सुसंस्कृति परिहार
राहुल गांधी एक यायावर की तरह, लंबी यात्रा के बाद देश के हृदय स्थल मध्यप्रदेश में जब पहुंचे तो कांग्रेस के युवाओं में अभूतपूर्व जोश देखा गया जिससे निश्चित तौर पर कांग्रेस की ताकत मेंं बढ़ोतरी होगी।जैसा कि सर्वविदित है,दिसंबर में हुए राज्य चुनाव में कांग्रेस की पराजय के बाद दिल्ली कांग्रेस समिति ने प्रदेश के कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को हटाकर प्रदेश की कमान युवा कांग्रेस नेता जीतू पटवारी को सौंप दी है। इसलिए इस यात्रा में युवाओं में उमंग और उत्साह ज़्यादा देखने मिल रहा है। भाजपा ने इस स्थिति में ख़लल डालने की बहुत कोशिशें कीं किंतु वे कांग्रेस की मज़बूत जड़ों को कमज़ोर नहीं कर पाए। उन्हें निराशा ही हाथ लगी।आया राम गया राम का अध्याय न्याय यात्रा आने से पूर्व ही ख़त्म हो गया।सभी नए पुराने कांग्रेस के साथियों ने मुरैना पहुंच कर राहुल गांधी की यात्रा का ख़ैर मकदम किया जिससे भाजपा विचलित हुई है।
सबसे महत्वपूर्ण और दिलचस्प है चंबल और ग्वालियर क्षेत्र के मुरैना से यात्रा का प्रवेश करना।ये क्षेत्र राजस्थान के धौलपुर से लगा हुआ है वह ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ वसुंधरा राजे का अपना निजी क्षेत्र है जहां से यात्रा 2 मार्च अपराह्न यात्रा मुरैना पहुंची,इसके बाद वह उन सभी क्षेत्रों में गई जो ज्योतिरादित्य और उनकी दूसरी बुआ यशोधरा राजे का क्षेत्र शिवपुरी है। मक़सद साफ़ है सामंतों के साए में रहने वाले लोगों को निडर बनाना तथा उन्हें न्याय दिलाना। वैसे चंबल ग्वालियर क्षेत्र में सामंती ताकतों का बहुत कुछ सफाया जनता-जनार्दन ने करके भी दिखा दिया। श्रीमंत ज्योतिरादित्य पिछला 2019 लोकसभा चुनाव गुना से भाजपा के कृष्ण पाल सिंह यादव से सवा लाख वोट से हार चुके हैं। इसके बाद उन्होंने विधायक का चुनाव भी हारने के भय की वज़ह से नहीं लड़ा। उनके मन में मुख्यमंत्री बनने की इच्छा पिछले विधानसभा चुनाव में जोर पकड़े थी किन्तु कमलनाथ ने उन्हें ना उपमुख्यमंत्री बनाया ना पार्टी अध्यक्ष इसलिए उन्होंने अपने क्षेत्र के 22 विधायकों के साथ भाजपा में शामिल होकर मुख्यमंत्री बनने का दिवा स्वप्न देख गांधी परिवार की दोस्ती और पुनीत रिश्ते को अलविदा कह दिया।आज वे भाजपा के ज़रिए राज्यसभा में हैं उड्डयन मंत्री हैं। ख़बरें मिल रही हैं उन्हें लोकसभा चुनाव में गुना से लड़ाया जा रहा है। यशोधरा राजे ने चुनाव ना लड़ने का फैसला कर लिया है। वसुंधरा राजे का हाल हम सब देख ही रहे हैं।उनके पुत्र दुष्यंत को लोकसभा टिकिट दे दिया है। वसुंधरा का कहीं नाम नहीं है।इसलिए राहुल गांधी का इस क्षेत्र में भारत जोड़ो न्याय यात्रा का दख़ल मायने रखता है।गुना सीट पर केपी सिंह यादव ज्योतिरादित्य को कितनी शिद्दत से सहयोग दे पाते हैं यह अंधेरे में है। ग्वालियर चंबल क्षेत्र में राहुलगांधी को मिले अपरिमित प्यार से लग रहा है कि इस क्षेत्र में कांग्रेस भाजपा के लिए मुसीबत साबित होगी।
