ई डी की कार्रवाई में साफ़ नज़र आ रही है।

इस बीच ख़बर मिली है कि यंग इंडिया कार्यालय से मनी लांड्रिंग के हवाला लिंक के कुछ कागज़ात मिले हैं और फिर से राहुल सोनिया से पूछताछ होगी।यह खेल कब तक चलेगा।एक बुजुर्ग बीमार महिला का कुछ तो ख्याल करिए। कुछ लोग उनके भागने की शंका को घेराबंदी से जोड़ कर देख रहे हैं।वे जब नहीं भागे जब राजीव गांधी को मार डाला गया ।तब भी संघ और भाजपा के लोग यह अफवाह फैलाते रहे कि हवाई जहाज में सामान लद रहा है सोनिया परिवार सहित रातों-रात भाग जायेंगी।वह रात नहीं आई।लंबी अवधि गुजर गई । राहुल सही कहते हैं वे डरने वाले नहीं हैं।

वस्तुत:सच यही है कि राहुल गांधी की निडरता का डर मोदी सरकार को ही है।देश की समस्याओं को सदन में रखने और सड़क तक ख़ामोश ना रहने वाले राहुल आज अकेले नहीं हैं। उनके साथ परेशान जनता जनार्दन भी आती जा रही है। राष्ट्रपति चुनाव में दूर छिटक गए दल भी राहुल के साथ वापस आ रहे हैं। मुख्य प्रतिद्वंद्वी केजरीवाल,ममता बनर्जी जैसे हेकड़ी वाले लोग ई डी के अधिकारों से खफा हैं।

अब देखना यह है ज़रुरी होगा कि संघ और भाजपा सरकार इसको किस तरह लेती है।घर घर तिरंगा अभियान के ज़रिए भाजपा लोगों को राष्ट्र प्रेम का संदेश देने की बात कर रही है उस पर ही उनके आका नगपुरिया दरबार ख़फा है। आज़ादी के पावन पर्व पर देश को आजाद कराने में अपनी अहम भूमिका निभाने वाली कांग्रेस के कार्यालय और नेताओं की घेराबंदी की जाना अनुचित है।ई डी को जस्टिस के जरिए जो अतिरिक्त अधिकार दिलाए गए हैं उनको रोका जाना चाहिए। इसके विरोध में 17राजनैतिक दल इकट्ठे हो चुके हैं।जांच चले ज़रुरी है किन्तु बिना अपराध सिद्ध हुए इस तरह की ये कार्रवाई अनुचित है। लोकतांत्रिक इतिहास में एक प्रमुख विपक्षी पार्टी के कार्यालय पर अपनी तरह का यह पहला हमला है।इन तमाम लोकतंत्र विरोधी ताकतों का मुकाबला निडर होकर ही किया जा सकता है। राहुल ठीक कहते हैं उन्हें मोदी से डर नहीं लगता और सच्चाई को दबाया नहीं जा सकता। उम्मीद है तमाम दल निडरतापूर्वक इस अभियान में शामिल होकर लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन को रोकने में मददगार बनेंगे। ये सब ई डी विरोधी नहीं उसे प्राप्त विशेषाधिकार के खिलाफ हैं जिसका दुरुपयोग कर सरकार प्रतिपक्ष की आवाज दबाना चाहती है।

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