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मनाने की पहल के तौर पर देखा जा रहा है राहुल गांधी का नीतीश कुमार का फोन करना

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दरअसल इंडिया गठबंधन में खटपट की खबरें तो इसके नींव पड़ने के बाद से ही सामने आ रही हैं लेकिन राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में कांग्रेस की करारी हार और भाजपा की शानदार जीत के बाद से गठबंधन में धुआं कुछ ज्यादा ही उठने लगा है। राजनीतिक विशेषलक तो इंडिया गठबंधन को लेकर व्यंग्यभरी भाषा में कहते हैं कि यहां विपक्षी की एकता कुछ-कुछ मेढ़क तौलने जैसा दिखाई देने लगा है। यह सच है कि इंडिया गठबंधन की दिल्ली में हुई बैठक के बाद से नीतीश कुमार की नाराजगी की खबरें लगातार सामने लगी हैं। शायद नीतीश कुमार की नाराजगी को कांग्रेस भांप चुकी है और यही वजह है कि बैठक के दो दिनों के अंदर राहुल गांधी ने नीतीश कुमार से फोन पर बातचीत की है। इस बातचीत को राजनीतिक दृष्टि से काफी अहम माना जा रहा है। ‘इंडिया’ गठबंधन में कुछ गड़बड़ तो नहीं चल रहा है? कभी कोई सीट शेयरिंग को लेकर नाराज दिख रहा तो कभी कोई बैठक के दौरान समोसा नहीं मिलने की शिकायत सार्वजनिक कर दे रहा है।

जनता दल यूनाइटेड के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही इंडिया गठबंधन की नींव रखी थी और जाहिर सी बात है कि अब तक गठबंधन की चार बैठकें हो चुकी हैं और उनकी भूमिका को लेकर कोई बात नहीं की गई है। नई दिल्ली में हुई इंडिया गठबंधन की बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने ममता बनर्जी ने वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए प्रस्तावित किया। ममता के इस घोषणा के बाद से ही नीतीश कुमार थोड़े असहज दिख रहे हैं। नई दिल्ली में गठबंधन की बैठक से पहले पटना में नीतीश कुमार के पोस्टर लगाए गए और उसमें उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बताया गया।

इंडिया गठबंधन में कई पीएम उम्मीदवार!

इंडिया गठबंधन में शामिल दलों में तृणमूल कांग्रेस की सरकार पश्चिम बंगाल में, वहीं जनता दल यूनाइटेड की सरकार बिहार में है। बिहार में नीतीश कुमार की सरकार को राष्ट्रीय जनता दल का समर्थन प्राप्त है। वहीं समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में सत्ता से बाहर है। हालांकि छुपी, दबी या खुले तौर पर सभी दलों के प्रमुख की इच्छा देश के प्रधानमंत्री बनने के तौर पर सामने आती रहती है। कांग्रेस गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी है और यही वजह है कि उसे किसी भी राज्य में चुनाव के दौरान सीट शेयरिंग करने में दिक्कत पेश आती है और यह भी गठबंधन में शामिल दूसरे दलों की नाराजगी की वजह बन रहा है। ऐसे में राहुल गांधी का नीतीश कुमार का फोन करना, उन्हें मनाने की पहल के तौर पर देखा जा रहा है।

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