चंबल ग्वालियर के बाद मालवा अंचल में भी राहुल की न्याय यात्रा का गर्मजोशी से स्वागत हुआ उससे लग रहा है यहां का युवा इन दोनों क्षेत्र में हवा को निश्चित तौर पर बदलेगा। खासतौर पर बदनावर में युवा रैली में उमंग सिंगार के तेवर जता रहे थे कि यहां का आदिवासी अब जाग चुका है ।युवा बेरोजगारी के मारे हैं तथा क्षेत्र के लोग तथाकथित सरकारी लाभ कारी योजनाओं के लाभ से वंचित हैं। राहुलगांधी ने आदिवासियों को वनवासी कहने वालों की बात करते हुए कहा यह सरकार आपकी आदिवासी की पहचान ख़त्म करने में लगी है। राहुल गांधी ने अपनी इस यात्रा में बराबर जाति आधारित जनगणना की आवश्यकता, अग्निवीर योजना की खामियों को उजागर कर युवाओं को समझाने की पुरज़ोर कोशिश की। उन्होंने पीएम द्वारा चुनिंदा लोगों को फायदा पहुंचाने की बात कही। उन्होंने ज़ोर देकर ओबीसी महासभा की बैठक में एक बार फिर घोषणा की कि कांग्रेस सरकार बनते ही जनगणना होगी ताकि सामाजिक और आर्थिक न्याय सबको मिल सके। किसानों को भी एमएसपी देने कानून बनाने का उल्लेख किया। उज्जैन में राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आपकी खून पसीने की कमाई केंद्र सरकार किस तरह से खर्च कर रही है, इसकी जानकारी शायद आपको नहीं है। केंद्र सरकार ने मजदूर वर्ग के लिए जारी मनरेगा योजना को बंद कर दिया है, जिसे चलाने में प्रतिवर्ष 65,000 करोड़ रुपए का खर्च आता था, लेकिन सरकार के पास देश के उन 20 उद्योगपतियों का करोड़ों रुपया कर्ज माफ करने के लिए रुपया है जो की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खास हैं।राहुल गांधी ने एक सभा में बड़ी सहजता से कह दिया कि मोदी जी चाहते हैं कि आप दिन भर जय श्रीराम बोलो और भूखे ही मर जाओ।वहीं, राहुल गांधी के लिए उस समय भी असहज स्थिति पैदा हो गई, जब बीजेपी कार्यकर्ताओं ने उनके सामने मोदी-मोदी और जय श्रीराम के नारे लगाए। राहुल उनकी तरफ बढ़े पर वे खिसक लिए।सच है राम राम चिल्लाने से पेट नहीं भरेगा।उसके लिए काम चाहिए और वह नहीं है।
यात्रा मार्ग भी अल्प प्रवास में सूझबूझ से इस तरह निर्धारित किया गया था कि राहुल गांधी युवा, महिला, किसान, आदिवासी सहित सभी वर्गों से संवाद कर सकें।वे तमाम लोगों से मिले अपने विचार साझा किए जिससे लोगों में उत्साह साफ़ नज़र आया। राज्य चुनाव में मिली हार से हताश कांग्रेस कार्यकर्ताओं को इस यात्रा ने जोश से भर दिया है।अब कांग्रेस अध्यक्ष और उनके कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी बनती है कि वे प्रदेश के कोने-कोने में जाकर उन बातों को साझा करें जो राहुल गांधी ने अपनी यात्रा के दौरान उपस्थित लोगों तक पहुंचाएं हैं।यात्रा की गूंज बराबर बनी रहें इससे सकारात्मक विचारों को बल मिलेगा तथा उत्साह द्विगुणित होगा। मध्यप्रदेश वैसे भी कांग्रेस के लिए कठिन प्रदेश नहीं रहा है यहां चंद क्षेत्रों को छोड़कर गांव-गांव में कांग्रेस की मज़बूत जड़ें मौजूद हैं जिसे खाद पानी और जीवन पार्टी कार्यकर्ताओं को देना होगा।